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शुरूआती लक्षणों की अनदेखी टीबी के प्रसार की मुख्य वजह

ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता का अभाव

ग्रामीण इलाकों में टीबी जांच के प्रति जागरूकता का अभी भी अभावफोटो-28-डीटीयू में मरीजों की जांच करते स्वास्थ्य अधिकारी. प्रतिनिधि, अररियाटीबी एक गंभीर संक्रामक बीमारी है. वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित है. इसे लेकर हाल के वर्षों में सरकार द्वारा टीबी उन्मूलन संबंधी कई योजनाएं व अभियान संचालित किया जा रहा है. लेकिन जागरूकता की कमी, चिकित्सा सेवाओं की सीमित पहुंच व टीबी बीमारी को लेकर समाज में व्याप्त कई गलत धारणाएं इन संचालित योजनाओं का अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहा है. ग्रामीण इलाके के लोगों में टीबी जांच के प्रति जागरूकता की कमी अभी भी बनी हुई है. लिहाजा लोग समय पर टीबी जांच से परहेज करते हैं. इससे रोग का तेजी से प्रसार होता है.

शुरुआती लक्षणों की अनदेखी खतरनाक

टीबी उन्मूलन के प्रयासों से जुड़ी चुनौतियों का जिक्र करते हुए सिविल सर्जन डॉ केके कश्यप ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में टीबी के लक्षण व खतरों के प्रति अभी भी जागरूकता की कमी है. लोग खांसी, बुखार, शारीरिक कमजोरी जैसे टीबी के सामान्य लक्षणों को गंभीरता से नहीं लेते हैं. जब तक मरीज की स्थिति गंभीर नहीं हो जाती है. तब तक वे जांच के लिए आगे नहीं आते. टीबी के शुरुआती लक्षणों की अनदेखी के कारण बीमारी का फैलाव तेजी से होता है. ग्रामीण इलाकों में टीबी रोग को लेकर कई गलत धारणाएं व मिथक व्याप्त हैं. बहुत से लोग इसे शर्म व कलंक के रूप में देखते हैं. इस डर से जांच से बचते हैं. इस कारण रोगी का समय पर जांच व उपचार नहीं हो पाता है. टीबी मरीजों को मिलने वाली सरकारी लाभ, पौष्टिक आहार भत्ता मुफ्त दवाएं जैसी सुविधाओं के बारे में सीमित जानकारी होने की वजह से लोग इसका समुचित लाभ नहीं उठा पाते हैं. स्वास्थ्य विभाग इन चुनौतियों को चिह्नित करते हुए इसे दूर करने के प्रयासों में जुटा है. ताकि रोग उन्मूलन संबंधी प्रयासों को प्रभावी बनाया जा सके.

आपसी समन्वय से नियंत्रण का हो रहा प्रयास

जिला टीबी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ वाईपी सिंह ने बताया कि सरकार टीबी उन्मूलन को लेकर विभिन्न कार्यक्रम व अभियान संचालित कर रही है. इसमें निक्षय मित्र, निक्षय पोषण योजना प्रमुख हैं. इसकी मदद से मरीजों तक समुचित सहायता पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है. रोग के शुरुआती चरण में जांच व इलाज आरंभ होने से इस पर प्रभावी नियंत्रण संभव है. इसे लेकर विभाग आशा कार्यकर्ताओं का क्षमतावर्धन करते हुए समुदाय स्तर पर टीबी जागरूकता संबंधी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने की योजना पर काम कर रहा है. रोग प्रभावित संवेदनशील इलाकों को चिन्हित करते हुए वरीय स्वास्थ्य अधिकारी व स्थानीय जनप्रतिनिधि व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए विशेष जागरूकता अभियान संचालित करने की योजना पर अमल किया जा रहा है. ताकि ग्रामीण इलाके के लोगों को समय पर रोग की जांच व इलाज के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित किया जा सके.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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