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तृणमूल व भाजपा के बीच रोमांचक मुकाबले की उम्मीद

नैहाटी उपचुनाव : 2011 से लगातार जीत दर्ज करती आ रही तृणमूल, पर बढ़ रहा भाजपा का वोट प्रतिशत भी

नैहाटी. राज्य में 13 नवंबर को छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला है, जिसमें उत्तर 24 परगना जिले की नैहाटी और हाड़ोवा विधानसभा सीटें भी शामिल हैं. दोनों ही सीटों पर 2011 से तृणमूल ने अपनी जीत बरकरार रखी है. नैहाटी सीट कभी माकपा का गढ़ हुआ करती थी, जहां आज तृणमूल का दबदबा है.

विगत चुनावों को देखें, तो इस सीट पर भाजपा का वोट प्रतिशत हर बार बढ़ता गया है. जहां माकपा के लिए अपनी खोयी जमीन पाने की, तो तृणमूल के लिए जीत का चौका लगाने, तो भाजपा के लिए तृणमूल के गढ़ में सेंधमारी करने की यह लड़ाई है. ऐसे में इस बार यहां तृणमूल और भाजपा में रोमांचक मुकाबला देखने को मिल सकता है. तृणमूल ने नैहाटी नगरपालिका के पार्षद व सीआइसी सनत दे को यहां से उतारा है, तो वहीं भाजपा ने इस सीट पर रूपक मित्रा को अपना उम्मीदवार बनाया है. क्या रहा है चुनावी इतिहास : कोलकाता से 45 किलोमीटर दूर स्थित उत्तर 24 परगना का नैहाटी विधानसभा क्षेत्र है, जहां विधानसभा चुनाव में सबसे पहले कांग्रेस ने 1951 में जीत हासिल की थी. माकपा ने 1957 में इस सीट पर कब्जा किया. इसके बाद 10 वर्षों तक माकपा ही काबिज रही. फिर कांग्रेस और माकपा में जीत-हार लगी रही. तृणमूल के सत्ता में आने से पहले तक इस सीट पर लंबे समय तक माकपा का ही कब्जा था. लेकिन 2011 से तीन बार तृणमूल इस सीट पर जीत दर्ज करती आयी है. 2011 से लेकर 2021 तक के चुनाव तक तृणमूल के तत्कालीन विधायक पार्थ भौमिक (वर्तमान में बैरकपुर के सांसद) ने जीत हासिल की थी. 2024 में लोकसभा चुनाव में पार्थ भौमिक जीत कर सांसद बन गये. इसके बाद नैहाटी विधानसभा सीट खाली होने के बाद यहां चुनाव हो रहा है.

इस सीट के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र

नैहाटी विधानसभा सीट बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र में आनेवाले सबसे महत्वपूर्ण सीटों में शामिल है. इसके अंतर्गत नैहाटी नगरपालिका के इलाके, बैरकपुर एक नंबर ब्लॉक के जेटिया, कांपा-चकला, माझीपाड़ा, पलासी और शिबदासपुर ग्राम पंचायतें आते हैं. नैहाटी विधानसभा क्षेत्र में आने वाली नैहाटी नगरपालिका भारत की सबसे पुरानी पालिकाओं में शामिल है, जिसकी स्थापना 1869 में हुई थी. यह राष्ट्रगीत ”वंदे मातरम” के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय व प्रसिद्ध क्वांटम रसायनविद डॉ देबाशीष मुखर्जी की जन्मस्थली भी है. नैहाटी क्षेत्र में जूट मिल होने के कारण यहां बड़ी संख्या में मजदूर वर्ग के लोग भी रहते हैं .

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