बेरमो. केंद्रीय कोयला एवं खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे रविवार को बेरमो आयेंगे. वह सीसीएल बीएंडके एरिया में कोल इंडिया की मेगा प्रोजेक्ट में शुमार एकेके व कारो परियोजना में 732 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले दो सीएचपी (कोल हैंडलिंग प्लांट) का शिलान्यास करेंगे. कोयला राज्य मंत्री के कार्यक्रम को लेकर सीसीएल प्रबंधन की ओर से तैयारी पूरी कर ली गयी है. एकेके व कारो परियोजना के शिलान्यास स्थल के निकट मंच का निर्माण किया गया है, जहां मंत्री श्री दुबे कोयला मजदूरों को संबोधित भी करेंगे. श्री दुबे रविवार को पूर्वाह्ण 10.15 बजे एकेके परियोजना में तथा 11.15 बजे कारो परियोजना में सीएचपी का शिलान्यास करेंगे. दोपहर एक बजे रांची के लिए प्रस्थान कर जायेंगे. मंत्री के साथ सीसीएल के सीएमडी निलेंदू कुमार सिंह, निदेशक तकनीकी (योजना एवं परियोजना) सतीश कुमार झा, बीएंडके एरिया के जीएम के रामाकृष्णा सहित अन्य अधिकारी रहेंगे.
दोनों सीएचपी की क्षमता होगी सालाना 12 मिलियन टन
एकेके परियोजना में बन रहे सीएचपी की क्षमता सालाना पांच मिलियन टन होगी. 322 करोड़ की लागत से बनने वाले इस सीएचपी का निर्माण कार्य हैदराबाद की एक कंपनी कर रही है. इस कंपनी ने पेटी पर कई काम को दे रखा है. यहां एक साल से तेज गति से चल रहा है. प्रबंधन के अनुसार यहां ट्रक रिसिविंग होपर का लेवलिंग हो गया है. फेब्रिकेशन का काम भी तेज गति से चल रहा है. इसके बाद ग्राउंड बंकर, कन्वेयर बेल्ट तथा आरएलएस (रेपिड लोडिंग सिस्टम) का निर्माण किया जाना है. इसके अलावा साइलो केबिन से रेल लाइन कनेक्टिविटी के लिए काम चल रहा है. रेल लाइन का काम भी तेज गति से हो रहा है. कारो ओसीपी से उत्पादित कोयले को साइलो लोडिंग के जरीये कोल ट्रांसपोर्टिंग की गति को बढ़ाने के लिए सालाना सात मिलिटन टन क्षमता के सीएचपी का निर्माण किया जा रहा है. 410 करोड़ रुपये की इस योजना का काम मुंबई की एक कंपनी कर रही है. इसके तहत यहां कारो रेलवे साइडिंग का निर्माण किया जा रहा है. करगली वाशरी में पहले बने रेलवे साइडिंग को करगली-रामबिलास उवि के उसी मुख्य मार्ग तक रेल लाइन का विस्तार किया जायेगा. करगली वाशरी में जो पुराना साइडिंग है, उसके रेलवे लाइन को हटा कर थोड़ा ऊंचा करना है. साथ ही पूरे रेलवे लाइन को बेहतर तरीके से पैकिंग करना है. इसके बाद वाशरी के साइडिंग से करीब चार किमी नये रेल लाइन का विस्तार किया जायेगा. इसके मध्य फ्लाई ओवर भी बनेगा. साथ ही छोटे-छोटे तीन-चार पुल का निर्माण किया जायेगा. इसमें आइपीआरसीएल का अलग काम है तथा एशियन इंड वेल नामक कंपनी पूरा साइलो सिस्टम के अलावा कनेवेयर बेल्ट, ट्रक रिसिंवग सिस्टम का निर्माण करेगी. जबकि आइपीआरसीएल को नया रेलवे ट्रैक, वे ब्रीज, फ्लाई ओवर, सिगनलिंग सिस्टम आदि का निर्माण करना है. आइपीआरसीएल से ही सब लेट पर एलाइव इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. भी यहां कई अर्थन कार्य करीब 68 करोड़ रुपये की लागत से कर रही है. डेढ़-दो साल के अंदर इस काम को पूरा करना है. नये कारो रेलवे साइडिंग के् मध्य सइलो सिस्टम का निर्माण हो जाने के बाद रेलवे ट्रैक के ऊपर मात्र 58 मिनट में रेलवे रैक का 58 बॉक्स में कोयला लोड हो जायेगा. इसके बाद यहां से साइलो लोडिंग शुरू होगी.
सरकार के गाइड लाइन के तहत किया जा रहा निर्माण
सरकार का गाइडलाइन है कि प्रदूषण से बचाव के लिए कोयला खनन एवं ट्रांसपोर्टिंग करना है. इसी के आलोक में यहां अत्याधुनिक कोल हैंडलिंग प्लांट का निर्माण किया जा रहा है, ताकि खदान से निकला कोयला सीधे प्लांट तक आए और यहां से सीधे रेलवे साइडिंग में जाये, जहां रैक के माध्यम से कोयला का डिस्पैच हो सके. प्रबंधन के अनुसार पहले रैक लोडिंग में पांच से छह घंटे लगते थे. सीएचपी बनने के बाद यह कार्य एक घंटे में होगा. पेलोडर से लोडिंग होने में रैक में कोयला का भार कभी-कभी एक तरफ हो जाता है, परंतु सीएचपी के माध्यम से लोडिंग होने पर यह समस्या नहीं होगी.एकेके परियोजना में है 87.04 मिलियन टन कोल रिजर्वएकेके परियोजना का कोल रिजर्व मार्च 2021 की प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार 87.04 मिलियन टन है. फिलहाल इस माइंस के 15 साल लाइफ की प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनायी गयी है. इस परियोजना से सालाना आठ से 11 मिलियन टन तक उत्पादन करने का इनवायरमेंटल क्लीयरेंस मिला है. एकेके परियोजना में माइंस विस्तार के लिए परियोजना से सटे बरवाबेड़ा गांव को भी शिफ्ट किया जाना है. एकेके परियोजना में तेज गति से कोल डिस्पैच के लिए परियोजना के निकट कोनार साइडिंग बनाया गया है. यहां से फिलहाल रोजाना तीन-चार रेलवे रैक कोयला पावर प्लांटों का भेजा जा रहा है.
कारो ओसीपी को मिला है स्टेज दो का भी क्लीयरेंस
कारो ओसीपी को स्टेज दो का भी क्लीयरेंस वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार से मिल गया है. फिलहाल वन विभाग से हैंड ओवर-टेक ओवर की प्रक्रिया चल रही है. स्टेज दो का क्लीयरेंस मिलने के बाद यहां से करीब 60 मिलियन टन कोयला कोल इंडिया को मिलेगा. प्रबंधन के अनुसार इसके अलावा पूरा कारो बस्ती गांव शिफ्ट हो जाने के बाद यहां से लगभग 40 मिलियन टन कोयला मिलेगा.
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