28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

DHANBAD NEWS : जिले की 52 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि अत्यंत अम्लीय, खेती पर पड़ रहा असर

एल्युमिनिम व आयरन बेस्ड खाद के ज्यादा इस्तेमाल से बढ़ रही है अम्लीयता, पीएच मान है चार से साढ़े चार, इस वजह से घट रही है उत्पादन क्षमता, मिट्टी में चूना व डोलोमाइट चूर्ण मिलाने से लौट आयेगी मिट्टी की उर्वरता

धनबाद की कृषि योग्य भूमि धीरे-धीरे अम्लीय होती जा रही है. इस वजह से जमीन की उर्वरता पर प्रभाव पड़ रहा है. यह किसानों के लिए चिंता का विषय है. कृषि विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार जिले के कुल 1943 हेक्टेयर भूमि में अलग-अलग स्तर की अम्लीयता पायी गयी है. आंकड़ों के अनुसार जिले में सिर्फ 204 हेक्टेयर भूमि ही खेती के योग्य है. वहीं राज्य के 16 जिलों की 59,249 हेक्टेयर कृषि भूमि अम्लीय हो गयी है. राज्य में सबसे अधिक 7,698 हेक्टेयर भूमि रांची और सबसे कम 1,491 हेक्टेयर भूमि लोहरदगा में अम्लीय हुई है. विभाग के अनुसार वर्तमान में 7,970 हेक्टेयर कृषि भूमि ही सिंचित दायरे में आती है.

अलग पीएच मान की है अम्लीयता :

कृषि विभाग के अनुसार धनबाद जिले में 52 हेक्टेयर कृषि भूमि अत्यधिक अम्लीय है. इसका पीएच मान 4 से 4.5 के बीच है. 340 हेक्टेयर भूमि बहुत अधिक अम्लीय की श्रेणी में आती है. इसका पीएच मान 4.6 से पांच है. अधिक अम्लीयता वाली भूमि सबसे अधिक 860 हेक्टेयर है. इसका पीएच मान 5.1 से 5.5 है. वहीं मध्यम व थोड़ा अम्लीय भूमि क्रमश: 565 व 126 हेक्टेयर है. इसका पीएच मान 5.6 से छह व 6.1 से 6.5 है. 6.5 पीएच से अधिक मान की जमीन खेती के लायक मानी जाती है.

अम्लीयता बढ़ने की वजह :

जिला कृषि पदाधिकारी शिव कुमार राम ने बताया कि झारखंड सहित पूरे जिले में विभिन्न प्रकार की मिट्टी पाई जाती है. इसमें लाल मिट्टी ज्यादा मात्रा में है. ऐसी मिट्टी में आयरन व एल्युमिनियम की मात्रा ज्यादा होती है. ज्यादा बारिश या ज्यादा पानी डालने के वजह से मिट्टी में मौजूद दोनों पदार्थों में धीरे धीरे टॉक्सिसिटी (आविषता) बढ़ती है. इससे का पीएच मान घटता है और अम्लीयता बढ़ती है. इसके अलावा खाद में एल्युमिनियम की मात्रा ज्यादा पायी जाती है. इसके अधिक इस्तेमाल से भी मिट्टी की अम्लीयता का स्तर बढ़ता है.

क्या होती है दिक्कत : मिट्टी के अम्लीय होने की वजह से भूमि की उत्पादन क्षमता कम होती जाती है. मिट्टी में लिचिंग की समस्या भी बढ़ती है. इस वजह से मिट्टी में किसी भी प्रकार चीजों का घुलना व मिश्रित होना घट जाता है. अम्लीय होने के बाद मिट्टी से सभी प्रकार के पोषक तत्व, जैव पदार्थ आदि कम हो जाते हैं.

अम्लीयता कम करने के उपाय :

जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि फसलों के उत्पादन को ध्यान में रखते हुए 6.0 पीएच मान तक की मिट्टी को ही सुधारने की आवश्यकता है. बुआई के समय कतारों में प्रति एकड़ तीन चार क्विंटल चूना या डोलोमाइट का चूर्ण डालने से लाभ होगा. इस प्रक्रिया के बाद उर्वरकों का प्रयोग व बीज की बुआई करें. दलहनी फसल, मूंगफली व मकई आदि फसलों में बुआई के समय सूखा चूना डाला जा सकता है. बरसात के समय डोलोमाइट का चूर्ण या चूना डालने से अधिक फायदा होता है. खरीफ फसलों में यदि किसी कारणवश सूखा चूना या डोलोमाइट का उपयोग नहीं किया गया हो, तो रबी फसलों में बुआई के समय मिट्टी की अम्लीयता के आधार पर इनका इस्तेमाल किया जा सकता है. बूझा चूना या डोलोमाइट के साथ गोबर खाद या कम्पोस्ट का इस्तेमाल करने से अधिक लाभ होता है.

राज्य के इन जिलों में है अधिक अम्लीय भूमि

(आंकड़े हेक्टेयर में)

रांची: 7,698प.सिंहभूम: 7,182

गुमला: 5,320रामगढ़: 5,049

गिरिडीह: 4,941दुमका: 4,410

सिमडेगा: 3,757पूर्वी सिंहभूम: 3,533

बोकारो: 2,861सरायकेला: 2,725

देवघर: 2,470

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें