= किसी तरह परिजन को खाना तो मिल जाता है, पेयजल के लिए हो रही परेशानी
= मवेशियों को नहीं मिल रहा चारानिलेश प्रताप, घोघा
एक तरफ बाढ़ में डूबे घर से बेघर हो एनएच-80 पर अस्थाई आशियाना बना कर रह रहे घोघा स्थित फुलकिया, दिलदारपुर, इमादपुर व अन्य निचले गांवों के लोग बुधवार को दिनभर झमाझम बारिश होने के कारण प्रकृति की दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं. झोपड़ी से अपना चौकी, बिछौना, कपड़ा, राशन व चुल्हा-बरतन समेटकर सुरक्षित रहने के लिए ये लोग एनएच के अलावा ईंट-भट्टे के लिए जमा किये ऊंचे मिट्टी की ढेर के पर एवं रेल पटरी के बगल में स्थित पुराने पटरी वाले स्थान पर भी शरण लिए हुए हैं. पुराने बांस व लकड़ियों को खड़ा कर उस पर पालीथीन सीट डाल कर उसकी छांव में सारा सामान सुरक्षित रखकर अपने परिवार के साथ दिन काट रहे हैं. खाना कभी शिविर में मिलता है, कभी नहीं भी मिलता है. बुधवार को हवा के साथ दिनभर झमाझम पानी ने बांस से बने पालीथीन सीट को उजाड़ दिया इससे कई परिवार को भींगकर दिन काटना पड़ा.पशुओं को पर रहे चारे के लाले
बाढ़ व बारिश में ये बाढ़-पीड़ित अपना और अपने परिवार को तो किसी तरह पाल लेते हैं, पर अपने साथ पालतू पशु बकरी, गाय व भैंस का पेट भरने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. ट्रेन से विक्रमशिला व मथुरापुर हसिया एवं रस्सी लेकर जाते हैं और वहां के खेतों व रेल ढालों के किनारे से घंटों घास काटकर दूसरे ट्रेन से लौट आते हैं. तब जाकर पशुओं का पेट भर पाता है.पीने के पानी की भी किल्लत
चारों तरफ जल से घिरे, बीच में एक चौंकी पर अपने छह बच्चों के साथ रहने वाले बिसो मंडल व पूनम देवी ने बताया कि खाना तो किसी तरह खा लेते हैं पर पीने के लिए साफ और स्वच्छ पानी सहजता से नसीब नहीं हो पाता. काफी दूर से घोघा बाजार जाकर ढोकर पानी लाना पड़ता है. यदि फुलकिया के पास पीएचईडी द्वारा तत्काल चापाकल लगवा दिया जाय, तो पीने का पानी सहजता से उपलब्ध हो जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है