14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Jharkhand Assembly Election: 5 सालों में ऐसे बदली झारखंड की 25 फीसदी सीटों पर तस्वीर, 6 उपचुनाव, दो पूर्व सीएम ने पाला बदला

Jharkhand Assembly Election 2024 : बीते 5 वर्षों में झारखंड की 25 फीसदी सीटों पर राजनीति की तस्वीर बदल गयी है. इस दौरान करीब 22 सीटों पर विधायक बदल गये. इस बीच कोरोना का दंश झारखंड के लोगों ने भी झेला.

Jharkhand Assembly Election, रांची : पांच वर्षों (2019-2024) में राज्य की 25 फीसदी विधानसभा सीटों की तस्वीर बदल गयी है. 81 विधानसभा सीटों में करीब 22 सीटों पर विधायक बदल गये. कुछ सीटों से जीतनेवाले विधायक सांसद बन गये. वहीं, कई सीटों से जीतने वाले विधायक पार्टी छोड़ कर दूसरे दल में शामिल हो गये. कुछ सीटों पर उपचुनाव भी कराना पड़ा. 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद सबसे पहला उपचुनाव दुमका और बेरमो में हुआ. वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दो-दो सीटों (बरहेट और दुमका) से जीते थे. बाद में उन्होंने दुमका सीट छोड़ दी थी. दुमका सीट पर हुए उपचुनाव में श्री सोरेन के भाई बसंत सोरेन विधायक चुने गये. वहीं, बेरमो के विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह के निधन के बाद वहां कराये गये उपचुनाव में राजेंद्र प्रसाद सिंह के पुत्र कुमार जयमंगल (अनूप सिंह) जीते.

आधा दर्जन सीटों पर कराना पड़ा उपचुनाव

पिछले पांच वर्षों में देश ने कोरोना काल भी देखा. इसका असर झारखंड की राजनीति पर भी पड़ा. डुमरी के विधायक जगरनाथ महतो और मधुपुर के विधायक हाजी हुसैन अंसारी कोरोना की चपेट में आ गये. लंबे इलाज के बाद दोनों का निधन हो गया. सरकार ने डुमरी विधायक जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी और हाजी हुसैन अंसारी के बेटे हफीजुल हसन को मंत्री बना दिया. बाद में कराये गये उपचुनाव में हफीजुल मधुपुर और बेबी देवी डुमरी सीट से जीत गये.

ममता देवी की चली गयी विधायकी

इसी दौरान रामगढ़ से जीतने वाली कांग्रेस की विधायक ममता देवी को एक मामले में सजा हो गयी. इससे उनकी विधायकी चली गयी. इस कारण वहां कराये गये उपचुनाव में आजसू की सुनीता चौधरी जीत गयी. पांच सालों में कुल छह सीटों पर उपचुनाव कराया गया. मांडर से चुनाव जीतने वाले बंधु तिर्की को भी एक मामले में सजा हो गयी. इस कारण वहां उपचुनाव कराना पड़ा. इसमें उनकी बेटी शिल्पी नेहा तिर्की विधायक बनीं.

Also Read: Jharkhand News: रांची के सुखदेव नगर सब्जी मंडी में लगी आग, मची अफरा-तफरी

नौ विधायकों ने अपनी पार्टी छोड़ी

पांच साल के दौरान नौ विधायक जिस पार्टी से जीते थे, उसे छोड़ दिया. इसमें बाबूलाल मरांडी के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन भी शामिल हैं. 2019 के चुनाव में बाबूलाल मरांडी झारखंड विकास मोर्चा के टिकट से जीते थे. उनके साथ प्रदीप यादव और बंधु तिर्की भी मोर्चा के टिकट से जीते थे. प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस में चले गये, जबकि बाबूलाल मरांडी भाजपा के साथ हो गये. वहां उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. झामुमो से चंपाई सोरेन सरायकेला से विधायक बने थे. बाद में वह राज्य के मुख्यमंत्री भी बने. झामुमो के साथ खटपट होने के बाद वह भाजपा में शामिल हो गये. उन्होंने विधायकी भी छोड़ दी. मांडू से भाजपा के टिकट से जीतने वाले जय प्रकाश भाई पटेल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हो गये. इसी तरह झामुमो के टिकट से जामा सीट से जीतने वाली सीता मुर्मू (सोरेन) भाजपा में शामिल हो गयीं. हाल ही में हुसैनाबाद के विधायक कमलेश सिंह भी भाजपा में शामिल हो गये.

एक विधायक जेल में, तो एक की जाति एससी से एसटी हो गयी

इसी दौरान वर्तमान श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता की जाति अनुसूचित जाति से अनुसूचित जनजाति बन गयी. इस कारण वे अब अपनी पारंपरिक चतरा सीट से चुनाव नहीं लड़ पायेंगे. यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. वहीं, पाकुड़ से जीतने वाले आलमगीर आलम कमीशन घोटाले के एक मामले में जेल में हैं.

आमचुनाव के बाद चार विधायक बन गये सांसद छोड़नी पड़ी सीट

इसी साल लोकसभा का चुनाव भी हुआ. इसमें झारखंड के चार विधायक सांसद बन गये. इस कारण उन्हें सीट छोड़नी पड़ी. भाजपा के टिकट से हजारीबाग विधायक मनीष जायसवाल व बाघमारा विधायक ढुलू महतो सांसद बने. वहीं, झामुमो से मनोहरपुर की विधायक जोबा मांझी सांसद बन गयीं. इस कारण इनकी सीट खाली हो गयी. विस चुनाव के लिए छह माह से कम अवधि होने से यहां उपचुनाव नहीं कराया गया.

Also Read: JSSC CGL Result: जानें झारखंड सीजीएल के रिजल्ट को लेकर लेटेस्ट अपडेट

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें