कोसी बराज से पानी छोड़ने के बाद नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा है, जिससे नवगछिया अनुमंडल के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा है. ग्रामीणों की स्थिति बेहद खराब है. कई गांवों में पानी घुसने से लोग घर छोड़ने को मजबूर हो गये हैं. हाल ही में जलस्तर में थोड़ी कमी आयी थी, लेकिन अब फिर से पानी बढ़ने लगा है. गांव के लोग इस बार की बाढ़ को तीसरी बार झेल रहे हैं उनके पास ऊंची जगहों पर शरण लेने के सिवा कोई चारा नहीं है. जिलाधिकारी ने गांव खाली करने का आदेश दिया है, लेकिन लोगों के पास सुरक्षित स्थानों पर जाने की उचित व्यवस्था नहीं है. रेल लाइनों और राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे सैकड़ों लोग अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं. यह स्थिति हर साल की तरह इस बार भी ग्रामीणों के लिए गंभीर समस्या बन गयी है और राहत कार्यों की कमी के कारण उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोग कई महीनों तक इस त्रासदी से जूझते रहते हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान अब तक नहीं हो पाया है. नवगछिया अनुमंडल की आधी से ज्यादा आबादी हर साल गंगा और कोसी नदी की बाढ़ से जूझती है. इस साल भी पहले गंगा का कहर और अब कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने से संकट फिर से गहराता जा रहा है. सहोरा गांव के लोग इस समस्या से बुरी तरह प्रभावित हैं, जहां घरों में सीने तक पानी भर गया है और लोग अपने जीवन को खतरे में डाल कर जुगाड़ के नावों का इस्तेमाल कर रहे हैं. ग्रामीणों ने ट्यूब और ड्रम से बने नाव तैयार किये हैं, जिसके सहारे वह एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच रहे हैं. पेड़ों से रस्सी बांध कर नावों को खींचते लोग नदी पार करने की कोशिश कर रहे हैं. छोटे बच्चे- बच्चियां भी इन्हीं जुगाड़ नावों से यात्रा करने को मजबूर हैं, जिससे उनके लिए खतरा बढ़ जाता है. स्थिति इतनी गंभीर है कि लोग पीने के पानी के लिए एनएच के किनारे तक आते हैं और फिर डिब्बों में पानी भरकर उन्हीं ड्रम के नावों से वापस अपने घरों को जाते हैं. गांव के 150 से अधिक घर पानी में डूब चुके हैं. लोग अपने घरों और सामान को बचाने के साथ-साथ खुद की जिंदगी भी किसी तरह गुजारने की कोशिश कर रहे हैं.
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