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Jharkhand Assembly Election: गुमला के इन 2 गांवों के लोगों ने नेताओं के प्रवेश पर लगायी रोक, इस वजह हैं नाराज

Jharkhand Assembly Election : दीरगांव व विमरला पंचायत के ग्रामीणों ने वोट न डालने की चेतावनी दी है. ग्रामीणों ने कहा कि पंचायत की जर्जर सड़क कभी चुनावी मुद्दा नहीं बना.

Jharkhand Assembly Election, गुमला, दुर्जय पासवान: गुमला जिले के बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत घाघरा प्रखंड के दीरगांव व विमरला पंचायत में नेताओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी है. ग्रामीणों ने बैठक कर निर्णय लिया है कि अगर सड़क नहीं बनी, तो इस बार विधानसभा चुनाव में वोट नहीं देंगे. ग्रामीणों ने कहा कि झारखंड गठन के 24 साल हो गये. परंतु, कभी दीरगांव व विमरला पंचायत की जर्जर सड़क चुनावी मुद्दा नहीं बनी. अब तक किसी राजनीति पार्टी ने सड़क बनवाने की पहल भी नहीं की. बैठक में दोनों पंचायतों के करीब दो हजार ग्रामीण शामिल हुए.

ग्रामीण चाहते हैं कि दोनों पंचायतों का विकास हो

गुमला जिला का दीरगांव व विमरला पंचायत घोर नक्सल प्रभावित है. भाकपा माओवादी, जेजेएमपी, झांगुर गुट इस क्षेत्र में सक्रिय है. इधर, पुलिस दबिश से भाकपा माओवादी का प्रभाव कम हुआ है. अब, ग्रामीण चाहते हैं कि दोनों पंचायतों का विकास हो. इन दोनों पंचायतों में 40 से अधिक छोटे बड़े टोले हैं. आबादी लगभग 15 हजार है. दोनों पंचायतों की समस्या लेकर बुधवार को सरइडीह गांव में बैठक हुई. ग्रामीण हाथों में रोड नहीं, तो वोट नहीं की तख्ती पकड़े हुए थे. ग्रामीणों ने कहा कि रोड नहीं, तो वोट नहीं देंगे. इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या सड़क है.

नेताओं से है नाराजगी

ग्रामीणों ने कहा कि सांसद व विधायक कभी हमारे गांव की समस्या जानने नहीं आते हैं. विधायक का दर्शन दुर्लभ हो गया है. जबकि, हमलोग यहां संकट में जी रहे हैं. गर्भवती व बीमार लोगों को अस्पताल ले जाने में परेशानी होती है. गांव में अस्पताल भवन है, पर सुविधा नहीं. 30 किमी दूर घाघरा जाना पड़ता है. स्कूल की छत भी टूट कर गिर रही है. सिंचाई की सुविधा नहीं है.

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क्या कहते हैं ग्रामीण

हमारे वोट से नेता लोग सांसद व विधायक बन जाते हैं. परंतु, कभी हमारे गांव के विकास के लिए पहल नहीं करते. इस बार हमलोगों ने निर्णय लिया है कि अगर चुनाव की घोषणा से पहले रोड बनाने का लिखित आश्वासन नहीं मिलता है, तो हम वोट नहीं देंगे.

रोबिना कुजूर

हमलोग संकट में जी रहे हैं. सड़क नहीं है. कई जगह पुल क्षतिग्रस्त है. स्वास्थ्य की सुविधा नहीं है. सिंचाई का साधन नहीं है. इस क्षेत्र में सरकारी योजना महज फाइलों तक सिमट कर रह गयी है. इस बार हम ग्रामीण एकजुट हैं. बिना विकास के वोट नहीं देंगे.

अशोक टोप्पो

मेरा नेताओं से अनुरोध है कि आप हमारे क्षेत्र में आयें. हमलोग कैसे जी रहे हैं. इसे देंखे. सड़क की हालत देखें. सड़क जानलेवा हो गयी है. बोल्डर व पत्थर पर चलना मुश्किल हो गया है. इतना ही नहीं, इस क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य व पेयजल की भी समस्या है.

संदीप कुजूर

गांव में अस्पताल भवन बना है, लेकिन यहां किसी प्रकार की सुविधा नहीं है. सरकारी स्कूल भवनों की छत टूट कर गिर रही है. नेताओं को छोड़ दीजिये. यहां तो अधिकारी भी कभी-कभार आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं. हम ग्रामीण काफी नाराज हैं. चुनाव में इसका असर दिखेगा.

सुरेश भगत

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