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दो सौ वर्ष पुराना है सरैया का दुर्गा मंदिर

यहां मांगी हर मन्नतें होती है पूरी

यहां मांगी हर मन्नतें होती है पूरी चौथम. प्रखंड क्षेत्र के सरैया गांव में स्थित दुर्गा मंदिर चौथम क्षेत्र का सबसे पुराने दुर्गा मंदिर जाना जाता जाता है. इसकी स्थापना दो सौ वर्ष से भी अधिक पूर्व में की गई थी. पश्चिमी बौरने पंचायत में स्थापित सरैया दुर्गा स्थान सिद्ध स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है. यहां सच्चे दिल से जो भी मांगता है मां दुर्गा सबकी मनोकामना पूर्ण करती है. स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार अघोरपंथी संत बाबा बटेश्वरनाथ ने मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापना की थी. बाबा बटेश्वरनाथ के बारे में ऐसी मान्यता है कि वो खुद बाघ पर सवार होकर सरैया पहुंच कर मां दुर्गा की प्रतिमा बनाकर पूजा करते थे. सरैया निवासी तुलसी बाबू के जमीन पर मां दुर्गा का मंदिर है. जहां माता की स्थापना प्रत्येक वर्ष की जाती है. ऐसी मान्यता है कि मां के स्थान में जब तक उनके खानदान का कोई व्यक्ति उपस्थित नहीं होते हैं पूजा आरंभ नहीं की जाती है. यहां छागर बलिदान की भी परंपरा थी लेकिन आजादी के बाद महात्मा गांधी के आह्वान पर इस परंपरा को यहां समाप्त कर दी गई. ग्रामीण बताते है कि सरैया दुर्गा से ही पान कराकर चौथम में दुर्गा मंदिर की स्थापना तत्कालीन राजा सुरेन्द्र नारायण सिंह ने पुत्र प्राप्ति के बाद किया था. पूजा समिति पूरा कराती है अनुष्ठान ग्रामीणों के सहयोग से चंदा की गई राशि से मां की पूजा और कार्यक्रम किया जाता है. पूजा समिति की देखरेख में अनुष्ठान पूरा होता है. पूजा समिति के अध्यक्ष प्रभाकर ठाकुर, उपाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह, सचिव किशोरी प्रसाद सिंह, कोषाध्यक्ष तरुण कुमार सिंह, प्रमोद पासवान, देवन पंडित,धनराज ठाकुर, अजित कुमार सिंह, श्रवण कुमार, गोलू कुमार, राजीव कुमार , संजीव कुमार,शुभम आदि ने बताया कि दुर्गा मेला को लेकर पूरे ग्रामीण तत्पर है और लोगों को मंदिर में पूजा पाठ में कोई दिक्कत ना हो इसके लिए सारी तैयारी की जा रही है.

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