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झारखंड ऊर्जा निगम के 109 करोड़ फर्जी खाते में ट्रांसफर, तीन राज्यों में SIT के छापे, कोलकाता का है मास्टरमाइंड

झारखंड ऊर्जा निगम के सेंट्रल बैंक स्थित खाते से करीब एक साल से पैसा जेटीडीसी के फर्जी अकाउंट में ट्रांसफर हो रहा था. अब तक सात लेयर में पैसे को फ्रीज कराया जा सका है.

Jharkhand Cyber Fraud News, रांची : झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड के खाते से 109 करोड़ रुपये झारखंड पर्यटन विकास निगम लिमिटेड (जेटीडीसी) के फर्जी खाते में हस्तांतरित होने का मामला सामने आया है. इस मामले में डीजीपी अनुराग गुप्ता के निर्देश पर गठित सीआइडी व एटीएस की संयुक्त एसआइटी ने सोमवार को एक साथ रांची, रामगढ़, मुजफ्फरपुर और कोलकाता में छापा मारा. इस दौरान टीम ने चार लोगों को हिरासत में लिया है. सभी से पूछताछ की जा रही है. दूसरी ओर बैंकों में ट्रांसफर किये गये 35 करोड़ रुपये को जांच एजेंसी ने फ्रीज करा दिया है. एसआइटी में एटीएस एसपी रिषभ झा के अलावा तीन एसपी, साइबर डीएसपी मुन्ना सहित अन्य पुलिस अफसरों को शामिल किया गया है.

जेटीडीसी के फर्जी अकाउंट में हो रहा था ट्रांसफर

अब तक की जांच में पता चला है कि ऊर्जा निगम के सेंट्रल बैंक स्थित खाते से करीब एक साल से पैसा जेटीडीसी के फर्जी अकाउंट में ट्रांसफर हो रहा था. अब तक सात लेयर में पैसे को फ्रीज कराया जा सका है. इसके बाद पैसे को कई चरणों में सैंकड़ों अकाउंट में ट्रांसफर किया गया है. इस पूरे खेल का शातिर कोलकाता का मास्टरमाइंड और उसका गिरोह है. इससे पहले जेटीडीसी के नाम पर फर्जी खाता खुलवा कर उससे दूसरे के अकाउंट में 10.44 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर निकासी का मामला सामने आया था. इस मामले में धुर्वा थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. इस मामले को सीआइडी को ट्रांसफर करने के बाद रांची स्थित साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी है. सीआइडी 10.44 करोड़ के साथ ही 109 करोड़ रुपये के मामले की भी जांच करेगी.

पर्यटन विभाग ने ऊर्जा विभाग को लिखा था पत्र

झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड के सेंट्रल बैंक हिनू शाखा में संचालित खाते से उक्त राशि केनरा बैंक की हटिया शाखा में जेटीडीसी के नाम से खोले गये फर्जी खाता में ट्रांसफर किया गया था. यह ट्रांजेक्शन लंबे समय से हो रहा था. जेटीडीसी के निदेशक ने जेटीडीसी के फर्जी खाते से 10.44 करोड़ का ट्रांजेक्शन पकड़ा था. उसके बाद पर्यटन विभाग की ओर से ऊर्जा विभाग को पत्र लिखा गया था कि आपके यहां से पैसे क्यों ट्रांसफर किया गया है? उल्लेखनीय है कि मामला सामने आने के बाद ऊर्जा विभाग व बैंक अधिकारियों ने चार दिनों तक मामले की जांच की. इसमें पता चला कि पैसा निगम के पेंशनधारियों के लिए बने ट्रस्ट का था है. इस ट्रस्ट के खाते में लगभग 150 करोड़ रुपये जमा थे.

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