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Jharkhand Politics: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन सोमवार (3 अक्टूबर) को पाकुड़ के मांझी परगना महासम्मेलन में बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ बिगुल फूंक दिया. उन्होंने कहा कि संताल परगना से बांग्लादेशी घुसपैठियों को निकाल फेंकेंगे. साथ ही आश्वासन दिया कि आदिवासियों से छीनी गई जमीन पर फिर से उनको कब्जा दिलवाएंगे.
हम आदिवासी दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता – चंपाई सोरेन
पाकुड़ के शहरकोल पंचायत के गोकुलपुर हाट मैदान में आदिवासी समाज की ओर से आयोजित मांझी परगना महासम्मेलन में उन्होंने ये बातें कहीं. चंपाई सोरेन ने कहा कि हम आदिवासी दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता से हैं. आदिवासियों ने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा. हमारे समाज ने किसी भी हाल में किसी के भी सामने घुटने नहीं टेके. उन्होंने लोगों को याद दिलाया कि ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ संताल परगना की मिट्टी से ही पहला विद्रोह हुआ था.
#WATCH | Pakur | Former Jharkhand CM & BJP leader Champai Soren says, "…Due to Bangladeshi infiltrators, one after another tribal villages are becoming extinct. I am awakening my community about the lands of tribals being looted. From where these people are coming? Here, you… pic.twitter.com/oeWnMim65p
— ANI (@ANI) October 3, 2024
संतालियों के विद्रोह की वजह से बना एसपीटी एक्ट
चंपाई सोरेन ने कहा कि संताल परगना की इसी धरती पर बाबा तिलका मांझी, वीर सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और वीरांगना फूलो-झानो जैसी क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों की हुकूमत को चुनौती दी थी. उनकी वजह से ही संताल परगना कास्तकारी अधिनियम बना था. उन्होंने कहा कि जिस माटी में जन्मे हमारे पूर्वजों ने अपनी जमीन और आत्मसम्मान के लिए अंग्रेजों से युद्ध किया था, वहां हम किसी भी घुसपैठिए को रहने नहीं देंगे.
दर्जनों गांवों से आदिवासियों का नाम-ओ-निशान मिट गया
भाजपा नेता ने कहा कि हम आदिवासियों को सीधा-सरल माना जाता है. जब बात अस्तित्व की आती है, तो हमारा समाज किसी भी हद तक जाने को तैयार है. कहा कि ये घुसपैठिए हमारी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं. हमारी बहू-बेटियों की अस्मत खतरे में है. दर्जनों गांवों से आदिवासियों का नाम-ओ-निशान मिट चुका है.
बैसी बुलाकर लोगों को वापस करेंगे उनकी जमीन
चंपाई सोरेन ने कहा कि हमारे समाज के पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था की मदद से, हमलोग बैसी बुलाकर, उन सभी लोगों को उनका मकान और उनकी जमीनें वापस दिलवाएंगे, जिनकी जमीन पर घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया है. कहा कि संताल परगना कास्तकारी अधिनियम के बावजूद इन गांवों से आदिवासी उजड़ गये, क्योंकि हमारी मांझी परगना व्यवस्था को कमजोर कर दिया गया. हमारा प्रयास है कि आदिवासी समाज की इस स्वशासन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जाये.
आदिवासी समुदाय के लोगों को जागरूक करने निकला हूं
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम चुके चंपाई सोरेन ने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों की वजह से कई आदिवासी गांवों का अस्तित्व ही संकट में आ गया है. मैं अपने समुदाय के लोगों को यह बताने निकला हूं. उनको बता रहा हूं कि आपकी जमीनें लूटी जा रहीं हैं. ये जमीन लूटने वाले लोग कहां से आ रहे हैं? यहां आप अपनी जमीन नहीं बेच सकते, लेकिन गांवों का अस्तित्व खत्म हो रहा है. इसलिए मैं अपने आदिवासी भाईयों को जागरूक करने के लिए निकला हूं.
मांझी परगना और बैसी संताल परगना ने बुलाया था महासम्मेलन
मांझी परगना एवं बैसी संताल परगना द्वारा आयोजित महासम्मेलन में भाग लेने के पहले पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने सिदो-कान्हू, चांद-भैरव की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. इस कार्यक्रम को पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रम के साथ-साथ ग्राम प्रधानों ने भी संबोधित किया.