भभुआ. कर्मनाशा लिंक नहर से टेल क्षेत्र के किसानों को पूरी तरह पानी नहीं मिल रहा है, जबकि धान की फसल अंतिम पटवन की बाट जोह रही है. उत्तरप्रदेश के लतीफशाह डैम से मूसाखांड नहर को कम पानी मिलने के कारण यह समस्या सामने आ रही है. गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश के मूसाखांड बांध से यह नहर जुड़ती है. मूसाखांड बांध को बिहार के कर्मनाशा नदी का पानी यूपी के भाया लतीफशाह डैम के माध्यम से मिलता है, जिसके बाद मूसाखांड नहर यूपी के मालदह पुल के पास जमालपुर से कैमूर के कर्मनाशा लिंक नहर को जोडती है, जो यूपी के मालदह बार्डर से होकर बिहार के पतेरी गांव से होते चांद प्रखंड के कोनहरा गांव के झझानी मौजा कर्मनाशा लिंक नहर से मिल जाती है. इधर, इस संबंध में पतेरी गांव के किसान महेंद्र पांडेय, सेहां गांव के किसान राजवंश कुमार आदि ने बताया कि मूसाखांड नहर से कर्मनाशा लिंक नहर को पूरा पानी नहीं मिल रहा है. इससे किसानों का पटवन का पूरा पानी नहीं मिल पा रहा है. दुर्गावती प्रखंड के किसानों का भी कहना है कि टेल तक कर्मनाशा नहर का पानी नहीं पंहुच पा रहा है. इधर, इस संबंध में जब जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता विक्रम दास से बात की गयी, तो उनका कहना था कि कर्मनाशा नहर को यूपी के मूसाखांड नहर से वर्तमान में 300 क्यूसेक की जगह 215 क्यूसेक पानी ही दिया जा रहा है. इससे दुर्गावती प्रखंड के टेल क्षेत्र तक किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है. इस संबंध में किसानों के फोन भी हमारे पास आ रहे हैं. बीच में नहर को चांद प्रखंड के नौबटा गांव में भी ग्रामीणों ने बांध दिया था. कर्मनाशा लिंक नहर जर्जर होने से समस्या मूसाखांड-कर्मनाशा लिंक नहर से चांद तथा दुर्गावती प्रखंड के विभिन्न गांवों के किसानों की 2650 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई निर्भर करती है. लगभग साढे आठ किलोमीटर लंबे इस नहर के पोषक क्षेत्र में बरसात नहीं होने पर किसानों की फसल हर साल पानी के अभाव में मार खात जाती है. इसके दो कारण है. पहला कारण तो अच्छी बरसात नहीं होने पर हर साल पटवन के अहम मौके पर यूपी के मूसाखांड से कम पानी इस नहर को मिलता है. दूसरा कारण कर्मनाशा लिंक नहर जर्जर होने के कारण पानी का प्रबंधन भी ठीक से नहीं हो पाता है. वैसे भी कर्मनाशा लिंक नहर का यह क्षेत्र कम वर्षा और सिंचाई साधनों से भरपूर नहीं है. इससे किसानों की फसल मार खा जाती है. गौरतलब है कि कर्मनाशा लिंक नहर से चांद प्रखंड के पतेसर, भरूईयां, बरांव, भटानी, नौखटा, सौखरा, लोहदन, सिरिहिरा, नीबी आदि सहित कई दर्जन गांवों का पटवन जुड़ा हुआ है. इस नहर से दुर्गावती प्रखंड के भी कुछ भागों में किसानों के खेतों का पटवन होता है. इन्सेट नहर का जीर्णोद्धार कार्य पूरा नहीं होना भी पटवन में बाधा भभुआ. वर्षों से जर्जर अवस्था में चले आ रहे कर्मनाशा लिंक नहर का जीर्णोद्धार कार्य पूरा नहीं होने के कारण भी पटवन में बाधा आ जाती है. किसानों के अनुसार वर्तमान में कर्मनाशा लिंक प्रणाली जर्जर अवस्था में है. नहर का बायां तट क्षतिग्रस्त है तथा नहर के तटबंध जर्जर होने के कारण पानी का बहाव इधर, उधर भटकर बर्बाद हो जाता है. इससे नहर के पानी का पूरा लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है. गौरतलब है कि पिछले साल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में कर्मनाशा लिंक नहर के जीर्णोद्धार की मंजूरी दी गयी थी, जिसकी लागत 51 करोड़ 41 लाख रुपये बतायी गयी थी. इस नहर के जीर्णोद्धार में लाइनिंग और पुनर्स्थापन कार्य के साथ -साथ इस नहर में विभिन्न जगहों पर चार फॅाल व सह दोनों तरफ आने जाने के लिए चार पुल का भी निर्माण कराने तथा साढे आठ किलोमीटर के एरिया में तीन सीडी और 49 आउट लेट का भी निर्माण कराये जाने की बात कही गयी थी. इधर, इस संबंध में जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता विक्रम दास ने बताया कि अभी नहर में पानी होने के कारण जीर्णोद्धार कार्य बंद है. नवंबर में चालू होगा. इसके पहले नहर में लाइनिंग और मिट्टी भराई का काम लगभग 20 प्रतिशत किया जा चुका है, साथ ही चार पुलों में दो पुल तथा दो फॅाल का भी निर्माण कराया जा चुका है.
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