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दशहरा संपन्न, कहीं धुमुची नृत्य तो कहीं मेला की रही धूम

इस बार जिले में दशहरा मेला विविध रंगों में देखने को मिला. दुर्गापूजा में इस बार सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटक, भजन संध्या एवं अन्य कार्यक्रम हुए. इतना ही नहीं कहीं भंडारा का आयोजन हुआ, तो कहीं हांडी भोग का वितरण किया गया.

इस बार जिले में दशहरा मेला विविध रंगों में देखने को मिला. दुर्गापूजा में इस बार सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटक, भजन संध्या एवं अन्य कार्यक्रम हुए. इतना ही नहीं कहीं भंडारा का आयोजन हुआ, तो कहीं हांडी भोग का वितरण किया गया. नवमी को कन्या पूजन हुआ, तो बंगाली समाज के पूजा स्थानों में विजयादशमी पर सिंदूर खेला का आयोजन हुआ. छिटपुट घटनाओं को छोड़ दें, तो शांतिपूर्वक शारदीय नवरात्र संपन्न हो गया.दुर्गाबाड़ी, मशाकचक में बांग्ला गीत, नाटक, धुमुची नृत्य, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि हुए, तो मारवाड़ी पाठशाला परिसर में ढाक की थाप, कालीबाड़ी में बाउल संगीत, मोहद्दीनगर दुर्गा स्थान में अलग-अलग दिनों में विविध आयोजन हुए. इस प्रकार शहर के विभिन्न स्थानों पर दुर्गा पूजा को लेकर विविध आयोजन हुए.

दुर्गाबाड़ी, कालीबाड़ी, मारवाड़ी पाठशाला, आदमपुर, रिफ्यूजी कॉलोनी आदि में सातवीं को खिचड़ी का भोग, अष्टमी को पुलाव भोग व नवमी को खिचड़ी का हांडी भोग बांटा गया. इसके अलावा छितनु सिंह अखाड़ा में दशमी पूजा पर खीर का प्रसाद बांटा गया, कचहरी चौक पर सत्कार क्लब की ओर से नवमी व दशमी पर प्रसाद बांटा गया. मुंदीचक गढ़ैया में सातवीं पूजा को 11 प्रकार के व्यंजन का भोग लगाया गया.

शांतिपूर्वक संपन्न हुआ शारदीय नवरात्र, प्रतिमाओं का हुआ विसर्जन

जिले के विभिन्न स्थानों पर मां दुर्गा की पूजा विधि-विधान से हुई. शुक्रवार को नवमी पर कन्या पूजन हुआ. शनिवार को दशमी पर कलश विसर्जन हुआ. हालांकि बांग्ला विधि-विधान वाले स्थानों पर दशमी पूजा रविवार को हुई. कलश विसर्जन के बाद श्रद्धालुओं ने जयंती धारण कर परिवार व समाज कल्याण की मंगलकामना की. सभी स्थानों से शोभायात्रा के साथ माता की प्रतिमा का विसर्जन भावुक मन से किया गया. रविवार को प्रतिमा विसर्जन शोभायात्रा निकाली गयी और देर शाम मायागंज मुसहरी घाट में प्रतिमाओं का विसर्जन बारी-बारी से कर दिया गया, मोहद्दीनगर दुर्गा स्थान की प्रतिमा को डांडिया नृत्य कर विसर्जन के लिए ले जाया गया. उनके आगे मिरजानहाट की प्रतिमा का विसर्जन शोभायात्रा के साथ थी.विभिन्न स्थानों पर स्थापित अधिकतर स्थानों की प्रतिमाओं का विसर्जन गंगा तट, कृत्रिम तालाब, पोखर आदि में किया गया. इस दौरान महिलाओं व युवतियों ने अबीर-गुलाल लगाकर मां को विदा किया. महिलाओं ने पारंपरिक विदाई गीत गाकर मां को नमन किया. शोभायात्रा में गाजे-बाजे के साथ श्रद्धालु नृत्य करते हुए चल रहे थे और मां की जयकारा कर रहे थे.

मौसम ने दिया साथ और सभी वर्ग के लोगों ने उठाया मेला का लुत्फ

सभी वर्ग के लोगों खासकर महिलाओं, बच्चों व युवाओं ने दशहरा मेला का जमकर लुत्फ उठाया. दरअसल नवरात्र से पहले जिले में मुसलाधार बारिश हुई और गंगा व कोसी में आयी बाढ़ से हजारों लोग त्राहिमाम कर रहे थे. इसके उलट दशहरा मेला के दौरान न बारिश हुई और न ही बाढ़ का प्रकोप बढ़ा. दिनभर लोग पंडाल व मंदिर में पूजन-दर्शन के लिए आते रहे. विभिन्न पूजा व मेला स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ रही.

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