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Haryana Election Results: छोटे दलों को जनता ने नाकारा

कांग्रेस ने 2019 के मुकाबले अपने वोट शेयर में 21 प्रतिशत से अधिक का सुधार किया है, जो 39.09 प्रतिशत हो गया है. वहीं भाजपा को भी तीन प्रतिशत का अतिरिक्त वोट शेयर मिला है, जो 2019 में 36 प्रतिशत से बढ़कर अब 39.89 प्रतिशत से अधिक हो गया है.

Haryana Election Results: हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम में भाजपा को सरकार बनाने के लिये जनता ने स्पष्ट बहुमत दिया है, वहीं छोटे-छोटे दलों को जनता ने नकार दिया है. खबर लिखे जाने तक चुनाव आयोग के ताजा रुझानों में हरियाणा में भाजपा 48 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है, वहीं कांग्रेस 37 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है. राज्य में तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी जीत दर्ज कर चुके हैं. वहीं इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) दो विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है. शाम 5 बजे तक यह स्पष्ट हो जाने के बाद कि हरियाणा में चुनावी रुझानों में कोई उलटफेर नहीं हुआ है, कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. शाम 6 बजे चुनाव आयोग के रुझानों के अनुसार कांग्रेस को लगभग 39.09 प्रतिशत वोट शेयर मिलते हुए देखा जा रहा है. कांग्रेस ने 2019 के मुकाबले अपने वोट शेयर में 21 प्रतिशत से अधिक का सुधार किया है. लेकिन भाजपा को भी तीन प्रतिशत का अतिरिक्त वोट शेयर मिला है, जो 2019 में 36 प्रतिशत से बढ़कर अब 39.89 प्रतिशत से अधिक हो गया है. कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा, “हरियाणा चुनाव का फैसला आश्चर्यजनक और अभूतपूर्व है.” जयराम ने आरोप लगाया कि कांग्रेस दो दिनों के भीतर चुनाव आयोग से शिकायत करेगी. जयराम ने आरोप लगाया, “हम उन सीटों पर हारे, जहां हमारी हार की कोई उम्मीद नहीं थी. कुछ जगहों पर स्थानीय अधिकारियों पर दबाव डालने की शिकायतें मिली हैं.” 

छोटे दलों को जनता ने नकारा

हरियाणा के नतीजों से पता चलता है कि राज्य की जनता ने छोटे राजनीतिक दलों को पूरी तरह से नकार दिया है. पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) हरियाणा चुनाव में बुरी तरह से हार गयी. चुनाव नतीजों में जेजेपी का खाता भी नहीं खुला. इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) दो विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है. निर्दलीय तीन सीटों पर आगे चल रहे हैं. कुल मिलाकर, छोटे दल और निर्दलीय कुल 90 में से केवल पांच विधानसभा सीटों पर अपनी ताकत दिखा पाये हैं. भाजपा ने 2019 के राज्य चुनावों में 40 विधानसभा सीटें जीती थीं. अब 48 सीटों पर अपना कब्जा जमा लिया है. हरियाणा में जेजेपी के कार्यकर्ताओं के पलायन का फायदा भाजपा को मिलता दिख रहा है. मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के बाद भाजपा ने जेजेपी के कई विधायकों को अपने पाले में कर लिया था. भाजपा के वोट शेयर में बढ़ोतरी का कारण जेजेपी के जनाधार को भाजपा के पक्ष में जाना माना जा रहा है. आम आदमी पार्टी (आप) को हरियाणा में करीब 1.78 फीसदी वोट मिले. 

आप से गठबंधन न करना पड़ा भारी

आप हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहती थी. लेकिन हरियाणा कांग्रेस के क्षत्रप और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आप के साथ गठबंधन का विरोध किया. आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह संकेत देने की कोशिश की कि कांग्रेस उनकी पार्टी के साथ गठबंधन न करके हरियाणा में सत्ता हासिल करने से चूक गयी है. केजरीवाल ने कहा, “चुनाव को लेकर किसी को भी अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए.” कांग्रेस ने वोट शेयर में काफी सुधार किया, लेकिन हरियाणा में पार्टी अभी भी भाजपा से 0.80 प्रतिशत वोट शेयर के साथ पीछे है. 

अति आत्मविश्वास ने कांग्रेस को डुबोया 

हरियाणा में कुमारी शैलजा फैक्टर ने भी कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया. कांग्रेस के अभियान में अति आत्मविश्वास की झलक दिखी, क्योंकि उसे लगा कि राज्य पहले से ही उसकी झोली में है. जबकि इससे पहले भी छत्तीसगढ़ में जब सारे ओपिनियन पोल कांग्रेस को जीता रही थी, तब भी पार्टी को हार मिली थी. उस हार को शायद कांग्रेस भूल गयी थी, तभी अति आत्मविश्वास के साथ काम कर रही थी. जबकि भाजपा अपने कथित हार को जीत में बदलने की वह सब कोशिश करने में जुटी रही, जो जरूरी था. भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक पार्टी की सफलता का श्रेय संगठनात्मक मेहनत और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ बेहतर तालमेल का रहा. आरएसएस के प्रचारक ने जिस तरह से घर-घर जाकर कांग्रेस द्वारा फैलाये जा रहे नैरेटिव को दूर करने काम किया वह पार्टी के जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. 

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