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Ranchi news : रिम्स में निविदा के एक साल बाद भी जांच के लिए मशीनों की खरीदारी नहीं, मरीज परेशान

प्रबंधन का कहना है कि मशीनों की खरीद के लिए जेम पोर्टल पर निविदा अपलोड कर दी गयी है. दो महीने में अधिकांश मशीनें आ जायेंगी.

रांची. रिम्स में कई महत्वपूर्ण मशीनों की खरीदारी और मैनपावर की कमी दूर करने के लिए करीब 41 निविदा निकाली गयी है. निविदा निकाले हुए लगभग एक साल हो गये हैं, लेकिन अभी भी इसकी प्रक्रिया ही चल रही है. इसमें एमआरआइ, अल्ट्रासाउंड, डिजिटल एक्स-रे और टीबी की जांच मशीन, एनेस्थीसिया वर्क स्टेशन, माइक्रोस्कोप और सीआर्म मशीन शामिल हैं. इन मशीनों के नहीं होने से मरीजों को परेशानी हो रही है. हालांकि, प्रबंधन का कहना है कि मशीनों की खरीद के लिए जेम पोर्टल पर निविदा अपलोड कर दी गयी है.

खराब पड़ी है एमआरआइ मशीन

रिम्स के पास फिलहाल अपनी एमआरआइ मशीन नहीं है. यह मशीन करीब दो साल से खराब पड़ी है और इसकी खरीद की प्रक्रिया चल रही है. हालांकि रिम्स द्वारा आठ से अधिक बार निविदा निकाली गयी, लेकिन सिंगल टेंडर के कारण इसकी खरीदारी नहीं हो सकी है. अब देश के अन्य संस्थानों की खरीद प्रक्रिया का पालन कर रिम्स में मशीन मंगाने की कोशिश शुरू हुई है.

सिर्फ दो अल्ट्रासाउंड व एक एक्स-रे मशीन के भरोसे जांच

रिम्स में सिर्फ दो अल्ट्रासाउंड और एक एक्स-रे मशीन होने के कारण मरीजों को जांच के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. इस कारण मरीज बाहर से जांच कराने के लिए मजबूर हैं.

नहीं है मेमोग्राफी मशीन

ब्रेस्ट की स्क्रीनिंग के लिए रिम्स में मेमोग्राफी मशीन नहीं है. इसलिए मरीजों को निजी जांच घरों का सहारा लेना पड़ता है.

सेंट्रल लैब के लिए जांच मशीन

रिम्स में सेंट्रल लैब को अपग्रेड किया जाना है. इसके लिए कई जांच मशीनों की आवश्यकता है. लेकिन, अभी तक इसकी खरीद प्रक्रिया ही चल रही है.

कई विभागों में माइक्रोस्कोप व सीआर्म मशीन नहीं

सर्जरी में उपयोग होने वाली माइक्रोस्कोप और सीआर्म मशीन कई विभागों में नहीं हैं. इससे ऑपरेशन करने में डॉक्टरों को परेशानी होती है. पुरानी मशीनों से किसी तरह काम चलाया जा रहा है. वहीं, एनेस्थीसिया वर्क स्टेशन भी पर्याप्त संख्या में नहीं है.

मशीनों की खरीद प्रक्रिया अंतिम चरण में

मशीनों की खरीद प्रक्रिया अंतिम चरण में है. कुछ मशीनों को एजेंसी से मंगाने के लिए ऑर्डर देने की प्रक्रिया चल रही है. वहीं कुछ मशीनों की खरीद के लिए निविदा के आधार पर कंपनी से बात चल रही है. दो महीने में अधिकांश मशीनें आ जायेंगी.

-डॉ राजीव रंजन, पीआरओ, रिम्सB

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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