नवादा नगर. शहर के गांधी इंटर विद्यालय के प्रांगण में दिव्य श्री राम कथा की शुरुआत की गयी. अयोध्या से पधारे हुए पूज्य स्वामी श्री प्रभंजनानंद शरण जी महाराज ने कहा कि धर्म को अलग करने के बजाए प्रत्येक कर्म को धर्म में करना सीखें. आज हमारी प्रार्थना भी मात्र क्रिया बन कर रह गयी है. जबकि प्रत्येक क्रिया ही प्रार्थना बन जाये ऐसा कार्य होना चाहिए. हमारा व्यवहार आचरण विचार सब इतना लयबद्ध और ज्ञान मय हो कि यह सब अनुष्ठान जैसा लगने लगे. धर्म के लिए अलग से कर्म करने की आवश्यकता नहीं, अपितु जो कर्म हम कर रहे हैं, उसको ऐसे पवित्र भाव से करें कि वही धर्म बन जाये. इन्होंने कहा कि समस्त समस्याओं का समाधान करने के लिए मौन ही सबसे बड़ा अस्त्र है. इस अस्त्र से संसार के समस्त विवादों का समाधान हो सकता है, जो मनुष्य बाहरी बातों पर ध्यान देता है. उसके घर में क्लेश होता है. तात्कालिक आवेश में लिया गया निर्णय हमेशा पश्चाताप का कारण बनता है, जो सरलता असत्य और अन्याय का विरोध न कर सके. वह समाज और स्वयं दोनों के लिए घातक है. झूठ और अन्याय को सह लेना ही अगर सरलता होती, तो भगवान श्रीराम बाली के अन्याय और रावण के अत्याचार को सहते इन सब को दंडित करने के बाद भी भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम, सरल व संकोची कहा गया है. भगवान श्रीराम के बाल लीला की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा श्रीराम का चरित्र समाज में अनुकरण करने योग्य है. इस रामकथा में सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे. इस दौरान डॉ आरपी साहु व अन्य लोगों ने आरती में हिस्सा लिया.
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