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पटवन के अहम मौके पर खराब हो जाते हैं लरमा केनाल के पंप

कृति और सिंचाई विभाग की मार ने दुर्गावती प्रखंड के किसानों के सामने उनके पेट पर ही संकट खडा कर दिया है. पटवन के अहम मौके पर लरमा केनाल के पंप बार बार खराब हो जाते हैं

भभुआ. प्रकृति और सिंचाई विभाग की मार ने दुर्गावती प्रखंड के किसानों के सामने उनके पेट पर ही संकट खडा कर दिया है. पटवन के अहम मौके पर लरमा केनाल के पंप बार बार खराब हो जाते हैं. वर्तमान में भी लरमा पंप केनाल के दो पंप खराब हैं. फूटने के कगार पर पहुंचे धान के पटवन को लेकर दुर्गावती प्रखंड के किसान अब बाप-बाप चिल्लाने लगे हैं. गौरतलब है कि धान पकने के मुहाने पर खड़ा हो चुका है. बालियां रेडी लेकर फूटने का इंतजार कर रही हैं. लेकिन, ठीक इसी मुहाने पर दुर्गावती प्रखंड के किसान एक तरफ प्रकृति की मार, तो दूसरी तरफ सरकारी दुर्व्यवस्था की मार झेल रहे हैं और देखते-देखते किसानों को लगता है कि उनके हाथ उनके मेहनत की कमाई निकल जायेगी. अभी लरमा पंप केनाल के पोषक क्षेत्र के किसान सितंबर माह के दूसरे पखवारे में जिले में हुई भारी वर्षा के बाद जब कर्मनाशा नदी का पानी लरमा बांध में छोड़ दिया गया था, तब दुर्गावती प्रखंड के हजारों किसानों के धान की खड़ी फसल पानी में डूब कर बर्बाद हुई थी. लेकिन, जब बाढ़ की विपत्ति टल कर किनारे लगी, तो दुर्गावती प्रखंड के किसानों के सिर पर लरमा केनाल के दो पंपों के खराब होने की गाज फिर गिर पड़ी है. लरमा पंप केनाल दुर्गावती प्रखंड के ढाई दर्जन से अधिक गांवों के लगभग पांच हजार हेक्टेयर खेतों के पटवन का सहारा है. किसानों ने बताया कि कर्मनाशा नदी में लगाया गया लरमा पंप केनाल से जीटी रोड के उत्तर तरफ लरमा, जमुरनी, कुल्हड़िया, मौहरियां, छाता करारी, कोट्सा, अटरिया, मदनपुर, खजुरा, सरैयां, ढङहर, कानपुर, धनसराय, मसौढा, पचलिखी, नुआंव सहित ढाई दर्जनों से अधिक गांवों के किसानों के खेतों की सिंचाई होती है. बावजूद इसके दो पंप तो खराब हो ही गये हैं, तीसरे पंप की हालत भी ठीक नहीं है. लेकिन तीसरे पंप से ही किसी तरह काम चलाया जा रहा है. यह भी पंप काफी पुराना रहने से कम पानी दे रहा है, जिससे किसानों का पटवन नहीं हो पार रहा है. पंप खराब होने के बाद बनने के लिए बनारस भेजने में ही विभाग सारा समय चाट जाता है यहां पर नये मोटर पंप लगाने की जरूरत है. वहीं, लरमा पंप कैनाल पर एक भी रेगुलर कर्मी नहीं है. ऑपरेटर भी दहाड़ी पर ही कार्य कर रहे हैं. जबकि, कर्मनाशा नदी में अभी पानी की कमी नहीं है. अगर खराब पंपों का मरम्मत करा दिया जाये तो किसानों के खेतों का पटवन हो जायेगा और किसान अपनी फसल काट पायेंगे. क्या कहते हैं किसान — इस संबंध में जमुरनी गांव के किसान कैलाश तिवारी ने बताया लरमा पंप केनाल पटवन के हर मौके पर फेल हो जाता है. इसकी देखरेख भी सही से नहीं करायी जाती है, जिसके कारण पंप खराब हो जाते हैं और किसानों के खेतों को पानी नहीं मिलता है. एक पंप चले या न चले इससे कोई बड़ा फायदा किसानों को नहीं होता है. क्योंकि, एक पंप चलने के बाद पानी की लूट मच जाती है और किसानों में तनाव हो जाता है. जिससे टेल तक के किसानों को पानी मिल ही नहीं पाता है. –लरमा गांव के किसान मुन्ना यादव ने बताया कि 25 साल पहले लरमा पंप केनाल बनाया गया था. लेकिन, मरम्मत के नाम पर इस पंप केनाल में सिर्फ खानापूर्ति की जाती है. धान के इस सीजन में लरमा केनाल के दो पंप पहले भी खराब थे, जिसे मरम्मत कर ठीक कराने में माहों लग गये. अब फिर केनाल के तीन पंपों में दो पंप खराब हो गये हैं. ये पंप काफी पुराना हो जाने से बार-बार खराब हो जा रहे हैं. सरकारी दुर्व्यवस्था का आलम यह है कि इन पंपों को ठीक करने में जल संसाधन विभाग महीनों समय बर्बाद करा देता है. जबकि धान की बालियां फूटने के कगार पर हैं. अगर अभी धान के खेतों को पानी नहीं मिलता है तो धान की खड़ी फसल का उत्पादन आधे से भी कम हो जायेगा. इन्सेट कैमूर में नहीं है केनाल के पंपों की मरम्मत करने वाले मिस्त्री भभुआ. आज के हाइटेक तकनीकी के दौर में भी जिले में चलाये जाने वाले विभिन्न पंप केनालों के खराब पंपों की मरम्मत करने वाले मिस्त्री कैमूर नहीं हैं. पंपों के खराब होने के बाद इन्हें मरम्मत करने वाले मेकेनिक या तो बनारस में या फिर कलकत्ता में ही उपलब्ध हैं. इधर, इस संबंध में जब जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता विक्रम दास से बात की गयी, तो उन्होंने बताया कि लरमा केनाल के खराब पंपों को मरम्मत के लिए बनारस भेजा गया है. क्योंकि, कैमूर में इसके मिस्त्री नहीं हैं. खराब पंप या तो बनारस बनेंगे या फिर कोलकाता, उनका कहना था कि एक दो दिन के अंदर पंप बन कर आ जायेंगे. इसके बाद दोनों पंपों को चालू करा दिया जायेगा. यह पूछे जाने पर कि आखिर बार बार पंप क्यों खराब हो जाते हैं. उनका कहना था कि मेकेनिकल चीज है. कभी पंपों में कचड़े के साथ पानी घुस जाता है या कभी पंप लगातार चलने के कारण ओवर हीट से भी खराब हो जाते हैं. इन्सेट 2 लरमा केनाल पर लगाये जायेंगे नये पंप भभुआ. दुर्गावती प्रखंड के लरमा केनाल के पंपों के दिन बहुरने वाले हैं, जो किसानों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगी. इस पंप केनाल का उद्घाटन 1998 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने किया था. इस संबंध में बार-बार पंपों के खराब होने के सवाल पर जब जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता विक्रम दास से बात की गयी, तो उनका कहना था कि सरकार स्तर से एक नया निर्देश जारी किया गया है. इसके तहत केनालों में लगाये गये 25 साल से अधिक पुराने पंपों को बदलकर नया लगाना है. चूकिं लरमा केनाल के भी पंप 25 साल से अधिक पुराने हो चुके हैं. इसलिए इस केनाल के भी तीनों पंप नया लगाये जायेंगे. चूकिं अभी पटवन का मुख्य सीजन चल रहा है. इसलिए अभी पंपों के बदलने का काम शुरू नहीं कराया जायेगा. विभाग से अनुमति मिलने के बाद इसका निविदा निकाल कर नये पंपों को स्टॉल कराया जायेगा. उन्होंने बताया कि लरमा पंप केनाल पर अभी मैन पॉवर की भी कमी है. तीन आदमी लगाये गये है. जबकि, आधा दर्जन कर्मियों की वहां आवश्यकता महसूस की जा रही है. विभाग के निर्देश के आलोक में कर्मियों की संख्या बढ़ायी जायेगी.

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