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….हे माय अहां बिनु आस ककर

शारदीय नवरात्र के चौथे दिन रविवार को मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा हुई. समय के साथ लोगों में आस्था, आध्यात्मिकता, उमंग एवं उत्साह बढ़ता जा रहा है.

मधेपुरा. शारदीय नवरात्र के चौथे दिन रविवार को मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा हुई. समय के साथ लोगों में आस्था, आध्यात्मिकता, उमंग एवं उत्साह बढ़ता जा रहा है. इधर, शहर में सभी दुर्गा मंदिरों में भी तैयारियों ने तेज गति पकड़ ली है. मंदिरों के पंडालों के फ्रेम पर लाल-पीले कपड़े चढ़ने लगे हैं. दूर से मंदिर लोगों को आकर्षित करने लगा है. मंदिरों के आसपास मेले में सजने वाली दुकानें भी रूप लेनी लगी हैं. शहर के मुख्य मार्ग समेत सभी मंदिरों में सुबह-शाम पूजा करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. सभी मंदिरों में सुबह फूल-अगरबत्ती तो शाम के समय दीप जलाने वाली महिलाओं की भीड़ भी जुट रही है. सभी मंदिरों में प्रतिमा को भी अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है.

संतान सुख और मनोकामना पूर्ति के लिए स्कंदमाता की पूजा आज

नवरात्र के पांचवें दिन नवदुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता देवी की पूजा की जाती है. स्कंद, शिव और पार्वती के बड़े पुत्र कार्तिकेय का एक नाम है. इन्हें छह मुख वाले होने के कारण षडानन नाम से भी जाना जाता है. स्कंद की माता होने के कारण ही देवी के पांचवें स्वरूप का नाम स्कंदमाता है. माना जाता है कि मां दुर्गा का यह रूप अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है और उन्हें मोक्ष का मार्ग दिखाता है. मां के इस रूप की चार भुजाएं हैं और इन्होंने अपनी दायें तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद अर्थात् कार्तिकेय को पकड़ा हुआ है और इसी तरफ वाली निचली भुजा के हाथ में कमल का फूल है. बायीं ओर की ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा है और नीचे दूसरा श्वेत कमल का फूल है. सिंह इनका वाहन है.

कमल के आसन पर स्थित रहने के कारण इन्हें कहा जाता है पद्मासना

यह सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी है, इसलिए इनके चारों ओर सूर्य सदृश अलौकिक तेजोमय मंडल सा दिखाई देता है. बसर्वदा कमल के आसन पर स्थित रहने के कारण इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है. ऐसा विश्वास है कि इनकी कृपा से साधक के मन एवं मस्तिष्क में अपूर्व ज्ञान की उत्पत्ति होती है. माना जाता है कि कविकुल गुरु कालिदास ने इनकी ही कृपा से अस्ति, कश्चित् एवं वाग्विशेष इन तीन शब्दों के माध्यम से कुमार संभव, मेघदूत एवं रघुवंश नामक तीन कालजयी पुस्तकों की रचना की. मन की एकाग्रता के लिये भी इन देवी की कृपा विशेषरूप से फलदायी है. इनकी पूजा करने से भगवान् कार्तिकेय, जो पुत्ररूप में इनकी गोदी में विराजमान हैं, की भी पूजा स्वाभाविक रूप से हो जाती है.

दुल्हन की तरह सजाया जा रहा मंदिर

जिला मुख्यालय स्थित सभी दुर्गा मंदिरों में मंदिर के समिति तथा कार्यकर्ताओं के सहयोग से कारीगरों के द्वारा मां की प्रतिमा को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है. शारदीय नवरात्र को लेकर भक्तों में विशेष उत्साह है. देवी मंदिरों को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है. कलश स्थापना के दिन से ही मंदिरों में साफ-सफाई का दौर चल रहा है. बाजार में भी पूरे दिन पूजन सामग्री खरीदने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी रही है. शहर के मुख्य बाजार स्थित सुभाष चौक, पुरानी कचहरी बाजार एवं पूर्णिया गोला चौक पर दिन भर खरीदारों की भीड़ लगी देखने को मिल रही है. हवन-पूजन सामग्री के साथ व्रत में प्रयोग किये जाने वाले खाद्य पदार्थों की खरीदारी करते महिलाएं देखी गई. सड़क किनारे दुकानदारों ने मां की चुनरी व नारियल आदि की दुकानें सजा रखी है.

प्रतिमा को दिया जा रहा है अंतिम रूप

जिला मुख्यालय स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर, बांग्ला दुर्गा, मंदिर रेलवे दुर्गा मंदिर एवं गौशाला दुर्गा मंदिर की सजावट व सफाई का कार्य अंतिम चरण में चल रहा है. मंदिरों में स्थापित देवी मूर्तियों को विधिपूर्वक निर्माण का अंतिम रूप दिया जा रहा है. विशेष रूप से पेटिंग व रंग-बिरंगी झालरों से सजाया जा रहा है. मंदिर लोगों को अपनी ओर खींच रही है. भक्तों के दर्शन के लिए खास इंतजाम किये जा रहे हैं. खासकर दुर्गा मंदिर में नवरात्र के पहले दिन से ही भक्त मां के दर्शन को आते हैं. प्रातः से ही लंबी लाइनें लगनी शुरू हो जाती है.

मंदिर कमेटी दे रही है अपना योगदान

मंदिर समिति के सदस्य लगन व मेहनत से श्रद्धालुओं के सुविधा के लिए हरसमय सक्रिय हैं. बड़ी दुर्गा स्थान में कई वर्षों से हरिश्चंद्र साह, अशोक सोमानी, देव नारायण साह, ललन सिंह, राजेश सर्राफ, मनीष सर्राफ, रवि साह, देव नारायण राय, मनोहर साह, शशि भूषण गुप्ता उर्फ मोहन, ई. प्रमोद कुमार, राजेश साह, संतोष कुमार, यादव विक्रम, राहुल रीगन, विक्की विनायक, गोपाल कुमार, रूपक कुमार, अजित सिंह, अक्षय कुमार, सुनीत साना, अमित कुमार, आयुष कुमार, रितिक कुमार, नंदन कुमार नंदू, राजन कुमार, अब्यम ओनू, शैब्यम शशि, हरिशंकर कुमार, आलोक कुमार, दिव्यांशु विद्यांशु कुमार, प्रिंस कुमार, सोनल कुमार, सागर सोनी, राजा कुमार, राजू सोनी समेत अन्य अपना महत्वपूर्ण योगदान देते रहे हैं.

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