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Giridih News:रेल दुर्घटना को रोकने के लिए चिचाकी स्टेशन के पास शुरू हुई थी पूजा

Giridih News:चिचाकी स्टेशन के पास रेल दुर्घटना रोकने के लिए वर्ष 1993 में दुर्गा पूजा की शुरुआत हुई. शुरुआत तत्कालीन स्टेशन प्रबंधक व लोको पायलट ने की थी.

32 वर्षों से लोगों के सहयोग से हो रही मां दुर्गा की पूजा

सरिया.

वैज्ञानिक युग में भी लोग अदृश्य शक्तियों पर अपनी आस्था रखे हुए हैं. ब्रह्मांड में बहुत सारी दिव्य शक्तियां हैं, जिसके भरोसे जगत के प्राणी मात्र इस दुनिया में सुख का उपभोग कर रहे हैं. लोग अपने-अपने तरीके से अपने इष्ट देव की पूजा कर दुनिया में सुख-शांति, धन वैभव की प्राप्ति करते हैं. संभावित दुर्घटनाओं से बचने के लिए भी आराधना की जाती है. ऐसी ही संभावित दुर्घटना को रोकने के लिए ग्रैंड कॉर्ड रेल मार्ग के पर स्थि चिचाकी रेलवे स्टेशन के पास दुर्गापूजा शुरू की गयी. इस संबंध में स्थानीय समाजसेवी संजीत प्रसाद कुशवाहा ने बताया कि चिचाकी रेलवे स्टेशन के समीप पूर्व में किसी न किसी तरह रेल दुर्घटनाएं होती रहती थीं, जिससे जानमाल के नुकसान के साथ अन्य लोगों की परेशानियां बढ़ जाती थी. इन रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए लोगों ने शक्ति की अधिष्ठात्रि देवी मां दुर्गा की पूजा करने की ठानी. वर्ष 1993 में चिचाकी रेलवे स्टेशन के तत्कालीन स्टेशन प्रबंधक व लोको पायलट की पहल पर स्थानीय लोगों के सहयोग से शक्ति की अधिष्ठात्रि देवी मां दुर्गा की 10 दिवसीय पूजा की शुरुआत की .संजीत प्रसाद ने बताया कि 1990 के दशक में चिचाकी रेलवे स्टेशन में भीषण रेल दुर्घटना हुई थी. इसमें कई लोगों की जान चली गयी थी, वहीं 50 लोग गंभीर रूप से घायल हो गये थे. इसके बाद लगातार कई बार गुड्स ट्रेन यहां दुर्घटनाग्रस्त हुई. तत्कालीन स्टेशन प्रबंधक मुद्रिका सिंह व गांव के ही लोको पायलट सुनेश्वर चौधरी ने स्थानीय ग्रामीण के साथ बैठक कर शक्ति की देवी मां दुर्गा की आराधना के साथ पूजा करने का निर्णय लिया, ताकि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो. आज भी पूजा संपन्न कराने में स्थानीय रेल कर्मियों का सहयोग रहता है.

स्टेशन के पास स्थित गांव से लोग निभाते हैं सक्रिय भूमिका

चिचाकी स्टेशन पर 1993 में मां दुर्गा की पूजा शुरू की गयी. इसके बाद से लगातार पूजा हो रही है. पूजा शुरू होने के बाद फिर आज तक चिचाकी स्टेशन पर कोई रेल हादसा नहीं हुआ है. दुर्गोत्सव को सफल बनाने में स्टेशन कर्मियों के अलावा बंदखारो समेत पूरे क्षेत्र के लोगों की अहम भूमिका होती है. नवमी व दशमी तिथि को यहां मेले का भी आयोजन किया जाता है. मेला देखने के लिए बंदखारो, खुंटा, कैलाटांड़ चिचाकी, कुशमर्जा, कपिलो, चिरूवां, कोनिया, मुंडरो, बलियारी, गोविंदपुर समेत अन्य गांव को हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं और देवी दुर्गा की पूजा कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं. मनोकामना मांगकर मेले का आनंद लेते हैं.

पूजा के लिए गठित है कमेटी

बताया गया कि दुर्गापूजा के सफल संचालन के लिए सर्वसम्मति से पूजा कमेटी का गठन किया गया है ॉअध्यक्ष तुलसी महतो, उपाध्यक्ष पंकज प्रकाश, सचिव लक्ष्मण मंडल व कोषाध्यक्ष छत्रधारी महतो सहित कई सदस्य हैं. मंदिर परिसर में भव्य पंडाल बनाया गया है. मंदिर की साज सज्जा की गयी है और स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा गया है. मंदिर में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रशासन के निर्देशों का पालन किया जा रहा है. यह मंदिर स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केंद्र है. बताया जाता है कि इस क्षेत्र के सैंकड़ों की संख्या में लोग प्रदेशों में रोजी-रोजगार के लिए आते-जाते हैं. स्टेशन पहुंचने पर पहले वह मां के मंदिर में पूजा कर प्राप्त करते हैं. मंदिर के आचार्य रामकिशोर शास्त्री ने बताया कि यहां वैष्णव रीति से पूजा की जाती है. रविवार को चौथे दिन मां दुर्गा के चौथा रूप कूष्माणाडा देवी की वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ विधिवत पूजा की गयी. कहा कि मां दुर्गा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शारदीय नवरात्र का एक अलग महत्व है. मां दुर्गा की पूजा से मानव जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. मां दुर्गा की कृपा से इस इलाके में खुशहाली व संपन्नता आयी है, जो आगे भी बरकरार रहेगी. इस पवित्र त्योहार को शांति तथा सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न कराने के लिए स्थानीय पुलिसन भी लगातार पूजा पंडाल का निरीक्षण कर रही है.

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