Diwali: त्योहारों का सीजन शुरू हो चुका है. दीपावली आने में कुछ दिन रह गये हैं. ऐसे में पटना शहर में अंतर ज्योति बालिका विद्यालय, किलकारी समेत महिलाएं और युवा डिजाइनर दीये और कैंडल तैयार कर रहे हैं. महिलाएं कुम्हारों को ऑर्डर देकर दीये तैयार करवाती है फिर अपनी क्रिएटिविटी से इसमें डिजाइन बनाती हैं. वहीं डिजाइनर कैंडल में इस बार फ्लावर बुके, स्वीट्स बॉक्स, करली, बबल, गुलाब फूल, सूरजमुखी फूल आदि हैं. इस बार गोबर से बने दीये भी लोगों को भा रहे हैं.
किलकारी के बच्चे चाक चलाकर तैयार कर रहे दीप
बिहार बाल भवन किलकारी में इस दीपावली मूर्तिकला, पेंटिंग और क्राफ्ट विधा के 40 बच्चे मिल कर क्रिएटिविटी के साथ दीये तैयार कर रहे हैं. मूर्तिकला के बच्चे प्रशिक्षक प्रमोद कुमार की मदद से चाक से दीये तैयार कर उन्हें वहीं मिट्टी से बने भट्ठे में तैयार कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर पेंटिंग विधा के बच्चे इन्हें रंग कर डिजाइनर रूप दे रहे हैं जबकि क्राफ्ट विधा के बच्चे इनकी पैकेजिंग कर रहे हैं.
क्राफ्ट विधा की प्रशिक्षक बिंदु कुमारी ने बताया कि बच्चे इस बार तीन आकार में दीप तैयार कर रहे हैं. इनमें मधुबनी पेंटिंग, वर्ली आर्ट, फाइन आर्ट के अलावा अन्य डिजाइन शामिल हैं. 5 दिन पहले से ही बच्चों ने इसे बनाना शुरू किया है. पहले राउंड में 600 दीये तैयार किये जा चुके हैं. दीपावली तक 600 और तैयार हो जायेंगे. इनमें से कुछ दीये शिक्षा विभाग के अलावा अन्य शाखाओं में भेजे जा रहे हैं. वहीं जो इच्छुक है वे किलकारी लगने वाली बिक्री स्टॉल से इन्हें ले सकते हैं.
अब तक 85000 टेराकोटा दीया विभिन्न जगहों पर भेजा गया
जय प्रकाश नगर के रहने वाले पुष्कर कुमार बताते हैं कि वह टेराकोटा का दीया और कुल्हड़ कैंडल तैयार कर रहे हैं. दीपावली को लेकर दो महीने पहले से ही इस पर कार्य शुरु कर दिया था. अब तक 85000 से ज्यादा टेराकोटा दीया बनकर तैयार है जिसमें यहां को लोकल वेंडर्स के अलावा दिल्ली, जयपुर भेजा गया है. अलग-अलग जगहों से तीन महीने पहले ऑर्डर मिल जाता है. दिल्ली 20000 दीये भेजे गये हैं. इनके पास प्लेन टेराकोटा से लेकर मैट फिनिश के तीन आकार में दीये मौजूद है. इन दीयों और कैंडल की कीमत पीस और बल्क में अलग-अलग है. टेराकोटा दीया तीन आकार में हैं. वहीं कुल्लड़ दीया लोगों को काफी पसंद आ रहा है.
इस दीपावली स्वीट्स कैंडल और बुके फ्लावर की मांग ज्यादा
कंकड़बाग स्थित क्राफ्ट एडज की ऋतिका बताती हैं कि दीपावली में हर बार कैंडल में कुछ खास बनाती हैं. इस बार उन्होंने स्वीट्स कैंडल में विभिन्न वैरायटी का कैंडल तैयार किया है. स्वीट्स कैंडल में लड्डु, बर्फी, काला जामुन, काजु कतली के अलावा रसमलाई, बकलावा, परवल मिठाई बनायी है. ऑर्डर में समोसा कैंडल, वड़ा पाव कैंडल, लिट्टी चोखा, चाय बिस्कुट, कोक कैंडल की मांग सबसे ज्यादा है. इनके अलावा विभिन्न फ्लेवर के भी कैंडल मौजूद हैं.
दीपावली में कुछ दिन का वक्त रह गया है ऐसे में उन्हें बैंग्लोर, हैदराबाद, गुजरात, कोलकाता सहित बिहार से कई जगहों से ऑर्डर मिले थे जिन्हें ऑर्डर भेजा जा चुका हैं. तीन महीने पहले से ऑर्डर के लिए काम शुरू कर दिया जाता है. गिफ्ट हैंपर्स की कीमत 495 रुपये से लेकर 10000 रुपये हैं. वहीं सिंगल कैंडल की कीमत 60 रुपये से शुरु है.
मधुबनी और कोन आर्ट की दीये ऑर्डर पर हो रहे तैयार
डाक बंगला चौराहा स्थित द डिजाइन प्वाइंट की अपूर्वा बताती हैं कि उनकी टीम डेढ़ महीने पहले डिजाइनर दीये बनाने के काम में जुट जाती हैं. मधुबनी पेंटिंग और कोन आर्ट से बने दीये की काफी मांग होती है. हम मिट्टी का 16000 दीये का ऑर्डर पुनपुन गंगा के पार रहने वाले कुम्हार को दिया था. अभी तक 3000 दीये जिसमें सिंपल, आर्ट वर्क और कलरफूल दीये तैयार कर अलग-अलग जगहों पर भेजा जायेगा. इसके अलावा शहर के विभिन्न दुकानों और संस्थानों से भी ऑर्डर मिला हुआ है जिसे हमें दीपावली से पहले पूरा कर लेना है. इन दीयों की कीमत 15 रुपये से लेकर 250 रुपये तक हैं. वहीं दीये से जुड़े हैंपर्स की कीमत 1000 रुपये तक है.
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पुनर्वास केंद्र की महिलाएं तैयार कर रही टेराकोटा के दीये
पाटलिपुत्रा स्थित शांति कुटीर महिला पुनर्वास केंद्र में 15 महिलाएं दीपावली को लेकर टेराकोटा के दीये तैयार कर रहे हैं. इनकी प्रशिक्षक मीरा देवी बताती हैं कि तीन महीने पहले से इसे बनाना शुरु किया जाता है. अभी 500 दीये तैयार हुए हैं जिसे डिजानर लुक देने के लिए अलग-अलग रंगों से तैयार किया जा रहा है. यह दीये सक्षम विभाग के अधिकारी, दिशा, विभिन्न एनजीओ और क्लब से खरीदे जाते हैं. दीवाली पर पटना वीमेंस कॉलेज के पास लगने वाले बाजार में भी इनके दीये बेचे जाते हैं. दीये की कीमत 20-25 रुपये हैं और जो भी इससे आमदनी होती है यह इन महिलाओं के बैंक के खाते में चले जाते हैं.