Darbhanga News: दरभंगा. मिथिला का विशिष्ट लोकपर्व कोजागरा बुधवार को आश्विन पूर्णिमा पर परंपरागत तरीके से मनाया गया. इसे लेकर जहां एक तरफ सुबह से ही आयोजक परिवार में उत्सवी वातावरण बना रहा, वहीं दूसरी ओर देर रात तक पान, मखान लेने पहुंचने वाले लोगों से गलियां गुलजार रही. लोग आयोजक परिवार के घर पहुंचते रहे और पान-मखान के साथ बताशा व मिठाईयां उन्हें मिलती रही. आधी रात बाद तक यह क्रम चलता रहा. बुधवार को नवविवाहित अपने ससुराल से विदा होकर भार के साथ अपने घर पहुंचे. धोती-कुर्ता धारण किये नवविवाहित के सिर पर पाग था. वे दूल्हे की तरह नजर आ रहे थे. शाम ढलते ही आंगन में पहले से दे रखे अरिपन पर लगायी गयी पीढ़ी पर उन्हें बैठाया गया. ससुराल से आए डाला के धान से उनका चुमाओन घर की महिलाओं ने किया. इसके बाद वर की माता ने मखान लुटाया. चुमाओन के पश्चात मखान का वितरण शुरू हो गया. लोगों की कतार लग गयी. इसमें महिला व बच्चों की भी खासी संख्या नजर आती रही. विशेषकर गांव की गलियां आधी रात बाद तक हकार पुरने वालों से गुलजार रही. यहां बता दें कि कोजागरा ऐसा इकलौता पर्व है, जिसमें बिना किसी आमंत्रण के ही लोग आयोजक के घर पहुंचकर पान, मखान, बताशा, मिठाई आदि ग्रहण करते हैं. देर रात देवर-भाभी के बीच पचीसी का खेल शुरू हुआ. यह खेल आरंभ होते ही दोनों की हंसी-ठिठोली से शरद पूर्णिमा की रात भी मानो खिलखिला उठी. जीत किसी की हो, खिलखिलाहट वातावरण में आनंद रस घोलते रहे. इधर शरद पूर्णिमा के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अपने-अपने घर में धन की देवी लक्ष्मी का पूजन किया. कई मंदिरों में भी विशेष पूजा-अर्चना की गयी. भगवती को मखान के खीर का प्रसाद भोग लगाया गया. देर रात तक आसमान से अमृत की वर्षा से लोग शिक्त होते रहे.
भैया कोजागरा में भारक मोजवरा में बाबूजी बांटता मखान
बेनीपुर. शरद पूर्णिमा पर मिथिला का लोकपर्व कोजागरा व लक्ष्मी पूजा बुधवार को पूरे क्षेत्र में हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया. इसे लेकर सुबह से ही नवविवाहित वर का घर मेहमानों के आगमन से गुलजार रहा. शाम ढलते ही महिलाओं ने घर में लक्ष्मी की पूजा कर धन, समृद्धि की कामना की. परंपरा के अनुसार नवविवाहित वधु के घर से वर पक्ष के यहां पान, मखान के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में भोज्य सामग्री व वर सहित परिवार के अन्य सदस्यों के लिए रंग-बिरंगे परिधान भार भेजा गया. शाम ढलते ही नवविवाहित वर का चुमाओन किया गया. इस दौरान भैया कोजागरा में भारक मोजवरा में बाबूजी बांटता मखान, आजु सुदिन दिन निर्मल बनल अछि सोना ओ चांदी समान कि रघुवर के करियौन चुमाओन जैसे कर्णप्रिय गीतों से गांव की गलियां गुंजायमान होता रहा. वही परंपरानुसार देवर-भाभी के बीच पचीसी खेल का दौर चलता रहा. इसे लेकर जैसे-जैसे पूनम की रात जवां होती गयी, वैसे-वैसे देवर- भाभी के बीच पचीसी खेल व उठ रहे ठहाकों से रात गुलजार होता रहा. इस दौरान नवविवाहिता के घर पान, मखान, बतासा का वितरण किया गया. लोगों ने घूम-घूमकर पान, मखान लेकर नवविवाहिता वर की सुखमय दांपत्य जीवन की कामना की.
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