Bihar Flood: नेपाल की भारी बारिश से बिहार में कोसी और गंडक नदी के जलस्तर को काफी अधिक बढ़ा दिया. बिहार में बाढ़ का संकट अधिक गहरा गया है. शनिवार को कोसी बराज से रिकॉर्ड पानी छोड़ा गया. 1968 के बाद सबसे अधिक डिस्चार्ज दर्ज हुआ जो 6 लाख क्यूसेक से अधिक रहा. कोसी के रौद्र रूप को देखकर लोग भयभीत रहे. वहीं रविवार सुबह से कोसी बराज पर पानी घटना शुरू हुआ तो लोगों ने राहत की सांस ली. हालांकि अब कटाव की चुनौती बढ़ गयी है. इधर, शनिवार की रात को कोसी बराज की सड़क पर पानी जमा हो गया. लोगों के बीच इसे लेकर भय का माहौल बन गया कि कोसी बराज पर अब माहौल बिगड़ने लगा है. हालांकि सड़क पर पानी पहुंचने के पीछे की वजह भी सामने आ गयी.
कोसी बराज की सड़क पर पसरा पानी, वीडियो देख सहमे लोग
कोसी बराज पर शनिवार को लोगों की भीड़ जमा रही. कोसी के उग्र रूप का लोग वीडियो बनाते दिखे. सोशल मीडिया पर भी यह खूब वायरल हुआ. जैसे-जैसे शाम ढला लोगों की चिंता बढ़ती गयी. दरअसल, शाम तक 5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका था. अब रात काटना लोगों को भारी दिख रहा था. रात में संकट गहराने का भय लोगों के अंदर था. इस बीच कोसी बराज का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें कोसी बराज के सड़क पर पानी फैला था. लोगों को इस बात का डर सताने लगा कि बराज पर पानी अब इस कदर बढ़ चुका है कि बाहर सड़क पर पहुंच गया.
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पानी उतरा तो कचरों का अंबार दिखा
दरअसल, बराज के 21 नंबर स्ट्रीम के नीचे लकड़ी फंस जाने और गाद भर जाने के कारण बराज की सड़क पर कोसी का पानी हिलकोर के साथ चढ़ गया था. देर रात तक यह पानी जमा रहा. कोसी बराज पर वाहनों के परिचालन पर नेपाल सरकार ने रोक लगा दी. वहीं सुबह जब कोसी बराज से पानी उतरने लगा तो जिस सड़क पर पानी चढ़ा था वहां कचरों का अंबार दिखा जो कोसी नदी अपने साथ बहाकर लायी थी.
कोसी नदी के बारे में जानिए खास बात…
नदी मामलों के जानकार तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुनील सिंह बताते हैं कि कोसी का चरित्र अन्य नदियों से काफी अलग है. अन्य नदियों के लोड में अत्याधिक डिस्चार्ज के समय जहां मिट्टी और बालू होते हैं. वहीं कोसी का लोड सिल्ट है. क्योंकि अन्य नदियों के मुकाबले यह बहुत तेजी से नेपाल स्थित चतरा के पास मैदानी इलाके में प्रवेश करती है और अपनी 72 किलोमीटर की यात्रा के बाद भारतीय सीमा में इसका लोड सेटल नहीं हो पाता है. यही कारण है की यह सिल्ट कोसी बराज की क्षमता कम करता है और इसके गेट को क्षति भी पहुंचाता है. सिल्ट को सैंड में बदलने और फिर सैंड को मिट्टी में बदलने की एक लंबी प्रक्रिया है. इसीलिए इस नदी को अभिशाप माना गया. क्योंकि यह सिल्ट जब भी कोसी के बाढ़ के साथ उर्वर इलाकों को अप्लावित किया, वो धरती बांझ हो जाती थी . इसी सिल्ट के चलते बराज की इस पर बने बांधों की क्षमता उत्तरोत्तर कम हो रही है. जबकि अक्सर ड्रेजिंग की जाती है.