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सदर अस्पताल के डॉक्टर के बजारू दवा से युवक की आंख की रोशनी गायब

सदर अस्पताल भभुआ के कथित डाॅक्टर जीवन के बजारु दवा से भभुआ थाना क्षेत्र के अखलासपुर गांव के रहने वाले संदीप कुमार पिता स्व चंद्रदेव सिंह उम्र 26 वर्ष की एक आंख की रोशनी चली गयी.

भभुआ. सदर अस्पताल भभुआ के कथित डाॅक्टर जीवन के बजारु दवा से भभुआ थाना क्षेत्र के अखलासपुर गांव के रहने वाले संदीप कुमार पिता स्व चंद्रदेव सिंह उम्र 26 वर्ष की एक आंख की रोशनी चली गयी. इसके बाद संदीप ने डाॅक्टर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर सदर थाना के थानाप्रभारी सहित सिविल सर्जन को भी आवेदन देकर न्याय की गुहार लगायी है. इधर, इस संबंध में युवक द्वारा दिये गये आवेदन में कहा गया है कि 14 सितंबर 2024 को उसने अपने दाहिने आंख जिससे पानी गिर रहा था, दिखाने के लिए सदर अस्पताल भभुआ में ऑनलाइन पुर्जा कटवाया. पुर्जा पर आंख देखने वाले डॉक्टर का नाम डाॅ रवि रंजन प्रकाश लिखा हुआ था. इसके बाद उसने अपनी आंख दिखायी और वहां बैठे डाॅ ने उसे आंख में डालने के लिए आई ड्राप लिख दिया. आई ड्राप भी उसने अस्पताल के दवा काउंटर से ले लिया. लेकिन, आंख ठीक नहीं हुई, तो फिर दोबारा आंख दिखाने अस्पताल गया. इसके बाद पुर्जा कटवा कर जब डाॅक्टर के पास गया, तो पहले वाले ही डाॅक्टर बैठे थे. डाॅक्टर द्वारा बताया गया कि यहां जांच करने की मशीन नहीं है. शाम को मेरे प्राइवेट अस्पताल पर आ जाना, वहां मशीन है मैं चेक कर लूंगा, जिसके बाद मैं उनके सदर थाना के सामने कुश आई केयर अस्पताल पर गया. वहां उन्होंने जांच कर सदर अस्पताल की दवा बदल कर दूसरी दवा दी, जिसके बाद मैं लगातार उनकी सलाह पर अपनी आंख में दवा डालते रहा. लेकिन, मेरी दाहिनी आंख ठीक होने के बजाय उसकी रोशनी दिन-प्रतिदिन घटती गयी और पानी भी ज्यादा गिरने लगा. यह बात जब कथित डाॅक्टर जीवन को बतायी, तो उन्होंने फिर आंख का पावर जांच की और कहा कि ठीक हो जायेगा घबराने की बात नहीं है. छोटी सी सर्जरी करनी पड़ेगी और इसमें डेढ़ लाख रुपये तक खर्च आयेगा, तब तक दवा चलाते रहो और जल्द ही पैसे का इंतजाम करके सर्जरी करा लो. लेकिन, इनकी दवा से मेरे आंख की रोशनी जब चली गयी, तो मैं घबरा कर तीन अक्तूबर को शहर के गांधी कुष्ठ नेत्रालय पर जाकर अपनी आंख दिखायी, तो वहां के चिकित्सक द्वारा बताया गया कि आंख की रोशनी जाने का कारण आंख में डालने वाली दवा हैं. इधर, युवक द्वारा इस मामले में सदर थाना और सिविल सर्जन को भी आवेदन देकर चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गयी है. सिविल सर्जन द्वारा युवक का आवेदन अस्पताल उपाधीक्षक को कार्रवाई के लिए भेजा गया. युवक ने बताया कि अस्पताल उपाधीक्षक का कहना है कि इस मामले की टीम गठित कर जांच करायी जायेगी. क्या कहते हैं डॉ जीवन इस संबंध में जब कथित डॉ जीवन से बात की गयी, तो उन्होंने कहा कि युवक के आंख में एसपीके बीमारी होने की शंका थी, जिसकी जांच की मशीन सदर अस्पताल में नहीं होने के कारण युवक की जांच मैंने अपने क्लिनिक पर मशीन से की और उसे एक आंख में डालने वाली दवा देकर इलाज कराने के लिए बाहर रेफर कर दिया था. इन्सेट डॉ जीवन सरकारी अस्पताल में बहाल है बतौर नेत्र सहायक भभुआ. डाॅ जीवन के नाम से सदर थाना के सामने क्लिनिक चलाने वाले डाॅ जीवन सदर अस्पताल भभुआ में नेत्र सहायक के रूप में बहाल है. इस संबंध में जब अस्पताल के डीपीएम ऋषिकेश से पूछा गया तो उनका कहना था कि जीवन डाॅक्टर नहीं नेत्र सहायक के पद पर बहाल हैं. इधर, संदीप कुमार द्वारा दिये गये आवेदन में यह भी जिक्र किया गया है कि सदर अस्पताल में अपनी आंख दिखाने के लिए वह दो बार ऑनलाइन पुर्जा कटवाया. ऑनलाइन पुर्जा पर मुझे देखने वाले चिकित्सक का नाम एक बार डॉ रविरंजन प्रकाश, तो दूसरी बार चंदन लिखा हुआ था. मैं पहले मुझे देखने वाले कथित डाॅ जीवन को ही रविरंजन समझ रहा था. लेकिन जब इनके प्राइवेट क्लिनिक पर दिखाया तो इनके पुर्जा पर डाॅ जीवन लिखा हुआ था, तब मुझे समझ में आया कि मुझे सरकारी अस्पताल के उन दोनों डाक्टरों ने नहीं देखा है जिनका नाम पुर्जा पर अंकित है. आवेदन में यह भी कहा गया है कि कथित डाॅक्टर द्वारा हमें गुमराह कर प्राइवेट क्लिनिक पर बुला कर ठगने का काम किया गया, जिससे मेरे आंख की रोशनी चली गयी.

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