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डॉ चौधरी राष्ट्रीय पर्यावरण सेवी पुरस्कार से सम्मानित

टीएमबीयू के पीजी जूलॉजी विभाग के शिक्षक डॉ डीएन चौधरी को पर्यावरण एवं वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए राष्ट्रीय पर्यावरण सेवी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

टीएमबीयू के पीजी जूलॉजी विभाग के शिक्षक डॉ डीएन चौधरी को पर्यावरण एवं वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए राष्ट्रीय पर्यावरण सेवी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. सह पुरस्कार रांची के प्रतिष्ठित प्रेस क्लब में 29 सितंबर को आयोजित कार्यक्रम में दिया गया है. इस सम्मेलन का आयोजन भारत के पर्यावरण विद् सह जल संरक्षक अनुपम मिश्र की स्मृति में गोदावरी फाउंडेशन रांची एवं सावित्रीबाई फाउंडेशन, पुणे महाराष्ट्र के सौजन्य से किया गया है. डॉ चौधरी ने कहा कि सम्मान समारोह में पर्यावरण संरक्षण एवं बाल विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत के विभिन्न राज्यों से चयनित लगभग 25 प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया, बता दें कि डाॅ चौधरी एक वन्य जीव लेखक भी हैं. उनके 50 से भी अधिक शोध पत्र एवं आलेख राष्ट्रीय व अंतर राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुका है, ——————————- बिजली नहीं रहने व जेनरेटर की सुविधा नहीं होने से कामकाज ठप टीएमबीयू में तीन दिनों से बिजली नहीं रहने व जेनरेटर की सुविधा नहीं होने से कामकाज ठप हो गया है. सोमवार को भी बिजली के नहीं रहने जेनरेटर की सुविधा नहीं रहने के कारण परीक्षा विभाग सहित विवि के सभी शाखा में कामकाज नहीं हो सका. इसका असर सबसे ज्यादा परीक्षा विभाग में दिखा गया. जहां दूर-दराज से छात्र-छात्राएं अंकपत्र, एडमिट कार्ड में नाम सुधार सहित कई जरूरी काम नहीं हो सका. वहीं, पीजी के टेबुलेशन सहित अन्य शाखा में कर्मचारी व शिक्षकों द्वारा छात्र-छात्राओं का जरूरी काम को मोबाइल की रोशनी में निष्पादित करते नजर आ रहे थे. बिजली के नहीं रहने से व जेनरेट नहीं चलने से परीक्षा विभाग का कंप्यूटर बंद रहा. ऐसे में अंकपत्र आदि निकाला जा सका. पेंशन, लीगल, डीएसडब्ल्यू कार्यालय, स्थापना शाखा, सीसीडीसी कार्यालय, प्रॉक्टर कार्यालय, जेनरल शाखा, डीओ कार्यालय में बिजली के नहीं रहने के कारण कामकाज ठप रहा. गर्मी के कारण कर्मचारी अपने-अपने शाखा से बाहर निकल कर रहना पड़ रहा था. जबकि कुछ अधिकारी के कार्यालय में इनर्वटर की व्यवस्था थी, लेकिन चार्ज नहीं होने के कारण इनर्वटर भी जवाब दे दिया था. उधर, कर्मचारियों का कहना था कि विवि में जेनरेटर है. लेकिन विवि में बाढ़ का पानी आने के कारण जेनरेटर में घुस गया. इससे जेनरेटर खराब है. ठीक करने के लिए इंजीनियरिंग शाखा को जिम्मेवारी सौंपी गयी है. लेकिन जेनरेटर से संबंधित फाइल एक अधिकारी के टेबुल पर रखी है. ऐसे में राशि नहीं मिलने से जेनरेटर का मरम्मत कार्य नहीं हो पा रहा है. हालांकि विवि के अधिकारियों का कहना था कि बिजली कंपनी द्वारा तार बदलने का काम चल रहा है. इस कारण से से बिजली काटी गयी है. वहीं, विवि कर्मचारी संघ के महासचिव सह सीनेट सदस्य रंजीत कुमार ने कहा कि बाढ का पानी हटने के बाद से रजिस्ट्रार, एफए व एफओ विवि स्थित अपने-अपने कार्यालय नहीं आ रहे है. विवि के गेस्ट हाउस में ही काम करते है. ऐसे में विवि में अधिकारी के नहीं रहने पर जेनरेटर भी नहीं चलाया जाता है. विवि के कर्मचारी बिना रोशनी व पानी के ही गर्मी में अपने-अपने कार्यालय में काम कर रहे हैं.

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