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महिलाओं को कौशल व संसाधनों से सशक्त करेंगे तो गांवों की आयेगी समृद्धि : प्राचार्य

महिलाओं को कौशल व संसाधनों से सशक्त करेंगे तो गांवों की आयेगी समृद्धि : प्राचार्य

कृषक स्वर्ण समृद्धि सप्ताह व जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम आयोजित सत्तरकटैया . कृषि विज्ञान केंद्र अगवानपुर में कृषक स्वर्ण समृद्धि सप्ताह व जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम अंतर्गत कार्यशाला सह प्रक्षेत्र भ्रमण कार्यक्रम का संयुक्त रूप से आयोजन किया गया. केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ नित्यानंद ने सभी अतिथियों को बुके देकर स्वागत किया तथा कार्यक्रम की शुरुआत मंचासीन अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. इस कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि मंडन भारती कृषि महाविद्यालय के सह अधिष्ठता सह प्राचार्या डाॅ अरुणिमा कुमारी ने किसानों को बताया कि कृषक स्वर्ण समृद्धि सप्ताह के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा जिले के किसानों को समृद्ध बनाने के लिए कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. तकनीक के माध्यम से किसानों को खेती में होने वाले जोखिम, प्राकृतिक आपदा से होने वाले हानि को कम किया जा सके, जिससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिल सके. उन्होंने महिलाओं की कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ग्रामीण कृषि समुदायों में महिलाएं रीढ़ की हड्डी हैं. जब उन्हें कौशल और संसाधनों से सशक्त करेंगे तो हमारे गांवों की समृद्धि निश्चित होगी. संयुक्त निदेशक शष्य सह जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि किसान नवीनतम कृषि तकनीकों को अपनाकर अपनी उत्पादन क्षमता और स्थिरता को बढ़ायें. उन्होंने कहा कि खेती का भविष्य नवाचार में निहित है और हम चाहते हैं कि हमारे किसान हर संभव जानकारी और उपकरण से लैस हों ताकि वे सफलता प्राप्त कर सकें. क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान के सह निदेशक अनुसंधान डाॅ मनीष दत्त ओझा ने कहा कि पशुपालन से प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन मिलता है. इससे रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक आदि पर से भी निर्भरता को कम या पूरी तरह से प्राकृतिक खेती कर समाप्त किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मौसम के बदलते परिवेश में ऐसी खेती करने से खेती में अनिश्चितता को दूर करने में आसानी होती है एवं आय में वृद्धि होती है. कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक व प्रधान डॉ नित्यानंद ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्रों के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में कृषक स्वर्ण समृद्धि सप्ताह का शुभारंभ किया गया. भारत में प्रथम कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना वर्ष 1974 में पांडिचेरी में की गयी थी. देश में 731 कृषि विज्ञान केंद्र जिला स्तर पर कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों के बीच में कृषि की नवीन तकनीकों का प्रचार प्रसार एवं जागरूकता फैलाना है. यह कार्यक्रम सहरसा जिले के विभिन्न गांवों एवं केंद्र पर 23 से 27 सितंबर तक आयोजित किया गया. कार्यक्रम के तहत किसानों को खेती के अलावा मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, मुर्गी पालन, पशु पालन के साथ औद्योगिक फसलों की खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. जिससे किसानों का अतिरिक्त आय का सृजन हो सके और अन्य लोगों को रोजगार का अवसर मिलता रहे. डॉ विमलेश कुमार पांडेय ने कृषि में प्रयुक्त होने वाले छोटे उपकरणों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. डाॅ पंकज कुमार राय ने सब्जियों के नर्सरी प्रबंधन तथा पुराने व अनुपयोगी बागों के जीर्णोद्धार के बारे में जानकारी दी. अमित शेखर ने धान के विभिन्न रोग एवं कीटों के पहचान एवं प्रबंधन के बारे में बताया. अशोक पंडित ने केंचुआ खाद उत्पादन एवं उससे उद्यमिता विकास तथा गेहूं की वैज्ञानिक खेती पर विस्तार से चर्चा की.

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