वरीय संवाददाता, रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य के साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा व जामताड़ा आदि क्षेत्र में अवैध प्रवासियों (बांग्लादेशी घुसपैठिये) के प्रवेश के कारण जनसंख्या में हो रहे बदलाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया (एसजीआइ) तुषार मेहता व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन का पक्ष सुना. पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 नवंबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व एसजीआइ तुषार मेहता वर्चुअल रूप से सुनवाई में जुड़े. उन्होंने बताया कि संतालपरगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठ हुई है या नहीं, इसको लेकर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित करने के बिंदु पर 30 सितंबर को केंद्रीय गृह सचिव व झारखंड के मुख्य सचिव के बीच बैठक हुई थी, जिसमें कमेटी के गठन पर सहमति नहीं बन पायी. झारखंड हाइकोर्ट के 20 सितंबर 2024 के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी है. सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने एसएलपी दायर कर आदेश को चुनाैती दी है. कहा गया कि मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सुनवाई की जानी चाहिए. खंडपीठ ने केंद्र सरकार व राज्य सरकार के संयुक्त आग्रह को देखते हुए मामले की अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सोमा उरांव ने जनहित याचिका दायर कर आदिवासियों के धर्म परिवर्तन का मामला उठाया है. वहीं दानियल दानिश ने जनहित याचिका दायर कर बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रवेश को रोकने की मांग की है. वहीं प्रार्थी की याचिका व हस्तक्षेपकर्ता की ओर से बताया गया है कि संतालपरगना क्षेत्र के दुमका, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़, जामताड़ा आदि जिलों में बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठ हो रहा है, जिसके चलते उस क्षेत्र में डेमोग्राफी में बदलाव की समस्या काफी गंभीर हो गयी है. उस क्षेत्र में 44 प्रतिशत आदिवासियों की संख्या थी, जो घट कर लगभग 28 प्रतिशत पहुंच गयी है. केंद्र सरकार के शपथ पत्र में भी बताया गया है कि वर्ष 2011 तक संताल परगना क्षेत्र में मुसलमानों की आबादी में औसत 13.3 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जबकि इसी अवधि में साहिबगंज व पाकुड़ में लगभग 35 प्रतिशत मुसलमानों की आबादी में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है.
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