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Darbhanga news: हजारों सालों के आक्रमण के बाद भी हम जीवंत, जो हार नहीं मानता, वह मर नहीं सकता

Darbhanga news: लनामिवि और भारतीय शिक्षण मंडल, उत्तर बिहार की ओर से आयोजित प्रांत शोधार्थी सम्मेलन में भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री बीआर शंकरानंद ने कहा कि प्रत्येक देश में राजा और गुरु दोनों होते हैं.

Darbhanga news: दरभंगा. लनामिवि और भारतीय शिक्षण मंडल, उत्तर बिहार की ओर से आयोजित प्रांत शोधार्थी सम्मेलन में भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री बीआर शंकरानंद ने कहा कि प्रत्येक देश में राजा और गुरु दोनों होते हैं. देश को जीवंत रखने में दोनों की भूमिका निर्णायक होती है. राजा के बिना देश नहीं बढ़ सकता और गुरु के बिना समाज नहीं बढ़ सकता. विश्व में सबसे जीवंत संस्कृति भारतीय संस्कृति है. भारत अजन्मा है, अतः मृत्युंजयी है. कहा कि हजारों सालों के आक्रमण के बाद भी हम जीवंत हैं, क्योंकि जो हार नहीं मानता, वह मर नहीं सकता. अमरत्व भारतीय संस्कृति, संस्कार, सभ्यता के कण- कण में है. कहा कि सभी शिक्षक चाणक्य बनेंगे, तब ही छात्र एकलव्य बन सकेंगे. शिक्षकों के उन्नयन के लिए शोध आवश्यक है. कहा कि आहार, विहार, विचार, व्यवहार सभी में भारत झलकना चाहिए. जिसमें भारत नहीं, वह हमें स्वीकार्य नहीं.

शिक्षा जीवन यापन का साधन मात्र नहीं- मंत्री

कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी की अध्यक्षता में सोमवार को जुबली हॉल में आयोजित कार्यक्रम में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा कि शिक्षा जीवन यापन का साधन मात्र नहीं है. वह अपने अर्थ को चरितार्थ तब करता है, जब परहित भाव उसमें निहित हो. हमें अपने जीवन को शोध समझते हुए जीवन के अर्थ की तलाश करनी चाहिए. विश्वविद्यालय अपने स्वरूप और प्रविधि में ही शोध है. हर पल कुछ नया करने की चाह समृद्ध राष्ट्र की निर्मिति के कारक हैं. पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग मंत्री हरि सहनी ने कहा कि शोध उपाधि के लिए नहीं, राष्ट्रहित में हो, यह जरूरी है. अपनी संस्कृति, धर्म, संस्कार, भाषा के रक्षार्थ प्रयत्नशील रहना चाहिए.

भारतीय शिक्षा और संस्कृति सराहनीय- कुलपति

कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने भारतीय शिक्षा और संस्कृति की सराहना की. गौ संरक्षण की सलाह दी. जय प्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमेंद्र कुमार वाजपेयी ने नयी शिक्षा नीति 2020 के निर्माण में भारतीय शिक्षण मंडल के कार्यों की सराहना करते हुए शोध के महत्व व प्रविधि पर बात रखी. भारतीय ज्ञान परंपरा और शास्त्रों के पुनर्पाठ पर जोर देते हुए विज्ञान- तकनीकी आधारित दर्शन के अध्ययन की चर्चा की. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडे ने भारतीय शिक्षा के भारतीयकरण के निमित प्रयास की आवश्यकता को महत्वपूर्ण बताया. संगोष्ठी के संयोजक सह निदेशक डीडीइ डॉ विनोद कुमार ओझा ने अतिथियों का स्वागत किया.

चयनित शोध आलेखों को किया गया पुरस्कृत

संगोष्ठी के दूसरे तकनीकी सत्र में शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह की अध्यक्षता में वक्ताओं ने शोध के स्वरूप, महत्व, प्रविध एवं उद्देश्य पर प्रकाश डाला. तीसरे सत्र में चयनित शोध आलेखों को पुरस्कृत किया गया. संचालन भारतीय शिक्षण मंडल के प्रदेश मंत्री नवीन तिवारी ने किया. संगोष्ठी में पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पवन कुमार झा, सांसद गोपाल जी ठाकुर, धर्मशीला गुप्ता, विधायक डॉ मुरारी मोहन झा, विधायक संजय सरागवी, मिश्री लाल यादव, भारतीय शिक्षण मंडल के अजीत कुमार, मंगलेश कुमार, साकेत रमण, अवनीश कुमार, विकास पारीख, महिमा कश्यप आदि मौजूद थे.

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