बिहार विशेष भू-सर्वेक्षण शुरू होने के बाद लोगों के बीच जमीन के कागजात व खतियान को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है. जिन लोगों के पास खतियान से संबंधित दस्तावेज नहीं है, वे कागजात के लिए कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं. ऐसे में लोगों की समस्या को देखते हुए हाजीपुर के डीएम की पहल पर समाहरणालय में खतियान की सच्ची प्रतिलिपि के आवेदनों के लिए विशेष व्यवस्था की गयी है.
लोगों की समस्या को खत्म करने के लिए खोला गया शिविर
खतियान की सच्ची प्रतिलिपि प्राप्त करने में लोगों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए समाहरणालय परिसर में जिला राजस्व अभिलेखागार कार्यालय की ओर से विशेष शिविर खोला गया है. शिविर का संचालन पिछले एक महीने से किया जा रहा है. यहां आवेदक अपना खतियान निकलवाने के लिए राजस्व टिकट के साथ आवेदन जमा करा रहे हैं. तैयार किये गये खतियान की सच्ची प्रतिलिपि के हर पन्ने पर राजस्व टिकट आवेदक द्वारा ही देय है. इसके बाद ही अभिलेख की प्रतिलिपि को तैयार करके आवेदक को दिया जाता है.
ऑफलाइन आवेदनों की संख्या में भारी वृद्धि
इसी शिविर में आवेदक द्वारा राजस्व टिकट जमा करा देने के बाद तैयार हुए अभिलेख को उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी है. पिछले एक महीने के दौरान जिले में भी ऑफलाइन आवेदनों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है. कुल लंबित आवेदनों की संख्या लगभग नौ हजार एवं डेढ़ महीने की लंबित अवधि को व्यवस्थित ढंग से निष्पादन करा कर इसे पांच दिनों तक लाया गया है. जल्द ही आवेदन के शीघ्र व पूर्ण निष्पादन की व्यवस्था की जा रही है.
पूर्ण विवरणी के साथ ही आवेदन करने की अपील
जिला राजस्व अभिलेखागार प्रभारी पदाधिकारी प्रशांत रमानिया ने लोगों से पूर्ण विवरणी के साथ ही आवेदन करने की अपील की है. बताया कि कई आवेदनों में खतियान का पूर्ण विवरणी जैसे अंचल, थाना, मौजा, खाता, खेसरा का उल्लेख नहीं होने के कारण एवं ससमय आवेदक द्वारा राजस्व टिकट उपलब्ध नहीं कराने के कारण निष्पादन में समस्या आती है.
घर बैठे पा सकते हैं खतियान की प्रतिलिपि
उन्होंने बताया आवेदक को घर बैठे कभी खतियान की प्रतिलिपि पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल bhuabhilekh.bihar.gov.in पर आवेदन करना होगा. यहां आवेदक जन्म-जाति प्रमाणपत्र की ही तरह ही अपने खतियान के डिजिटल प्रमाण पत्र को देख सकते हैं. आवेदन निर्धारित शुल्क का ऑनलाइन भुगतान करके इसे डाउनलोड कर सकते हैं. इससे सुदूर इलाके के रैयतों को कार्यालय आने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.