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Durga Puja 2024: सीतामढ़ी में 200 सौ साल से मां महारानी दुर्गा मंदिर में जल रहा है आस्था का दीप, भक्तों की लगी भारी भीड़

Sitamarhi: दुर्गा माता का मंदिर अपनी पावन एवं मंगलमयी गाथा का गवाह बन गया है. मंदिर में स्थापित मां की भव्य, मनमोहक एवं आकर्षक मूर्ति भक्तों का मन मोह लेती है.

Durga Puja 2024: सीतामढ़ी. शहर से सटे राम प्रताप यादव चौक भूपभैरो स्थित आदिशक्ति मां महारानी दुर्गा मंदिर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्तजन मां दुर्गा की आर्शीवाद लेने आते है. श्रद्धालुओं के बीच यह मान्यता है कि इस मंदिर में आकर सच्च मन से कुछ मांगने पर भक्तों की सभी सही मनोकामना पूर्ण होती है. यह मंदिर मनोकामना सिद्धपीठ के रूप में प्रसिद्ध है. बिहार के अन्य जिलों के अलावा नेपाल से भी भक्त आते हैं. करीब 200 सालों से यहां पूजा अर्चना हो रही है.

मंदिर में हमेशा होता है भक्ति कार्यक्रम का आयोजन

दुर्गा माता का मंदिर अपनी पावन एवं मंगलमयी गाथा का गवाह बन गया है. मंदिर में स्थापित मां की भव्य, मनमोहक एवं आकर्षक मूर्ति भक्तों का मन मोह लेती है. मंदिर के पुजारी कहते है इस पवित्र मंदिर के प्रांगण में हर नवरात्रि में भगवती की वैदिक मंत्रोच्चारण से पूजा और अर्चना की जाती है. मंदिर में मां दुर्गा, भगवान श्री कृष्ण व राधा जी की मूर्ति है. मंदिर में हमेशा ही भक्ति कार्यक्रम, कीर्तन, गीता पाठ व रामायण पाठ का आयोजन किया जाता है. अभी नवरात्रि में भी प्रतिदिन कीर्तन व भक्ति कार्यक्रम होता है.

मंगला व संध्या आरती में भक्तों की भारी भीड़

मंगला आरती सुबह 6 बजे होती है तो संध्या आरती शाम 7 बजे होती है. जिसमें भक्तो की भारी भीड़ रहती है. इस मंदिर में आरती के समय एकदम दिव्य माहौल रहता है. आरती के समय मां दुर्गा की आरती व हरे कृष्ण महामंत्र का सकीर्तन अद्भुत होता हैं, यहां का माहौल भक्तिमय हो जाता है. आसपास के लोगों की मानें तो इस दुर्गा मंदिर की महिमा अपरंपार है. दुर्गा मंदिर के समीप प्रत्येक वर्ष शारदीय नवरात्र के दौरान भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है. माता को खोइछा देने और माता के दर्शन को लेकर भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है.

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प्रथम मुखिया के नेतृत्व में मंदिर का हुआ जीर्णाद्धार

मंदिर के इतिहास के बारे में बड़े बुजुर्ग बताते है कि पहले यहां माता का पिंड था. वही पर लोग पूजा अर्चना करते थे. गांव के प्रथम मुखिया राम प्रताप यादव के नेतृत्व में महारानी स्थान का जीर्णोद्धार कराया गया. साल 2012 में स्वतंत्रता सेनानी राम प्रताप यादव अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर भव्य मंदिर बनवाने का संकल्प लिया उनके पुत्र समाजसेवी नन्दलाल यादव और गांव के ही कथावाचक योगी भगत के नेतृत्व में गांव वालों की सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण हुआ. जिसका उद्घाटन 2014 में स्वतंत्रता सेनानी राम प्रताप यादव ने किया.

वहीं उनके पौत्र विकास रंजन व विवेक रंजन ने जयपुर से मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा मंगवाई व 9 दिवसीय महायज्ञ सीताराम नाप जाप के साथ पूरे विधि विधान पूजा अर्चना के साथ मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित किया गया. नन्दलाल यादव, योगी भगत, महेश झा, दरबारी सिंह, श्री भगवान शाह, बटोही दास, रामकृत ठाकुर, प्रमोद यादव व जितेंद्र रय समेत अन्य ग्रामीण मंदिर की देखभाल में लगे रहते है.

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