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खेत देख जा रहे युवक को वाहन ने मारी ठोकर, मौत

हरसिद्धि थाना अंतर्गत चड़रहिया गांव के पास अज्ञात वाहन की ठोकर घायल एक युवक की मौत हो गयी. मृतक अजय कुमार तिवारी (30) चड़रहिया के बच्चा तिवारी का पुत्र था.

मोतिहारी. हरसिद्धि थाना अंतर्गत चड़रहिया गांव के पास अज्ञात वाहन की ठोकर घायल एक युवक की मौत हो गयी. मृतक अजय कुमार तिवारी (30) चड़रहिया के बच्चा तिवारी का पुत्र था. उसका इलाज शहर के एक निजी नर्सिंग होम में चल रहा था. छतौनी पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया. सदर अस्पताल में शव का पोस्टमार्टम कराने आये परिजनों ने बताया कि अजय शनिवार शाम खेत मे लगे फसल को देख पैदल वापस घर लौट रहा था. इस दौरान तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने उसे ठोकर मार दी. घटना के बाद चालक गाड़ी ले फरार हो गया. स्थानीय लोगों की मदद से अजय को शहर के एक निजी नर्सिंग होम ले जाया गया, जहां रविवार सुबह उसकी मौत हो गयी. उसकी मौत की खबर मिलते ही घर में कोहराम मच गया. मां सुगांधी देवी का रो-रो का बूरा हाल था. पत्नी पिंकी देवी कलेज पीट-पीट कर रोते-रोते बेहोश हो जा रही थी. मां व दादी को दहाड़ मार रोते सुप्रिया राज व उसका भाई अनुज एकटक से देख रहा था. दोनों को इस बात से बिल्कुल अंजान थे कि अब उनके पिता नहीं रहे. सुप्रिया कभी दादी को तो कभी मां के आंसू पोछ रही थी. आसपास के लोग दोनों को संभालने में लगे थे. हरसिद्धि थाना अंतर्गत चड़रहिया गांव के पास अज्ञात वाहन की ठोकर घायल एक युवक की मौत हो गयी. मृतक अजय कुमार तिवारी (30) चड़रहिया के बच्चा तिवारी का पुत्र था. उसका इलाज शहर के एक निजी नर्सिंग होम में चल रहा था. छतौनी पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया. सदर अस्पताल में शव का पोस्टमार्टम कराने आये परिजनों ने बताया कि अजय शनिवार शाम खेत मे लगे फसल को देख पैदल वापस घर लौट रहा था. इस दौरान तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने उसे ठोकर मार दी. घटना के बाद चालक गाड़ी ले फरार हो गया. स्थानीय लोगों की मदद से अजय को शहर के एक निजी नर्सिंग होम ले जाया गया, जहां रविवार सुबह उसकी मौत हो गयी. उसकी मौत की खबर मिलते ही घर में कोहराम मच गया. मां सुगांधी देवी का रो-रो का बूरा हाल था. पत्नी पिंकी देवी कलेज पीट-पीट कर रोते-रोते बेहोश हो जा रही थी. मां व दादी को दहाड़ मार रोते सुप्रिया राज व उसका भाई अनुज एकटक से देख रहा था. दोनों को इस बात से बिल्कुल अंजान थे कि अब उनके पिता नहीं रहे. सुप्रिया कभी दादी को तो कभी मां के आंसू पोछ रही थी. आसपास के लोग दोनों को संभालने में लगे थे.

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