मृगेंद्र मणि सिंह: अररिया में माननीयों के बीच शिलापट्ट को लेकर सियासत गरमायी हुई है. इसे लेकर नरपतगंज के भाजपा विधायक जयप्रकाश यादव एकबार फिर सुर्खियों में है. जिन्होंने अपनी ही पार्टी भाजपा की पूर्व विधायक देवयंती यादव के नाम के योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर लगे शिलापट्ट को हटवा दिया और ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमंडल फारबिसगंज के द्वारा अपने नाम का शिलापट्ट लगवा लिया. शिलापट्ट बदले जाने पर पूर्व विधायक देवयंती यादव नाराज हो गयीं और उन्होंने बथनाहा थाना में कनीय अभियंता समेत करीब दर्जन भर लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया है.
भाजपा की पूर्व विधायक ने थाने में दिया आवेदन, केस दर्ज कराया
भाजपा की पूर्व विधायक देवयंती यादव का शिलापट्ट हटाकर नरपतगंज के भाजपा विधायक जयप्रकाश यादव का शिलापट्ट लगा तो मामला पुलिस थाना पहुंच गया. पूर्व भाजपा विधायक देवयंती यादव ने बथनाहा थाना में आवेदन दिया है. जिसमें ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमंडल फारबिसगंज के कनीय अभियंता राज कुमार निराला और शकल देव पासवान सहित दस से बारह अज्ञात लोगों पर देवयंती यादव ने अपने विधायिकी काल में कराए गए कार्य और लगे बोर्ड और शिलापट्ट को हटाकर वर्तमान विधायक जयप्रकाश यादव के नाम का शिलापट्ट लगाए जाने का आरोप लगाया है.
पूर्व विधायक का आरोप
पूर्व विधायक देवयंती यादव ने अपने आवेदन में लिखा है कि बुधवार को उन्हें जानकारी मिली कि श्यामनगर वार्ड संख्या पंद्रह में उनके कार्यकाल में उनके द्वारा शिलान्यास करके लगाए गए योजना बोर्ड को ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमंडल फारबिसगंज के कनीय अभियंता राज कुमार मंडल एवं शकल देव पासवान नामक व्यक्ति ने अन्य दस पंद्रह अज्ञात मजदूरों के साथ मिलकर तोड़ा और ट्रैक्टर पर लादा है. इस दौरान गाली गलौज करने का जिक्र भी आवेदन में है.
पूर्व विधायक के आवेदन में कार्यपालक अभियंता के आदेश पर कार्रवाई का जिक्र
आवेदन में जिक्र है कि जिस ट्रैक्टर पर शिलापट्ट और बोर्ड को तोड़कर लादा गया था वह सोनालिका ट्रैक्टर बिना रजिस्ट्रेशन नंबर का है.पूर्व विधायक का आरोप है कि कनीय अभियंता सहित अन्य से ऐसा करने के बारे में पूछे जाने पर कार्यपालक अभियंता के आदेश पर तोड़कर फेंक देने और उसकी जगह वर्तमान विधायक का शिलापट्ट लगाने की बात कही गयी. पूर्व विधायक ने अपने आवेदन में सरकारी योजना के बोर्ड को बिना किसी सक्षम पदाधिकारी या विभाग के आदेश के तोड़फोड़ करने को संज्ञेय अपराध करार देते हुए सार्वजनिक रूप से तोड़े जाने पर राजनीतिक छवि के धूमिल होने और प्रतिष्ठा के घोर हनन की बात कही और मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.