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दूषित पानी व भोजन के सेवन से हो सकता है हेपेटाइटिस

जागरूकता व समय पर इलाज से पाया जा सकता है नियंत्रण

जमुई. हेपेटाइटिस एक गंभीर बीमारी है, जो मुख्य रूप से लीवर को प्रभावित करती है. इसका संक्रमण वायरस से फैलता है. हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई पांच प्रकार का होता है. हेपेटाइटिस से ग्रसित व्यक्ति के लीवर का कार्यक्षमता कम हो जाती है. इससे मरीज को अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं. हेपेटाइटिस के प्रकार, कारण, लक्षण, बचाव और विशेषज्ञों की सलाह की जानकारी देते सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ अभिषेक गौरव ने बताया कि दूषित पानी और भोजन से हेपेटाइटिस ए और ई का संक्रमण होने की आशंका ज्यादा रहती है. हेपेटाइटिस ए और ई ज्यादातर दूषित पानी और भोजन से होता है, जबकि हेपेटाइटिस बी, सी, और डी मुख्य रूप से संक्रमित खून और शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आने से होता है. कई बार संक्रमित रक्त के जरिए भी हेपेटाइटिस वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है. इसलिए रक्त चढ़ाने से पूर्व सही जांच करवाना जरूरी होता है. हेपेटाइटिस बी और सी असुरक्षित यौन संबंधों से फैलता है. इसके साथ ही अधिक मात्रा में मादक पदार्थ का सेवन या हानिकारक दवाओं का सेवन करने से भी लीवर को नुकसान पहुंचता है. इससे हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है. डॉ अभिषेक गौरव ने बताया कि हेपेटाइटिस के लक्षण कई बार शुरुआती अवस्था में नजर नहीं आते हैं, लेकिन कुछ आम संकेत होते हैं जो इस बीमारी की ओर संकेत करते हैं.

हेपेटाइटिस से बचाव

डॉ अभिषेक गौरव ने बताया कि दूषित पानी व भोजन से हेपेटाइटिस ए और ई का संक्रमण हो सकता है. इसलिए स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें और केवल शुद्ध या उबला हुआ पानी का सेवन करें. उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस बी और ए के लिए टीका उपलब्ध है, जो आपको इन वायरस से बचाने में मदद कर सकता है. बच्चों को जन्म के बाद हेपेटाइटिस बी का टीका लगाया जाता है. इसके अलावा वयस्कों को भी इसे लेने की सलाह दी जाती है. उन्होंने कहा कि स्वच्छता का हमेशा ध्यान रखें. खासकर खाना बनाते व खाते समय हाथ धोना एक सरल, लेकिन प्रभावी उपाय है. इसके अलावा हेपेटाइटिस बी और सी से बचने के लिए असुरक्षित यौन संबंधों से बचना चाहिए. डॉ गौरव ने बताया कि हेपेटाइटिस एक साइलेंट किलर है, क्योंकि इसके लक्षण प्रारंभिक अवस्था में सामने नहीं आते. इसके लिए लोगों को नियमित रूप से लीवर की जांच करानी चाहिए, खासकर यदि वे उच्च जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं. इससे बचाव के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी तरीका है. खासकर हेपेटाइटिस बी व सी बचने के लिए टीकाकरण जरूरी है. इसके अलावा स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्श लेना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि जिन व्यक्तियों को पहले हेपेटाइटिस का संक्रमण हो चुका है, उन्हें नियमित रूप से जांच कराते रहना चाहिए. हेपेटाइटिस एक गंभीर समस्या है, लेकिन यदि इसके कारणों और लक्षणों को समझा जाये और समुचित सावधानियां बरती जाये, तो इससे बचा जा सकता है.

स्वच्छता, टीकाकरण और स्वस्थ जीवनशैली हेपेटाइटिस से बचाव करते हैं. जागरूकता और समय पर इलाज से इस बीमारी को पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है.

हेपेटाइटिस के लक्षण

त्वचा और आंखों में पीलापन (जॉन्डिस)

थकान व कमजोरी महसूस होना

भूख कम लगना, पेट दर्द व सूजनगहरे रंग का मूत्र व हल्के रंग का मलबुखार व मांसपेशियों में दर्द

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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