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बुधवार को महालया, धरती पर आयेंगी मां दुर्गा

महालया को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर आती हैं.

लखीसराय. महालया को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर आती हैं. देवी के इसी क्रम को महालया कहते हैं. वहीं इस दिन को बुराई पर अच्छाई के रूप में भी देखा जाता है. इसके अगले दिन शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है और कलश स्थापना की जाती है. किऊल थाना क्षेत्र स्थित रेलवे इंस्टीट्यूट परिसर में स्थित दुर्गा मंदिर में इसकी तैयारी कर ली गयी है. वे लोग ”जागो तुमि जागो” (तुम जागो) कहकर अहले सुबह उठेंगे और चंडी पाठ सुनेंगे. चंडी पाठ के महिषासुर मर्दिनी अध्याय में मां दुर्गा के जन्म और राक्षस राजा महिषासुर पर उनकी अंतिम विजय का वर्णन है. इसे सुनने के बाद ही लोग अन्न-जल ग्रहण करेंगे.

नौ दिनों तक प्रज्ज्वलित होगी आस्था की ज्योति

शहर से लेकर गांव तक पूरे जोर-शोर से दुर्गा उत्सव की तैयारियां चल रही हैं. आज यानि बुधवार को महालया मनाया और परसों कल गुरुवार को ग्रह गोचरों के शुभ संयोग में घरों, दुर्गा मंदिरों से लेकर पूजा पंडालों तक में कलश स्थापना होगी. कलश स्थापना के साथ नौ देवियों की पूजा शुरू की जायेगी. यह नवरात्र प्रतिपदा से शुरू होकर विजयादशमी 12 अक्तूबर को समाप्त होगा. कलश स्थापना को लेकर इन दिनों पूजन सामग्री, मां की पोशाक, चुनरी और कलश आदि की मांग बढ़ी है. भक्त कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री खरीदने बाजार पहुंच रहे हैं.

शक्ति की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा में तीन अक्तूबर (गुरुवार) को हस्त नक्षत्र, ऐंद्र योग एवं जयद् योग के साथ बुध प्रधान कन्या राशि में चंद्र व सूर्य की उपस्थिति में शुरू होगा. नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना होगी. शारदीय नवरात्र के पहले दिन माता शैलपुत्री की उपासना की जायेगी. सनातन धर्मावलंबी निराहार या फलाहार रहते हुए अपने घर, मंदिर व पूजा पंडालों में घट स्थापना के बाद दुर्गा सप्तशती, रामचरितमानस, सुंदरकांड, रामरक्षा स्त्रोत्र, दुर्गा सहस्त्र नाम, अर्गला, कवच, कील, सिद्ध कुंजिका स्त्रोत्र आदि का पाठ आरंभ करेंगे.

पूजन सामग्रियों का सजा बाजार, खरीदारी भी शुरू

दुर्गा उत्सव को लेकर शहर के बाजार पूजन सामग्रियों से सज गये है. पूजा के लिए मिट्टी के कलश, नारियल, चुनरी, रोली, घी, धूप बत्ती, अगरबत्ती, हुमाद, सुपारी, जौ, कपूर सहित पूजा में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्री की लोग खरीदारी कर रहे हैं. दुकानदारों का कहना है कि महंगाई के कारण लोगों के घर का बजट भले ही गड़बड़ा रहा है, लेकिन देवी की आराधना करने में भक्त कोई कमी नहीं करते दिख रहे हैं. श्रद्धालुओं के बजट के अनुसार पूजन सामग्री मौजूद हैं. नौ दिन के व्रत में अन्न से परहेज किया जाता है, इसलिए बाजार में कुट्टू, सिंघाड़ा और साबूदाना अन्य सामग्रियों के भी स्टॉक दुकानदारों ने कर रखा है.

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