Bihar Politics: पटना. बिहार की सियासत में इन दिनों यात्राओं का सिलसिला चल रहा है. माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए तमाम पार्टियों के नेता अपने- अपने जनाधार को मैसेज दे रहे हैं, कार्यकर्ताओं को चार्ज कर रहे हैं और समर्थकों को ताकीद कर रहे हैं कि सत्ता सिंहासन की लड़ाई कितनी महत्वपूर्ण है.इन यात्राओं के दौरान एक ऐसी भी यात्रा हो रही है, जिसने राजनैतिक कार्यकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा है. सियासत से इतर इसने कार्यकर्ताओं के मर्म को छुआ है.
हम बात कर रहे है जदयू की
30 साल पहले जिस पार्टी की नींव पड़ी और लगभग 20 साल से इस पार्टी के संस्थापक निरंतर बिहार के मुख्यमंत्री के रूप नेतृत्व कर रहे हैं,उस पार्टी के कार्यकर्ताओं में फिर से ऊर्जा भरने की कोशिश की गयी है. हम बात कर रहे है जदयू की. पार्टी कार्यकर्ताओं को राजनीतिक वैचारिकी से मजबूत करने, उनके साथ जीवंत संवाद स्थापित करने और उनकी उदासीनता दूर करने के लिए पार्टी नेतृत्व ने कार्यकर्ता समागम की प्रणाली विकसित करने की योजना बनायी.जदयू के महासचिव मनीष कुमार वर्मा को इसकी जवाबदेही दी गयी. आइएएस की नौकरी छोड़कर मनीष वर्मा राजनीतिनके मैदान में उतर चुके हैं.
फिर से उनका पार्टी में बढ़ा कद
1994 में समता पार्टी की नींव रखने वाले कार्यकर्ताओं को प्रत्येक जिले में मनीष वर्मा सम्मानित कर रहे हैं.कई बार ये बात सामने आती है कि जमीनी या पुराने कार्यकर्ताओं की कोई पूछ नहीं है. प्रत्येक जिले के ऐसे वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को सम्मानित करने से उन्हें ऐसा लग रहा है कि पार्टी में अब भी उनका महत्व बना हुआ है. कार्यकर्ता पार्टी से रुठे हुए हैं या किसी अन्य कारण से पार्टी में सक्रिय नहीं हैं, उन्हें फिर से पार्टी में सक्रिय करने के लिए यह कदम ऊर्जा पैदा करने वाला लग रहा है.
जमीन से जुड़कर कार्यकर्ताओं से संवाद
कार्यकर्ता समागम में प्रखंड और पंचायत स्तर के प्रत्येक पदाधिकारी से बैठक में मनीष वर्मा सीधा संवाद कर रहे हैं. यही नहीं, पार्टी कार्यकर्ताओं के घर जाकर जलपान से लेकर भोजन करने की पहल से पार्टी के साथ उनका रिश्ता आत्मीय और प्रगाढ़ बन रहा है. उन्हें ऐसा लग रहा है कि उन्हें पार्टी महत्व दे रही है.
कार्यकर्ताओं में आया जोश नया जोश
मनीष वर्मा कार्यकर्ता समागम के सामूहिक सत्र में जिले स्तर से लेकर पंचायत स्तर तक के सभी कार्यकर्ताओं को विगत 19 वर्षों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रभावकारी कार्यों से अवगत करा रहे हैं तथा आगे के 50 साल तक पार्टी कैसे चले इसका विजन भी दे रहे हैं. फौरी टास्क 2025 के विधानसभा चुनाव को बातचीत के केंद्र में रखकर उसकी तैयारियों की रणनीति पर काम करने का सुझाव भी देते.
कार्यकर्ताओं से साझा कर रहे अपने मन की बात
सात जिलों की यात्रा के दौरान यह बात भी सामने आयी कि प्रशासन की ओर से राजनीतिक कार्यकर्ताओं की अवहेलना की जाती है. उनको तवज्जो नहीं दिया जाता. इन शिकायतों को दूर करने के साथ राजनीतिक कार्यकर्ता के तौर आर उनकी सीमाओं से भी वह अवगत कराते हैं.
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युवाओं को जोड़ने का प्रयास
इस यात्रा के जरिए ”बिहार संवाद” कार्यक्रम भी हो रहा है. सरकार की नीतियों और कार्यों के बारे में लोगों से अनुभव जानने के साथ ही बिहार के विकास की गति को और तेज करने के लिए उनके सुझाव भी ले रहे हैं. मनीष वर्मा पहले और अब के बिहार में अंतर को समझाते हुए बिहार के लिए नीतीश कुमार क्यों आवश्यक हैं, यह भी बता रहे हैं. इस क्रम में युवाओं को बड़ी तरफ में जोड़ने का प्रयास उल्लेखनीय है.