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जरीडीह बाजार में सौ साल पहले शुरु हुई थी दुर्गा पूजा

BOKARO NEWS : जरीडीह बाजार में सौ साल पहले शुरु हुई थी दुर्गा पूजा

बेरमो. बेरमो कोयलांचल की प्रमुख व्यवसायिक मंडी जरीडीह बाजार में दुर्गा पूजा सौ साल से भी ज्यादा समय से हो रही है. वर्ष 1898 में बाजार निवासी यमुना प्रसाद अग्रवाल, भागवत प्रसाद अग्रवाल आदि गोमिया स्थित ठाकुरबाड़ी में दुर्गा पूजा करते थे. वहां से जरीडीह बस्ती इमली पट्टी के निकट दुर्गा पूजा शुरू की गयी. बाद में पुराना ठाकुरबाड़ी के निकट मंदिर बनाया गया. पहले यहां महिपाल मिश्र पूजा कराते थे. इसके बाद उनके पुत्र विद्याधर मिश्र, फिर शिवप्रसाद मिश्र व देव प्रसाद मिश्र पूजा कराने लगे.गांधीनगर सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में वर्ष 1964 से पूजा होती आ रही है. पहले यह मंदिर बेरमो रेलवे गेट के समीप था. वर्ष 1964 में इसे गांधीनगर में शिफ्ट किया गया. मंदिर शिफ्ट कराने व पूजा शुरू कराने में स्व. विपिन बिहारी सिंह, श्रवण सिंह, सरदार युगल प्रसाद, स्व फुलेना प्रसाद वर्मा, जनकदेव सिंह, शंभू साव, चितरंजन भट्टाचार्य, नीतीश चक्रवर्ती, गोपाल चक्रवर्ती, सुनील चटर्जी शामिल थे. यहां हर वर्ष भव्य मेला भी लगता है. वहीं हरिजन दुर्गा मंदिर संडेबाजार में वर्ष 1955 से दुर्गा पूजा मनायी जा रही है. पहले यह मंदिर बेरमो बाजार स्थित फीटर टोला में था. श्रमिक नेता स्व. रामाधार सिंह, स्व. फुलेना प्रसाद वर्मा, स्व. दरकू हाड़ी, किशुन हाड़ी, गोकुल हाड़ी, गुजर हाड़ी ने फीटर टोला में उस वक्त 11 रुपये का सहयोग कर इस मंदिर की नींव रखी थी. स्व. दरकू हाड़ी मजदूर कॉलोनियों में चंदा के लिए घर-घर डिब्बा लेकर घूमते थे. इस मंदिर के निर्माण में व्यवसायी मुकुंदलाल चनचनी ने काफी मदद की थी. बाद में फीटर टोला से यह मंदिर संडेबाजार लंबी सेंटर आया. संडेबाजार बड़ा क्वार्टर में वर्ष 1956 से पहले काली पूजा की शुरुआत हुई. वर्ष 1958 से यहां दुर्गा पूजा व काली पूजा होने लगी. यहां काली पोदो, निसित बनजीं, गौरमोहन घोष, प्रभाष भट्टाचार्य, देवी सिंह ने पूजा शुरू करायी. पहले यहां पूजा कराने बंगाल के वर्दमान से पुजारी आते थे. यहां देवी सिंह काली पूजा में बकरों की बली स्वयं करते थे. यहां हर साल काली पूजा में बकरों की बली दिये जाने की प्रथा चली आ रही है. वहीं संडेबाजार छोटा क्वार्टर में वर्ष 1952 से पूजा हो रही है. वर्ष 1964 से तरुण संघ ने यहां पूजा की जिम्मेवारी ली. कमेटी के प्रथम सचिव जीएम बोस थे. पूजा शुरू कराने में स्व. रामरतन मित्र, स्व. निखिल तालापात्री, स्व. राज सकुजा, स्व. दीनदयाल दुबे, स्व. ओमप्रकाश सकुजा आदि थे. इस मंदिर में बंग विधि से पूजा होती है. गुलाब फैल स्थित दुर्गा स्थान में 40 के दशक से दुर्गा पूजा होती आ रही है. यहां पूजा शुरू कराने में कोलकटर सरयू सरदार, सुखू हलवा, अंजोरी सरदार, प्रेम सरदार का अहम योगदान रहा. वर्ष 1952 से यहां पूजा का भार स्व गुलाब सिंह सरदार व महावीर गोप ने अपने हाथ में ले लिया था. छत्तीसगढ़ के मायाराम पंडित यहां पूजा कराते थे. इसी तरह गांधीनगर तीन नंबर हिंद स्ट्रीप में वर्ष 1952 से पूजा हो रही है. यहां संस्थापकों में छतरा बाबू, दामजी बाबू, राजू बाबू, गुप्ता जी, पाल जी, गोलक बाबू आदि शामिल थे. वर्ष 1950 से बेरमो सीम में पूजा हो रही है. यहां भोलनाथ गोस्वामी, बीएन चटर्जी, एसके राय, हीरालाल, फूलचंद प्रसाद, गोपीनाथ गोस्वामी, एनसी गोस्वामी आदि ने पूजा शुरू करायी. पहले यहां त्रिभुवन पंडित पूजा कराते थे. कुरपनिया नाला पार स्थित मंडप में वर्ष 1969 से पूजा पूजा हो रही है. पहले यहां टीना के मंदिर में प्रतिमा स्थापित कर पूजा की शुरुआत हुई थी. पूजा शुरू कराने में स्व. रामाधार सिंह, स्व. एनके भट्टाट्टाचार्य, प्रफुल भट्टाचार्य, स्व. रामजीतन राम, स्व. गणेश राम, स्व. निमाई बाबू, स्व. डे आदि ने सक्रिय भूमिका अदा की थी. यहां कई वर्षों तक पुजारी गोलक बाबू, निमाई बाबू तथा छोटा पंडित अंबिका ने पूजा करायी.

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