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एमयू के चिह्नित जमीन का विरोध बढ़ायेगा परेशानी, विश्वविद्यालय को करना पड़ सकता है इंतजार

मुंगेर विश्वविद्यालय को अपने जमीन के लिये छह साल इंतजार करना पड़ा है.

जिला प्रशासन ने हवेली खड़गपुर की तेलियाडीह पंचायत के बिरजपुर मौजा में किया है 20 एकड़ जमीन चिह्नित, प्रतिनिधि, मुंगेर. मुंगेर विश्वविद्यालय को अपने जमीन के लिये छह साल इंतजार करना पड़ा है. हालांकि, अब जिला प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालय के लिये हवेली खड़गपुर अंचल की तेलियाडीह पंचायत के बिरजपुर मौजा में 20 एकड़ जमीन चिह्नित किया गया है. साथ ही इस जमीन के लिये प्रशासन द्वारा सरकार से 4.97 करोड़ रुपये राशि का डिमांड भी किया गया है, लेकिन मुंगेर शहर से दूर विश्वविद्यालय के लिये चिह्नित जमीन को लेकर अब विरोध शुरू हो गया है. ऐसे में विश्वविद्यालय को अपने जमीन के लिये मुश्किल बढ़ सकती है. बता दें कि जिला प्रशासन द्वारा शिक्षा विभाग के विशेष सचिव को मुंगेर विश्वविद्यालय के लिये चिह्नित जमीन को लेकर पत्र भेजा गया है. इसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालय के परिसर व भवन निर्माण के लिये बिरजपुर मौजा थाना संख्या-10 से संबंधित कुल रकबा 20 एकड़ 6.221 डिसमिल रैयती भूमि को बिहार सतत नीति 2014 के तहत अधिग्रहण के लिये चिह्नित किया गया है. इसमें कुल 22 रैयतों की भूमि है. इस भूमि का एमभीआर (बाजार मूल्य आधारित) के अनुसार कृषि द्वितीय श्रेणी की भूमि का अनुमानित मूल्य 6,200 रुपये प्रति डिसमिल के दर से कुल 4 करोड़ 97 लाख 54 हजार 281 रुपये आंकी गयी है. वहीं जिला प्रशासन द्वारा इस भूमि को सतत लीज नीति 2014 के तहत अधिग्रहण करने की अनुशंसा की गयी है.

दो बार अलग-अलग जगह जमीन हुई चिह्नित, तीसरे बार में लोगों से हो गया दूर

एमयू के लिये अबतक तीन बार जमीन को चिह्नित किया गया है. तीन साल पहले इसके लिये बांक पंचायत में जमीन चिह्नित किया गया था, लेकिन इसे बाद में स्थगित कर ऋषिकुंड के समीप फोरलेन से सटे जमीन को चिह्नित किया गया. जिसके अधिग्रहण की आस में स्थानीय लोगों से लेकर खुद विश्वविद्यालय प्रशासन दो सालों तक इंतजार करता रहा. वहीं पिछले साल ही सरकार द्वारा हवेली खड़गपुर अंचल की तेलियाडीह पंचायत के बिरजपुर मौजा में 20 एकड़ जमीन चिह्नित कर लिया गया. जो नक्सल प्रभावित होने के साथ फोरलेन से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर है.

जमीन को लेकर विरोध बढ़ायेगा परेशानी

साल 2018 में मुंगेर विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद पहले तो इसका संचालन करीब 6 माह तक आरडी एंड डीजे कॉलेज में किया गया. इसके बाद इसे कॉलेज कैंपस में ही 5 करोड़ की लागत से बने डीजे कॉलेज के परीक्षा भवन में शिफ्ट कर दिया गया. जो पिछले 6 साल से इसी तीन मंजिले भवन में चल रहा है. ऐसे में आरंभ से ही विश्वविद्यालय के लिये अपना जमीन होने की मांग सबसे बड़ी मांग रही. ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा जमीन को चिह्नित तो किया गया, लेकिन अब इस जमीन को लेकर स्थानीय स्तर पर विरोध शुरू हो गया है. ऐसे में एमयू को अपने जमीन के लिये इंतजार करने की परेशानी बढ़ सकती है.

कहते हैं कुलसचिव

कुलसचिव कर्नल विजय कुमार ठाकुर ने बताया कि जमीन का चयन जिला प्रशासन द्वारा किया गया है. साथ ही इससे संबंधित पत्र भी सरकार को भेजा गया है .

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