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Bihar Land Survey: रजिस्ट्री अभिलेखागारों से वर्षों पुराने कई दस्तावेज गायब, पन्ने तक बदले

Bihar Land Survey भूमि माफियाओं से सांठ-गांठ कर बेशकीमती जमीनों के रिकॉर्ड ही हटा दिये गये हैं. कई मामलों में फाइल के अंदर अभिलेखों के पन्ने तक बदल दिये गये.

सुमित कुमार, पटना

Bihar Land Survey राज्य स्तर पर भूमि सर्वे की शुरुआत के बाद रजिस्ट्री कार्यालयों के रिकॉर्ड रूम (अभिलेखागार) में रखे दशकों पुराने रजिस्ट्री दस्तावेज (अभिलेखों) की महत्ता बढ़ गयी है. अपने जमीन की रजिस्टर्ड डीड की सत्यापित कॉपी पाने के लिए हर दिन सैकड़ों लोग रजिस्ट्री कार्यालयों के रिकॉर्ड रूम का चक्कर लगा रहे हैं. इनमें कई को महीनों बाद भी सत्यापित कॉपी नहीं मिल सकी है. अभिलेखागार प्रबंधन का कहना है कि इनके रिकॉर्ड या तो गुम हो गये या कचरा बन गये हैं, जिनको छूने की हिम्मत भी सर्चर नहीं जुटा पा रहे. इनका इंडेक्स तक संधारित नहीं किया गया है. सारण, बक्सर, भागलपुर, पटना सहित कई जिलों में फाइल गायब होने की शिकायत पर संबंधित कर्मियों के खिलाफ स्थानीय थानों में एफआइआर भी दर्ज करायी गयी है.

अवर निबंधकों ने पहचानी गड़बड़ी, जब्त की फाइल

निबंधन कार्यालयों में अभिलेखागारों की जिम्मेदारी संभाल रहे कई अवर निबंधकों ने जांच में पाया है कि पूर्व के कर्मियों ने भूमि माफियाओं से सांठ-गांठ कर बेशकीमती जमीनों के रिकॉर्ड ही हटा दिये गये हैं. कई मामलों में फाइल के अंदर अभिलेखों के पन्ने तक बदल दिये गये. सूक्ष्मता से देखने पर अवर निबंधकों ने इन गड़बड़ियों को पकड़ा, जिसके बाद संबंधित फाइल को जब्त करते हुए उसकी अंडरटेकिंग रखने वाले संबंधित कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गयी है.

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1995 से अब तक के दस्तावेज ही डिजिटाइज

निबंधन कार्यालयों के अभिलेखागारों में 1795 से लेकर अब तक के रजिस्ट्री दस्तावेजों के रिकॉर्ड उपलब्ध हैं. करीब दो दशक से इनके डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया चल रही है. विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 1995 से अब तक 2,34,62,435 दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन पूरा हो चुका है. इनको इ-निबंधन वेबसाइट पर देखा जा सकता है. लेकिन 1796 से 1995 तक की अवधि के लगभग 5,13,48194 निबंधित दस्तावेज डिजिटाइजेशन के लिए अब भी लंबित हैं.

पटना में रजिस्ट्री अभिलेखों का हाल सबसे बुरा

पटना के रजिस्ट्री अभिलेखागार में दस्तावेजों का हाल सबसे बुरा है. पटना समाहरणालय के नये भवन के निर्माण कार्य की शुरुआत के बाद पटना जिले से जुड़े तमाम रजिस्ट्री अभिलेखों को छज्जुबाग स्थित अभिलेखागार, उसके बगल में महिला हेल्पलाइन के दफ्तर और फुलवारी स्थित रजिस्ट्री कार्यालय के कुछ कमरों में रखा गया है. छज्जुबाग स्थित दस्तावेज तो कुछ ठीक-ठाक अवस्था में हैं, लेकिन उसके बगल में हेल्पलाइन और फुलवारी में रखे कई दस्तावेज तो उठाने लायक भी नहीं बचे हैं. पटना के रिकॉर्ड रूम में 1950 से लेकर 1980 तक के कई रजिस्ट्री दस्तावेज भी ढूंढ़ने पर नहीं मिल रहे.

रजिस्ट्री ऑफिस के अभिलेखागारों में रखे गये दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए ही उनका डिजिटाइजेशन किया जा रहा है. 1995 से अब तक 2.34 करोड़ दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन हो चुका है, जबकि 1796 से 1995 तक की अवधि के लगभग 5.13 करोड़ रजिस्टर्ड दस्तावेज डिजिटाइजेशन के लिए लंबित हैं. बक्सर, भागलपुर और पटना के रिकॉर्ड रूम से दस्तावेजों के गायब होने और हेरफेर की शिकायत मिली है, जिसके आधार पर एफआइआर दर्ज कराई गयी है. दस्तावेजों को व्यवस्थित करने के लिए अभिलेखागारों में कर्मियों की तैनाती की जायेगी. विनोद सिंह गुंजियाल, सचिव, मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग

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