Haryana Election Results : हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले रहे हैं. यह विपक्ष ही नहीं बल्कि सत्ता पक्ष के लिये भी किसी अचंभा से कम नहीं है. चुनाव पूर्व भाजपा भी इतनी बड़ी जीत की उम्मीद नहीं कर रही थी. परिणाम ऐसा आया कि कांग्रेस ने इस चुनाव परिणाम को ही स्वीकार करने से इंकार कर दिया है. चुनाव की घोषणा के बाद के शुरुआती दिनों में भाजपा के प्रति वोटरों में गुस्सा जाहिर हो रहा था.
एंटी इनकंबेंसी लहर भी दिख रहा था, लेकिन जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आती गयी, भाजपा के नेताओं ने कांग्रेस के नैरेटिव को दूर करने का भरसक प्रयास किया और उस प्रयास में सफल रहा. कांग्रेस अपना जीत मानकर चल रही थी. तमाम एग्जिट पोलों ने कांग्रेस के इस विश्वास को अति आत्मविश्वास में बदलने का काम किया. सुबह मतगणना शुरू होते ही कांग्रेस शुरुआती रूझान में काफी आगे निकल चुकी थी. कांग्रेस के 24 अकबर रोड मुख्यालय पर नेताओं ओर कार्यकर्ताओं के चेहरे पर खुशी के भाव साफ दिख रहे थे.
लड्डू, जलेबी और पटाखे का प्रबंध यह बताने को काफी था कि कांग्रेस सपने में भी नहीं सोची थी कि कहीं उसका हाल छत्तीसगढ़ की तरह ना हो जाये. लेकिन मतगणना जैसे जैसे बढ़ती गयी कांग्रेस पीछे जाती रही. दोपहर होते-होते कांग्रेस मुख्यालय में सन्नाटा छा गया.कांग्रेस के तमाम नेता व कार्यकर्ता अभी भी पार्टी की हार का पचा नहीं पा रहे हैं. कांग्रेस के बड़े नेता भी चुनाव परिणाम को तंत्र की जीत बता रहे हैं, ना कि लोकतंत्र की जीत.
जीत के लिये कई कारण रहे महत्वपूर्ण
हरियाणा में भाजपा की जीत को कई विश्लेषक अप्रत्याशित मान रहे हैं. अप्रत्याशित इसलिए कि 10 साल सत्ता में रहने के बाद पार्टी के सामने एंटी-इनकंबेंसी थी. टिकट बंटवारे के बाद पार्टी के कई नेताओं ने खुलकर बगावत कर दी थी. एग्जिट पोल में भी बीजेपी की हार की संभावना जताई गयी. इन सबके बावजूद बीजेपी की जीत निश्चित रूप से बहुत खास है. भाजपा के जीत के कई कारण रहे, जिसमें जाट बनाम गैर जाट,कुमारी शैलजाकी नाराजगी, राहुल गांधी का आरक्षण विरोधी बयान और संघ की भाजपा के लिये जी-तोड मेहनत. यह सब ऐसे कारण रहे हैं, जो भाजपा को जिताने में निर्णायक साबित हुए.
भाजपा यह बताने में सफल रही कि कांग्रेस दलितों का अपमान कर रही है और यदि कांग्रेस जीतती है, तो हुड्डा मुख्यमंत्री होंगे और गैर जाटों के प्रति इनका रवैया खराब रहेगा. दलितों में कुमारी शैलजा की काफी पकड़ है. अशोक तंवर की कांग्रेस में वापसी से भी यह संदेश गया कि शैलजा के कद को कम करने के लिये हुड्डा ने अशोक तंवर को लाया है. राहुल के आरक्षण पर दिये गये बयान को भी भाजपा ने भुनाने का काम किया. साथ ही संघ के कार्यकर्ताओं ने लोगों के घर-घर पहुंचकर यह विश्वास दिलाने में कामयाब रहे है कि पिछली बार भाजपा से गलती हुई है, उसे सुधार लिया गया है और भविष्य में भाजपा विकास और दलितों के उत्थान के लिये और अधिक मजबूती के साथ काम करेगी.
कई इलाकों में हिंदू और गैर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की भी बात बतायी जा रही है, हालांकि हरियाणा में ऐसे क्षेत्रों की संख्या नगण्य है. आम आदमी पार्टी, बसपा, इनेलो, जजपा सहित अन्य दलों के बीच वोटों के बंटवारा का भी लाभ भाजपा को मिला. यही कारण रहा है कि भाजपा हरियाणा में हैट्रिक लगाने में कामयाब रही है.