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Jharkhand News: झारखंड के मुख्य वन संरक्षक ने खास बातचीत में बताया- क्या है उनकी पहली प्राथमिकता

झारखंड के मुख्य वन संरक्षक सत्यजीत सिंह ने बताया कि वे अपनी नौकरी के प्रारंभिक दौर में पलामू रहे हैं तो इसलिए पीटीआर के प्रति उनका एक स्वाभाविक रुझान रहा है.

पलामू, सैकत चटर्जी: झारखंड के नवनियुक्त मुख्य वन संरक्षक, वन्य प्राणी सह मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक सत्यजीत सिंह ने कहा है कि  राज्य में वन एवं वन्य जीवों का संरक्षण व संवर्धन उनकी पहली प्राथमिकता होगी. साथ ही पलामू टाइगर रिजर्व पर खास निगाह रहेगी. राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्य प्राणी सह मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक के पद पर योगदान देने का बाद वे प्रभात खबर से खास बातचीत के दौरान यह बात बताई.

जानिए कौन है सत्यजीत सिंह

भारतीय वन सेवा के पदाधिकारी सत्यजीत सिंह अपर मुख्य वन संरक्षक एवं निदेशक, प्रसार वानिकी, दुमका के पद पर कार्यरत थे. उन्हें प्रन्नोति देते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्य प्राणी सह मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक बनाया गया है. अपनी सेवा के प्रारंभिक दौर में वे 1997 से 2001 तक पलामू टाइगर रिजर्व में डिप्टी डायरेक्टर सह डीएफओ के पद पर कार्यरत थे. इसके बाद वे झारखंड के कई जगह पर कार्यरत रहे. उन्हें वन्य प्राणी संरक्षण के लिए जाना जाता है.

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पीटीआर के प्रति है खास रुझान

एक सवाल के जवाब में सत्यजीत सिंह ने बताया कि वे अपनी नौकरी के प्रारंभिक दौर में पलामू रहे हैं तो इसलिए पीटीआर के प्रति उनका एक स्वाभाविक रुझान रहा है. इसलिए अब प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्य प्राणी सह मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक के हैसियत से इस क्षेत्र के प्रति उनका खास ध्यान रहेगा. कैसे पीटीआर को वन्य प्राणी संरक्षण और संवर्धन की दिशा में देश के मानचित्र पर ऊपरी पायदान पर स्थान दिलाया जा सके. इसके लिए हर मुमकिन प्रयास किया जायेगा.

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पीटीआर की जैव विविधता श्रेष्ठ

सत्यजीत सिंह ने कहा कि अगर जैव विविधता की बात की जाए तो पीटीआर इसके लिए एक श्रेष्ठ इलाका है. यहां स्वाभाविक रूप से भरपूर जैव विविधता है, जरूरत है तो इसे सिर्फ नष्ट होने से बचाये जाने की. सिर्फ इसके संरक्षण से खुद ब खुद इनका संवर्धन होता जायेगा. वन्य प्राणी के लिए भी यह इलाका काफी अनुकूल है, वन्य प्राणी जीवन पर बाहरी हस्तक्षेप न हो बस इतना सा कर देने से बाकी का काम प्रकृति खुद कर लेगी.

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विस्थापन का मामला सुलझा लिया जाएगा

सत्यजीत सिंह ने यह भी बताया कि पीटीआर में जो तीन गांव का विस्थापन का मुद्दा है वो काफी हद तक सुलझ गया है. जो थोड़ी बहुत परेशानी उभरी है उसे भी सुलझा लिया जायेगा. तीन गांव के विस्थापन हो जाने से यह इलाका पूरी तरह से मानव आवागमन रहित हो जाएगा, जिससे यह क्षेत्र बाघ सहित अन्य वन्य जीवों का आश्रयस्थली के रूप में विकसित हो जाएगा. विस्थापितों को उनका अधिकार और हक मिले इसके लिए भी विभाग संवेदनशील है.

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पर्यटन के विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा

सत्यजीत सिंह ने पर्यटन के विकास पर बात करते हुए बताया कि पीटीआर में इन दिनों पर्यटन एक प्रमुख आय का साधन बनकर उभरा है. इससे सरकार और स्थानीय दोनों को फायदा है. पर्यटन के विकास के लिए वन और वन्य जीव के हितों से टकराने नहीं दिया जायेगा. उनके हितों को हर हाल में  प्राथमिकता दी जाएगी. होम स्टे की सुविधा बहाल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि चूंकि पीटीआर एक सुरक्षित वन क्षेत्र है तो होम स्टे की नियमों को यहां पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सकता. लेकिन इस पर सुधार के साथ लागू करने को लेकर विचार किये जा सकते हैं.

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हल होगी मजदूरों की समस्या

पीटीआर सहित राज्य के अन्य संरक्षित वन क्षेत्रों में जो दैनिक वेतनभोगी मजदूरों की जो भुगतान को लेकर समस्याएं है उन्हें भी दूर किया जायेगा. उन्होंने कहा की यह कुछ मामूली उलझनों के वजह से पेंडिंग रह जाता है, जिसे अब मिल बैठकर एक रास्ता निकालकर मजदूरों के हित में फैसला किया जायेगा.

पालतू जानवरों की चराई को रोका जाएगा

सत्यजीत सिंह ने पालतू जानवरों की चराई को रोके जाने के संबंध में कहा कि पीटीआर के कोर एरिया में पालतू जानवरों की  चराई एक मुख्य समस्या है. इससे वन्य जीवों का खतरा मंडरता है. पालतू जानवर जैसे भैंस, गाय आदि से वन्य जीवों में बीमारी फ़ैल रही है. यह ठीक नहीं है. जन सहभागिता और विभागीय प्रणाली के साथ इसे दुरुस्त किया जायेगा. चाहे जो भी हो कोर एरिया में भारी तादाद में गाय-भैस की चराई अब बंद की जाएगी. उन्होंने प्रभात खबर को बताया की भले ही रांची उनका मुख्यालय हो पर वे लगातार क्षेत्र भ्रमण करते हुए स्थानीय लोगों से संपर्क कर विभागीय कार्यों में जन सहभागिता को बढ़ाने का प्रयास करते रहेंगे.

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