गया. रोशनी का महापर्व दीपावली इस बार 31 अक्तूबर को मनाया जायेगा. दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाने की परंपरा रही है. इस परंपरा का निर्वहन अधिकतर घरों में आज भी हो रहा है. दीपावली पर लोगों की जरूरत को पूरी करने के लिए लोग दुर्गा पूजा की समाप्ति के बाद मिट्टी के दीये बनाने में जुट जाते हैं. एक परिवार द्वारा दुर्गा पूजा व दीपावली के बीच औसतन 50 हजार दीये बना लिये जाते हैं. इस बार करीब 120 परिवार से जुड़े 600 से अधिक लोग मिट्टी के दीये बनाने में लगे हुए हैं. गया जिला कुम्हार प्रजापति संघ के मुख्य संरक्षक द्वारका प्रसाद ने बताया कि पूरे जिले में समाज के करीब 30 हजार लोग हैं. बाजार में चाइनीज लाइटों के आने व मिट्टी के दीये की मांग कम होने के बाद इनमें से अधिकतर अपने इस पुश्तैनी काम को छोड़कर अन्य व्यवसाय अथवा नौकरी में लग गये हैं. शहर में करीब 120 परिवार दीये बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि दीपावली पूजा से जुड़े मिट्टी के कलश, ढक्कन, घरकुंडा, डैनी व अन्य सामानों को भी साथ में बना रहे हैं. कुम्हार समाज के सक्रिय सदस्य मनीष कुमार ने बताया कि वर्तमान में मानपुर क्षेत्र के करीब 20, वागेश्वरी के 15, लखनपुरा के 20, माड़नपुर के 25, डेल्हा के 10, गोदावरी के 30 सहित 120 परिवार से जुड़े 600 से अधिक सदस्य मिट्टी के दीये व दीपावली पूजा से जुड़े मिट्टी के अन्य सामान बनाने में लगे हुए हैं.
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