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शारदीय नवरात्र के सातवें दिन देवी कालरात्री की पूजा आज.

भक्त देवी कात्यायनी की पूजा पूरी श्रद्धा से करते है उसे परम पद की प्राप्ति होती है

बांका. शारदीय नवरात्र के छठा दिन जिलेभर के सभी मंदिर व पूजा पंडाल में मां दुर्गा के छठें स्वरूप देवी कात्यायनी की श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की. इस दौरान अहले सुबह से ही सभी मंदिर में पूजा अर्चना को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ लगना शुरु हो गया और पूरे दिन देखने को मिली. कहा जाता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. मां कात्यायनी का स्वरूप चमकीला और तेजमय है. इनकी चार भुजाएं हैं. दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में रहता है. वहीं नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है. मां कात्यायनी के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार धारण करती हैं व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित रहता है.धार्मिक मान्यता के अनुसार जो भी भक्त देवी कात्यायनी की पूजा पूरी श्रद्धा से करते है उसे परम पद की प्राप्ति होती है. -कालरात्री की पूजा आज शारदीय नवरात्र के सातवें दिन आज यानि बुधवार को मां के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जायेगी. शास्त्र के अनुसार मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है. मां के बाल लंबे और बिखरे हुए हैं. मां कालरात्रि के चार हाथ हैं. मां के हाथों में खड्ग, लौह शस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा है. इनके हाथों में खड्ग और कांटा है. इनका वाहन गधा है. लेकिन मां कालरात्रि भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं. इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है. -इस विधि से करे मां कालरात्री की पूजा. सुबह सबसे पहले स्नान के बाद व्रत और मां कालरात्रि के पूजन का संकल्प लें. उसके बाद मां कालरात्रि को जल, फूल, अक्षत, धूप, दीप, गंध, फल, कुमकुम, सिंदूर आदि अर्पित करते हुए पूजन करें. कलश पूजन करने के बाद दीपक जलाए. मां को लाल पुष्प बहुत प्रिय है. इसलिए पूजन में गुड़हल अर्पित करने से माता अति प्रसन्न हो जाती है. इसके बाद मां काली का ध्यान व मंत्र का उच्चारण करें. बाद मां को गुड़ का भोग लगाएं. फिर दुर्गा चालीसा, मां कालरात्रि की कथा आदि का पाठ करें. फिर पूजा का समापन मां कालरात्रि की आरती से करें. पूजा के बाद क्षमा प्रार्थना करें और जो भी मनोकामना हो उसे माता रानी से कह दें.

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