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Navratri: नवरात्रि के दौरान मृत्यु होने पर कहां जाती है आत्मा

Navratri: नवरात्रि के दौरान मृत्यु को हिंदू धर्म में पवित्र और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है. जानें, इस पावन समय में मृत्यु से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं और देवी मां की कृपा से मोक्ष प्राप्ति के पीछे का आध्यात्मिक महत्व.

Navratri: हिंदू धर्म में नवरात्रि को एक पवित्र और विशेष महत्व प्राप्त है. यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है—एक बार वसंत में और दूसरी बार शरद ऋतु में. इस पावन अवधि में कुछ मान्यताएं मृत्यु से भी जुड़ी होती हैं. नवरात्रि के दौरान मृत्यु को विशेष रूप से पवित्र और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है. ऐसा विश्वास है कि अगर कोई व्यक्ति नवरात्रि के दौरान अपने जीवन की अंतिम यात्रा करता है, वह व्यक्ति सीधे मोक्ष को प्राप्त करता है. उसे देवी मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है.यह मान्यता भारत के विभिन्न हिस्सों में फैली हुई है और इस परंपरा को बहुत गंभीरता से लिया जाता है. बुजुर्ग लोग खासतौर पर इस पर विश्वास करते हैं कि इस समय मृत्यु होने से आत्मा को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है.

नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि केवल देवी की पूजा का समय नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा समय भी है जब आत्मा और शरीर को शुद्ध करने का मौका मिलता है. लोग इस दौरान उपवास करते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं, और अपनी आत्मा को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं. भक्तजन मानते हैं कि इस दौरान किए गए हर छोटे से छोटे कर्म का भी देवी मां पर गहरा असर होता है. जो लोग नवरात्रि के दौरान देवी मां की सच्ची श्रद्धा और भक्ति से पूजा करते हैं, उन्हें जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है.

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मृत्यु और मोक्ष

हिंदू धर्म में मृत्यु को एक नई शुरुआत माना जाता है, न कि अंत. यह जीवन और आत्मा की अनंत यात्रा का एक हिस्सा है. जब कोई व्यक्ति मरता है, तो उसकी आत्मा एक नए शरीर में जन्म लेती है, लेकिन यह चक्र तब तक चलता रहता है जब तक कि व्यक्ति को मोक्ष नहीं मिल जाता. मोक्ष का मतलब है आत्मा का जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाना और परमात्मा में विलीन हो जाना. नवरात्रि के दौरान, यह माना जाता है कि देवी मां की विशेष कृपा से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त हो सकता है.

जो लोग इस समय मरते हैं, उनके लिए माना जाता है कि देवी मां उनकी आत्मा को सीधे अपने चरणों में स्थान देती हैं. यह एक उच्च धार्मिक विश्वास है, जो यह दर्शाता है कि व्यक्ति की आत्मा को विशेष कृपा प्राप्त हो रही है. इस समय मृत्यु को एक वरदान के रूप में देखा जाता है, क्योंकि यह आत्मा को तुरंत मुक्ति दिलाने में सहायक होता है.

क्यों है यह मान्यता विशेष?

इस मान्यता के पीछे कई धार्मिक और आध्यात्मिक कारण हैं. हिंदू धर्म में देवी-देवताओं का बहुत बड़ा महत्व है, और देवी मां को शक्ति और सृजन की प्रतीक माना जाता है. नवरात्रि के समय देवी मां की उपस्थिति विशेष रूप से महसूस की जाती है. लोग मानते हैं कि इन नौ दिनों के दौरान, देवी मां धरती पर निवास करती हैं और अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं. इस दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु होना एक संकेत माना जाता है कि वह व्यक्ति अपने जीवन की सभी जिम्मेदारियों को पूरा करके देवी मां की शरण में जा रहा है.

व्यक्तिगत धार्मिक विश्वास

यह जरूरी है कि हम समझें कि मृत्यु से जुड़ी ये मान्यताएं हर व्यक्ति के व्यक्तिगत धार्मिक विश्वास पर आधारित होती हैं. धर्म और आस्था के मामले में हर व्यक्ति का दृष्टिकोण अलग हो सकता है. कुछ लोग इसे पूरी तरह से मानते हैं, जबकि कुछ इसे एक प्रतीकात्मक रूप में देखते हैं. यहां तक कि भारत के विभिन्न हिस्सों में भी इस मान्यता के प्रति भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण हो सकते हैं.

मृत्यु को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखना

मृत्यु को लेकर अक्सर नकारात्मक भावनाएं होती हैं, लेकिन नवरात्रि के दौरान इस समय को सकारात्मकता के साथ देखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र समय में मृत्यु होने से व्यक्ति को अपने पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है, और वह बिना किसी बाधा के मोक्ष प्राप्त कर लेता है. यह एक प्रकार की धार्मिक सांत्वना है, जो लोगों को अपने प्रियजनों की मृत्यु के समय शांति और सांत्वना प्रदान करती है.

नवरात्रि के दौरान मृत्यु को हिंदू धर्म में किस तरह से देखा जाता है?

हिंदू धर्म में नवरात्रि के दौरान मृत्यु को पवित्र और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है. यह विश्वास है कि इस समय मृत्यु होने पर व्यक्ति देवी मां की विशेष कृपा से जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है और मोक्ष प्राप्त करता है. इस समय को आत्मा की मुक्ति के लिए अनुकूल माना जाता है.

नवरात्रि के दौरान मृत्यु को मोक्ष प्राप्ति से क्यों जोड़ा जाता है?

नवरात्रि के दौरान देवी मां की विशेष कृपा मानी जाती है, जिससे यह विश्वास है कि इस समय मृत्यु होने पर व्यक्ति को सीधे मोक्ष प्राप्त होता है. इस अवधि को देवी मां के आशीर्वाद से आत्मा के शुद्धिकरण और जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति के लिए अनुकूल माना जाता है.

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