Prashant Kishor: 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर बिहार की राजनीति में एक नई पार्टी का जन्म होगा, जिसका नाम होगा जन सुराज और इसके सूत्रधार होंगे प्रशांत किशोर. इसे लेकर पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इसमें दल के नेता, नेतृत्व परिषद और संविधान की घोषणा की जाएगी. प्रशांत किशोर पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वो बिहार की सभी विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे.
पार्टी की घोषणा से पहले कई ऐलान
प्रशांत किशोर अपनी पार्टी के जरिए बिहार की राजनीति में कई नए प्रयोग करने जा रहे हैं. उन्होंने पार्टी की घोषणा से पहले कई ऐलान किए हैं. जैसे कि उन्होंने ‘राइट टू रिकॉल’ जैसे नवाचारों की बात की है, जिसके तहत जनता अपने प्रतिनिधियों को हटा सकती है. इसके अलावा उन्होंने बिहार से 15 मिनट में शराबबंदी हटाने और महिलाओं और मुसलमानों को ज्यादा प्रतिनिधित्व देने का वादा किया है. अब इन वादों का जमीन पर क्या असर होगा ये तो आने वाले चुनाव में ही दिखेगा.
प्रशांत किशोर का ‘राइट टू रिकॉल’ का दांव
प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी के गठन से पहले ही एक बड़ा कार्ड खेला है, ‘राइट टू रिकॉल’ (जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार). उन्होंने अपनी पार्टी के भीतर इस फॉर्मूले को लागू करने की बात कही है. उनका कहना है कि अगर कोई विधायक अपने क्षेत्र की जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है तो पार्टी के कार्यकर्ता उस विधायक के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकेंगे. अगर प्रस्ताव पास हो जाता है तो उस विधायक को इस्तीफा देना पड़ेगा.
15 मिनट में शराबबंदी खत्म करने का वादा
पद यात्रा के दौरान शराबबंदी के खिलाफ भी प्रशांत किशोर के बयानों ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं. उनका कहना है कि अगर उनकी सरकार बनी तो वे 15 मिनट के अंदर शराबबंदी खत्म कर देंगे. उन्होंने तर्क दिया कि शराबबंदी से राज्य को मिलने वाले राजस्व को शिक्षा में लगाया जाएगा. साथ ही उन्होंने मौजूदा शराबबंदी को ‘नाम की पाबंदी’ करार दिया, जहां शराब की दुकानें बंद हैं लेकिन शराब घर-घर पहुंचाई जा रही है.
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महिलाओं और मुसलमानों के लिए विशेष फॉर्मूला
प्रशांत किशोर ने यह भी घोषणा की है कि उनकी पार्टी बिहार के हर लोकसभा क्षेत्र में कम से कम एक काबिल महिला और एक मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट देगी. यह फॉर्मूला महिलाओं और मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने की कोशिश है, क्योंकि अब तक किसी भी बड़ी पार्टी ने इतनी बड़ी संख्या में इन समूहों को टिकट नहीं दिया है. इस कदम से प्रशांत किशोर अपनी पार्टी को सामाजिक संतुलन देने की कोशिश कर रहे हैं.
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