गया. जम्मू कश्मीर के रजौरी डुंगी बरमना से आये राजकुमार शर्मा ने भारत के बंटवारे में मारे गये अपने 300 परिजनों की आत्मा की शांति व उनके मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का कर्मकांड संपन्न किया. कर्मकांड पूरा होने के बाद श्री शर्मा ने बताया कि बाप दादा सहित तीन गोत्र के 300 पूर्वजों को पाकिस्तान में मार दिया गया, जो बचे सारी संपत्ति छोड़कर इंडिया बॉर्डर पर रिफ्यूजी बन गये थे. उन्होंने कहा कि अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ 1947 में भारत के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान में कत्लेआम हो रहा था, जिसमें उनके तीन गोत्र के 300 परिजनों की भी हत्या हो गयी थी. वे अपने सभी 300 पूर्वजों के नाम की सूची के साथ यहां आकर पिंडदान कर रहे हैं. इनके साथ इनकी पत्नी सत्या देवी व तीन रिश्तेदार भी आये हैं. नाम की सूची में सभी वैसे 300 पूर्वजों हैं, जिन्हें मार दिया गया था. उनके पिता जगत शर्मा, दादा समेत लगभग सभी को मार दिया गया. कुछ बच्चे व बूढ़े बच गये थे. उन्होंने बताया कि उनका जन्म पाकिस्तान के सुहाना में हुआ था, तब उनकी उम्र एक वर्ष की थी. सिर्फ बूढ़े व बच्चे बचे थे. परिजन किसी तरह साथ लेकर रजौरी डूंगी बरमना इंडिया बॉर्डर पर लेकर आये थे. उन्होंने बताया कि रेवेन्यू रिकॉर्ड, पटवारी, जमीनी रिकॉर्ड, हरिद्वार व गया के पुरोहित की मदद से नामों की सूची तैयार की है. फिलहाल वे जम्मू कश्मीर के रजौरी बॉर्डर पर डुंगी बरमना में रहते हैं. उन्होंने बताया कि गयापाल पंडित जी से जम्मू कश्मीर के डोंगरा राजा के समय से ही जुड़ाव रहा है. यहां के गयापाल पंडित जी पूर्वज काल से हमारे वंश से जुड़े हुए हैं. तीन गोत्र के नाम की सूची में नाना -नानी, ससुराल व परिवार के पूर्वजों का नाम शामिल है.
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