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मंजौरा सार्वजनिक दुर्गा मंदिर की दूर-दूर फैली है ख्याति

मंजौरा सार्वजनिक दुर्गा मंदिर की दूर-दूर फैली है ख्याति

उदाकिशुनगंज. उदाकिशुनगंज प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत मंजौरा का सार्वजनिक दुर्गा मंदिर 24 वर्षों से आस्था का केंद्र बना हुआ है. यह मंदिर को मनोकामना पूरी होने के लिए प्रसिद्ध है. इस मंदिर की विशेषता यहां की श्रृंगार पूजा है. वर्ष 2000 से उत्साह पूर्वक मंदिर कमेटी के सदस्य एवं स्थानीय ग्रामीणों द्वारा हर्षोल्लास के साथ दुर्गा पूजा मनाया जाता है. मेला में प्रत्येक वर्ष दशवीं और एकादशी को अंर्तराज्यीय उम्दा कलाकारों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम मैया जागरण की जाती है. जौतेली, रहुआ, रामपुर, लक्ष्मीपुर लालचंद, देवेल, बायशी टोल, चायटोल कुम्हारपुर, संथाल टोला इन सब गांवों के बीच यह प्रसिद्ध मेला इन सब ग्रामवासियों के आस्था का केंद्र बना हुआ है. भक्तों की मनोकामना होती है पूरी जानकारी के अनुसार वर्ष 2000 में लक्ष्मीपुर लालचंद में स्थापित मां भगवती के भव्य मंदिर से मंजौरा के नौ सदस्यों का एक टीम गठित की गयी. टीम में अध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह, कोषाध्यक्ष राजेश सिंह व सचिव नवल किशोर पासवान के नेतृत्व में पान (मान-मनौव्वल) करके लक्ष्मीपुर लालचंद से कलश लाकर मंजौरा में माता भगवती दुर्गा को स्थापित किया गया. तत्काल माता भगवती को गांव के ही प्रसिद्ध काली मंदिर में रखा गया. कमेटी के सदस्यों ने धीरे-धीरे चंदा इकट्ठा कर नीचे दीवाल और ऊपर फूस का मंदिर बना कर माता भगवती को स्थापित किया गया. धीरे-धीरे श्रद्धालुओं का मनोकामना पूर्ण होता गया और मंदिर में भरपूर चढ़ावा आना शुरू हो गया. माता भगवती मंदिर में सोने चांदी और रुपयों का अंबार लगने लगा और मंदिर की भव्यता बढ़ती गयी. मंदिर का कराया गया है निर्माण बीते तीन साल पहले आधुनिक रूप से मंदिर की सौंदर्यीकरण और भव्यता को बढ़ाया गया था. 17 वर्षों के बाद पुराने कमेटी को भंग कर 2018 में नई कमेटी का निर्माण कराया गया, जिसमें अध्यक्ष पद पर मंजौरा के पूर्व सरपंच अजय शंकर सिंह व कोषाध्यक्ष नवल किशोर मेहता, सचिव दीपक झा, उपाध्यक्ष विपिन मंडल को बनाए गया. अब इन सभी के तत्वाधान में मेला लगाया जा रहा है. मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे दिल से मन्नत मांगती है. उनकी मुरादें निश्चित रूप से पूरी होती है. गांव के हीं स्थानीय श्रद्धालु निर्मल प्रसाद सिंह जो कि वर्तमान समय में मध्य प्रदेश के छत्तीसगढ़ प्रांत में रह रहे हैं. उन्होंने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जलाभिषेक करने के लिए मंदिर परिसर में कुआं का निर्माण कराया. साथ हीं दुर्गा मंदिर परिसर के बगल में एक मंदिर का निर्माण कराया. जिसमे शिव-पार्वती और बजरंगबली का प्रतिमा को स्थापित की. जो लोगों के आस्था का केंद्र बना हुआ है. वहीं ग्रामीण पांडव कुमार ने बताया कि यहां दूरदराज से लोग आते हैं और पूजा पाठ कर मां भगवती से आशीर्वाद लेकर अपना मनोकामना पूर्ण करते हैं. मंदिर परिसर में कोसी बेसिन प्रोजेक्ट का बना हुआ है भवन कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर परिसर में कोसी बेसिन प्रोजेक्ट भवन बना हुआ है. जहां पीपल वृक्ष है. भवन में राजाराम यादव नामक कर्मचारी पुजारी के तौर पर रहा करते थे. वर्ष 1999 में मंदिर स्थापित कर उन्होंने ने ही सर्वप्रथम कलश स्थापना कर पूजा पाठ किया करते थे. तब से लगातार पूजा -अर्चना होती है.

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