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राज्य में प्रयोग के तौर पर शुरू हुआ ””सेंट्रल रेफरल सिस्टम””

राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने यहां के अस्पतालों में रोगियों के स्थानांतरण के लिए सेंट्रल रेफरल सिस्टम का ट्रायल मंगलवार से शुरू कर दिया.

प्रक्रिया. साेनारपुर ग्रामीण अस्पताल का मरीज एमआर बांगुर में हुआ भर्तीसंवाददाता, कोलकाताराज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने यहां के अस्पतालों में रोगियों के स्थानांतरण के लिए सेंट्रल रेफरल सिस्टम का ट्रायल मंगलवार से शुरू कर दिया. इस प्रक्रिया के तहत इस दिन सोनारपुर ग्रामीण अस्पताल के एक मरीज को एमआर बांगुर अस्पताल में भर्ती कराया गया. सबसे पहले मरीज का नाम एमआर बांगुर अस्पताल की स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआइएस) के पोर्टल में पंजीकृत किया गया. इसके बाद अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर ने मरीज की रिपोर्ट को देखा और उसे अस्पताल में भर्ती करने का प्रस्ताव दिया. सुप्रीम कोर्ट ने एक नवंबर से राज्य स्तर पर सिस्टम लागू करने का दिया आदेश : मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में आरजी कर मामले की सुनवाई के दौरान रोगियों के रेफर का मुद्दा भी उठा. मामले की सुनवाई के दौरान जूनियर डॉक्टरों की वकील इंदिरा जयसिंह ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की दोषपूर्ण ””रेफरल सिस्टम”” के कारण डॉक्टरों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उन्हाेंने अदालत को बताया कि ज्यादातर मामलों में, मरीजों को एक अस्पताल से ऐसे अस्पताल में रेफर किया जाता है, जहां उपयुक्त बेड उपलब्ध नहीं हैं, या बीमारी के इलाज के लिए पर्याप्त डॉक्टर या बुनियादी ढांचा नहीं है.

नतीजतन अस्पताल के डॉक्टरों को मरीज के परिजनों के आक्रोश का सामना करना पड़ता है. इंदिरा जयसिंह ने कहा : राज्य सरकार, जो केंद्रीय रेफरल प्रणाली शुरू कर रही है, उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मरीजों को उन अस्पतालों में रेफर किया जाये, जहां पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हों.

क्या है ””सेंट्रल रेफरल सिस्टम””

इस सिस्टम से मरीज के परिजनों को भी पता चल जायेगा कि उन्हें दूसरे अस्पताल में क्यों रेफर किया जा रहा है. क्योंकि, पहले भी कई बार शिकायत की जा चुकी है कि अगर मरीज की स्थिति आशंकाजनक होती है, तो कई मामलों में जिला या स्थानीय अस्पतालों द्वारा मरीज को कोलकाता के बड़े अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है. हालांकि, उस समय मरीज के परिवार को यह नहीं पता होता था कि उन्हें दूसरे अस्पताल में क्यों रेफर किया जा रहा है और यही मूल समस्या है. इस समस्या के समाधान के लिए राज्य में ””सेंट्रल रेफरल सिस्टम”” लॉन्च होने जा रहा है. उल्लेखनीय है कि आरजी कर अस्पताल की घटना के बाद जूनियर डॉक्टरों द्वारा उठायी गयी 10 सूत्री मांगों में सेंट्रल रेफरल सिस्टम भी शामिल है, जिसे मानते हुए राज्य सरकार ने इस सिस्टम का ट्रॉयल शुरू कर दिया है.

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने

न्यायाधीश ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गयी इंटीग्रेटेड हॉस्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम में सिस्टम मॉनिटरिंग, ऑनलाइन प्रिस्क्रिप्शन, किसी भी अस्पताल में कितने बेड उपलब्ध हैं, इसकी रियल टाइम अपडेट होनी चाहिए. इसके बाद मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि मरीजों को केवल उन्हीं अस्पतालों में रेफर किया जा सकता है, जहां खाली बेड या पर्याप्त मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर हो. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इंटीग्रेटेड हॉस्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम का काम एक नवंबर तक पूरा हो जाना चाहिए.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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