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jahanabad News:महंगाई की मार : गरीबों की थाली से दूर हुईं सब्जियां

jahanabad News:इन दिनों सब्जियों की कीमत में भारी इजाफा हुआ है. हर प्रकार की हरी सब्जी काफी महंगी हो गयी है. महंगी होने के कारण सब्जी गरीबों की थाली से दूर हो चुकी है. रोज कमाने-खाने वाले हरी सब्जी के लिए तरस रहे हैं. कोई भी हरी सब्जी 40 से 50 रुपये किलो से कम नहीं बिक रही है.

जहानाबाद. इन दिनों सब्जियों की कीमत में भारी इजाफा हुआ है. हर प्रकार की हरी सब्जी काफी महंगी हो गयी है. महंगी होने के कारण सब्जी गरीबों की थाली से दूर हो चुकी है. रोज कमाने-खाने वाले हरी सब्जी के लिए तरस रहे हैं. कोई भी हरी सब्जी 40 से 50 रुपये किलो से कम नहीं बिक रही है. ऐसे में गरीब तो गरीब मध्यमवर्गीय परिवारों को भी हरी सब्जियां खाने के लिए सोचना पड़ा रहा है. बताया जाता है कि बारिश नहीं होने और उमस भरी गर्मी के कारण सब्जियों का उत्पादन काफी कम हो गया है. तापमान 35 डिग्री के आसपास चला रहा है जिसके कारण किसानों को सब्जियों के पौधों को हर दो-चार दिन पर सींचना पड़ रहा है. अगर लगातार पांच-छह दिन सिंचाई नहीं की गयी तो पौधे सूखने लगते हैं. ऐसे में सब्जियां उत्पादन करने वाले किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अगर किसान खेतों में पानी नहीं डालते हैं, तो सब्जियों के पौधे सूखने लगते हैं और उत्पादन भी कम हो जाता है. बहुत सारे लोग अभी से छठ पर्व तक मांस-मछली नहीं खाते हैं. ऐसे लोग हरी सब्जी पर ही निर्भर हैं जिसके कारण हरी सब्जियों की खपत बढ़ गयी है. कम उत्पादन और खपत बढ़ने के कारण सब्जियां महंगी हो गयी है. वैसे भी जहानाबाद जिले में कुछ एक सब्जियों का ही उत्पादन हो रहा है, जबकि अधिकांश सब्जियां बाहर से मंगायी जा रही हैं जिसके कारण ट्रांसपोर्टिंग भाड़ा व अन्य खर्चों से महंगी हो रही हैं. जहानाबाद के थोक सब्जी विक्रेता नौशाद आलम बताते हैं कि बीन और टमाटर रांची से आ रहा है. टमाटर और भंटा बंगाल से आ रहा है. लोकल स्तर पर अमैन के इलाके में भी भंटा उगाया जाता है. हालांकि लोकल स्तर पर उगाया जाने वाले भंटे से पूर्ति नहीं हो पाती है. लोकल स्तर पर कुछ टमाटर का भी उत्पादन हो जाता है, जबकि परवल भोजपुर जिले से आता है. जहानाबाद जिले में लोकल स्तर पर भिंडी और परोर उगाये जा रहे हैं. कुछ हद तक थोड़ी बहुत कद्दू भी जिले में हो जाता है, जबकि ज्यादातर बाहर से मंगाया जाता है. परवल इन दिनों 60 रुपये केजी बिक रहा है. कुछ दिन पहले परवल 40 रुपये केजी बेचा जा रहा था, जबकि बीन भी 80 रुपये किलो ही मिल रहा है. कुछ दिन पहले जो टमाटर 30 से 40 रुपये केजी मिल रहा था. इन दिनों 80 रुपये केजी बिक रहा है. बोरा और सिम 80 रुपये केजी बिक रहा है. कच्चा केला भी 60 से 80 रुपये दर्जन है. हालांकि उसकी साइज भी छोटी आ रही है. बंधागोभी और ओल 50 से 60 रुपये प्रति केजी है. फूल गोभी 50 रुपये प्रति पीस से कम में नहीं बिक रहा है. भिंडी, परोर और कईता भी 40 प्रति केजी से कम नहीं मिल रहा है. बैगन और भंटा भी 40 रुपये प्रति केजी मिल रहा है. किसी-किसी दिन यह 30 रुपये हो जाता है. जब इसकी लोकल आमद बढ़ जाती है. हरी मिर्च भी इन दिनों 100 रुपये केजी है. आलू और प्याज की कीमत में भी इजाफा हुआ है. नया आलू 200 से 250 रुपए प्रति पांच केजी है. वहीं पुराना आलू 140 से 170 रुपये प्रति पांच केजी मिल रहा है. प्याज की कीमत इन दिनों 50 से 60 रुपये प्रति केजी है. इस तरह महंगी सब्जियां गरीबों की थाली तक नहीं पहुंच रही है, जबकि मध्यमवर्गीय परिवार भी दोनों शाम हरी सब्जियां खरीदने में काफी परेशानी महसूस कर रहे हैं. कहीं चने से काम चलाया जा रहा है. हालांकि चने की कीमत में भी आग लगी है. 60 रुपये प्रति केजी मिलने वाला चना इन दोनों 90 से 100 रुपये प्रति केजी मिल रहा है. चने की दाल 110 रुपये केजी और चना का बेसन 120 रुपये केजी है, जिसके कारण चने की घुघनी और आलू चने की सब्जी पर भी आफत आ गयी है. महंगाई के कारण बेसन की सब्जी भी इन दोनों मुहाल है. कहीं सोयाबीन बरी तो कुछ लोग कद्दू से ही संतोष कर रहे हैं. कद्दू भी जो कुछ दिनों पहले 20 रुपये के बीच में मिल जाता था इन दिनों 40 से 60 रुपये प्रति पीस मिल रहा है. सब्जियों की कीमत बढ़ने के साथ ही लोगों की रसोई का बजट भी बिगड़ गया है. गृहणियों के लिए घर का बजट बनाना मुश्किल हो गया है. किराना का सौदा पहले ही महंगा था अब सब्जियों की बढ़ी कीमत ने घर चलाने में और भी मुश्किल खड़ी कर दी है.

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