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पहाड़ पर रहने वाली गर्भवती माताओं के लिए सरजमीं पर मिलेगा अब जननी आश्रय केंद्र

जिले के सुंदरपहाड़ी, बोआरीजाेर एवं पोड़ैयाहाट प्रखंड में जननी आश्रय केंद्र भवन का निर्माण लगभग पूरा

गोड्डा जिले में स्वस्थ मां व बच्चे के कॉन्सेप्ट के साथ सुरक्षित प्रसव को प्रमुखता देते हुए एक बड़ी पहल की जा रही है. जननी आश्रय केंद्र के नाम से भवन का निर्माण किया जा रहा है, जिसका सीधा लाभ गर्भवती महिलाओं को होगा. इस पहल से जिले के पहाड़ी व सुदूरवर्ती क्षेत्र की महिलाओं को काफी लाभ मिलेगा, जहां से प्रसव के दौरान गर्भवती माताओं को लाने में विलंब होता है. इतना ही नहीं, आने में महिलाओं की सेहत पर भी प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है. इन महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर जननी आश्रय केंद्र का निर्माण किया जा रहा है. जिले में फिलहाल ऐसे तीन केंद्रों का निमार्ण हो रहा है. तीनों केंद्र जिले के सुदूर व पहाड़ी क्षेत्र में है. पहाड़ व वनों से आच्छादित सुंदरपहाड़ी, बोआरीजोर के अलावा पोड़ैयाहाट एवं सुंदरपहाड़ी के सीमा पर पोड़ैयाहाट में केंद्र बनाया जा रहा है.

कहां बनाया जा रहा है जननी केंद्र :

सुंदरपहाड़ी प्रखंड के साबेकुंडी गांव में, बोआरीजोर के रतनपुर गांव एवं पोड़ैयाहाट के मलमला गांव में तीन केंद्रों का निर्माण डीएमएफटी की राशि से की जा रही है. इस केंद्र के निर्माण की पहल सीएस द्वारा किये जाने के बाद जिला प्रशासन द्वारा डीएमएफटी की लगभग करोड़ की राशि से जननी आश्रय केंद्र का निर्माण कराया जा रहा है. केंद्र को खासतौर पर सुंदरपहाड़ी व बोआरीजोर पहाड़ के नीचे बनाया जा रहा है, जबकि पोड़ैयाहाट के मलमला के पास सुदरू गांव व जंगली क्षेत्र में बनाया जा रहा है.

क्या है केंद्र बनाने का उद्देश्य :

जननी से केंद्र को जोड़ते हुए इस बात की व्यवस्था की जा रही है कि पहाड़ पर रहने वाली गर्भवती महिलाओं को प्रसव के पहले यानि समय सीमा को देखते हुए एक सप्ताह के पहले लाया जायेगा. सुदूरवर्ती पहाड़ या सड़क सुविधा से वंचित गांव की महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर नीचे बनाये गये जननी आश्रय केंद्र में लाना है. केंद्र में गर्भवती महिलाओं को रखने के साथ उसे सुविधा भी उपलब्ध करायी जायेगी. उसके स्वास्थ्य आदि की जांच की जायेगी तथा इसके लिए नर्स के साथ एक वाहन की भी व्यवस्था रहेगी. केंद्र में एक साथ दस बेड लगाये जायेंगे, जहां एक साथ सभी को रखे जाने की व्यवस्था रहेगी. इस क्रम में प्रसव के पहले दर्द की शिकायत पर महिलाओं को पास के तीन-चार किमी के नजदीक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया जायेगा, जहां सफल प्रसव करायी जा सकेगी. फिलहाल जिले में करीब तीनों केंद्र का निर्माण लगभग पूरा कर लिया गया है. सीएस डॉ अनंत कुमार झा केंद्र का निरीक्षण कर जानकारी ले रहे हैं.

‘जल्द ही केंद्र में कार्य शुरू हो जायेगा. गोड्डा जिले में दो प्रखंड में सर्वाधिक पहाड़ों पर रहने वाले पहाड़िया आदिवासी हैं. साथ ही आदिवासी समाज के लोग भी सुदूर व दुरूह गांवों में निवास करते हैं. ऐसे गांव में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को अचानक गाड़ी या एंबुलेंस खोजने में परेशानी होती है. जननी आश्रय केंद्र ऐसी महिलाओं के लिए बड़ा सहारा बन पायेगा. पहली बार यह प्रयोग किया जा रहा है.

डॉ अनंत कुमार झा, सिविल सर्जन, गोड्डाB

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