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दबकर रह गयी है सीनेट व छात्रसंघ चुनाव सहित प्रोन्नति व अनुकंपा पर नियुक्ति का मामला

एक माह पहले तक मुंगेर विश्वविद्यालय में सीनेट व छात्र संघ चुनाव सहित प्रोन्नति और अनुकंपा पर नियुक्ति की मांग को लेकर काफी हंगामा होता रहा.

एक माह से अधिक समय बाद भी प्रभारी कुलपति के भरोसे मुंगेर विश्वविद्यालय, अबतक 10 से अधिक कार्यों के लिये स्वीकृति को लेकर राजभवन भेजा गया है पत्र, प्रतिनिधि, मुंगेर. एक माह पहले तक मुंगेर विश्वविद्यालय में सीनेट व छात्र संघ चुनाव सहित प्रोन्नति और अनुकंपा पर नियुक्ति की मांग को लेकर काफी हंगामा होता रहा. एमयू के शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी संघों में भी दरार आ गयी, लेकिन आखिरकार सभी मामले विश्वविद्यालय में पूरी तरह दब कर रह गये. एक माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी मुंगेर विश्वविद्यालय प्रभारी कुलपति के भरोसे चल रहा है. इस दौरान करीब 10 कार्यों को लेकर स्वीकृति के लिये राजभवन को पत्र भेजने के बावजूद एमयू को राजभवन से स्वीकृति नहीं मिल पायी है. एमयू की पूर्व कुलपति प्रो. श्यामा राय के कार्यकाल का आखिरी साल वैसे तो काफी हंगामेदार रहा और विभिन्न मामलों को लेकर आंदोलन व धरना-प्रदर्शन होता रहा. इस दौरान सीनेट व छात्र संघ चुनाव सहित अनुकंपा पर नियुक्ति और राजनीति विज्ञान एवं अर्थशास्त्र सहित बंग्ला के शिक्षकों के प्रोन्नति का मामला काफी चर्चा में रहा. पूर्व कुलपति का कार्यकाल समाप्त होने और विश्वविद्यालय के लिये राजभवन से प्रभारी कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी के नियुक्त होने के बाद सभी चर्चित मामले दब कर रह गये हैं. जिसकी अब तो विश्वविद्यालय में सुगबुगाहट तक नहीं दिख रही है.

एक माह बाद भी प्रभारी कुलपति के भरोसे विश्वविद्यालय

मुंगेर विश्वविद्यालय का संचालन एक माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी प्रभारी कुलपति के भरोसे हो रहा है. जिन्हें राजभवन द्वारा नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं दिया गया है. यह हाल तब है जब एमयू के अधिकांश मामले नीतिगत निर्णय से ही जुड़े हैं. हालांकि 19 अगस्त 2024 को प्रभारी कुलपति के योगदान देने के बाद ही राजभवन से नीतिगत निर्णय लिये जाने को लेकर अनुमति मांगी गयी थी, साथ ही विश्वविद्यालय के कई लंबित कार्यों को लेकर लाइजनिंग ऑफिसर तक रखने की स्वीकृति मांगी गयी थी, लेकिन एक माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जहां प्रभारी कुलपति को अबतक राजभवन से नीतिगत निर्णय लिये जाने की स्वीकृति नहीं मिल पायी है. वहीं लाइजनिंग ऑफिसर रखने की अनुमति को भी राजभवन द्वारा होल्ड कर दिया गया है.

कई कार्यों के लिये स्वीकृति का मामला है पेंडिंग

बता दें कि राजभवन द्वारा प्रभारी कुलपति को नीतिगत निर्णय लेने के लिये अनुमति नहीं दी गयी है. ऐसे में एमयू द्वारा अबतक कई मामलों को लेकर स्वीकृति के लिये पत्र राजभवन को भेजा गया है. इसमें जमालपुर कॉलेज, जमालपुर में वरीयतम शिक्षक को प्रभारी प्राचार्य बनाने, ह्यूमिनिटीज और साइंस के लिये डीन की नियुक्ति करने, राजभवन के निर्देशानुसार वरीय शिक्षकों को कॉलेजों का प्राचार्य नियुक्त किये जाने को लेकर बीते दिनों हुए प्रोन्नति के आधार पर शिक्षकों का प्रस्ताव शामिल है. जिसपर अबतक राजभवन द्वारा स्वीकृति नहीं दी गयी है. हालांकि जिस प्रकार से एक माह पूर्व विश्वविद्यालय में मर्यादाओं की सीमाओं का उल्लंघन का मामला सामने आया, उससे शायद अब खुद राजभवन भी एमयू से जुड़े मामलों में अधिक दिलचस्पी नहीं ले रहा है.

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