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स्वास्थ्य विभाग ने सीनियर डॉक्टरों के बॉन्ड पर उठाये सवाल

जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन के बीच राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक गाइडलाइंस जारी की गयी है.

संवाददाता, कोलकाता

जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन के बीच राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक गाइडलाइंस जारी की गयी है. शिकायत है कि बॉन्ड से जुड़े सीनियर रेजिडेंट्स नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग ने पूछा गया है कि निर्धारित समय-सीमा समाप्त होने के बाद भी डॉक्टर मेडिकल कॉलेज से बाहर ड्यूटी करने क्यों नहीं जा रहे हैं. मेडिकल छात्रों या डॉक्टरों के लिए बॉन्ड की अवधि तीन वर्ष है. इनमें से सीनियर रेजिडेंट्स को एक वर्ष मेडिकल कॉलेज में काम करना होता है और शेष दो वर्ष जिला और ग्रामीण अस्पताल में. आरोप है कि नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. यदि कोई बॉन्ड छोड़ता है, तो स्वास्थ्य भवन को इसके लिए पैसे देने होंगे.

इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के अधीक्षक और प्रिंसिपल को पत्र भेजा गया है. ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि कई मामलों में कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेज से रिलीज नहीं किया जा रहा है. इससे जिला अस्पतालों में पर्याप्त चिकित्सा सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं.

स्वास्थ्य भवन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि यह पूछा गया है कि बॉन्ड नियमों के अनुसार मेडिकल कॉलेजों में एक वर्ष पूरा करने के बाद भी सीनियर रेजिडेंट्स जिला या ग्रामीण अस्पताल में काम पर क्यों नहीं जा रहे हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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